नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). ग्रेटा थनबर्ग टूलकिट केस में एक्टिविस्ट दिशा रवि की गिरफ्तारी के दूसरे दिन दिल्ली पुलिस उनके करीबियों की तलाश कर रही है. दिल्ली की एक कोर्ट ने सोमवार को दिशा के दो साथियों निकिता जैकब और शांतनु के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया. निकिता ने इसके खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में ट्रांजिट बेल की अर्जी दायर कर दी है, जिस पर मंगलवार को सुनवाई होगी.
– जूम ऐप पर हुई थी एक्टिविस्टों की मीटिंग
इस बीच, पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि बेंगलुरु की एक्टिविस्ट दिशा, मुंबई की एक्टिविस्ट वकील निकिता और उनके साथी शांतनु ने खालिस्तानी समर्थक पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ जूम ऐप पर मीटिंग की थी. सोशल मीडिया पर खलबली मचाना और एक तरह से डिजिटल स्ट्राइक को अंजाम देना इस मीटिंग का मकसद था. इसी के मुताबिक टूलकिट बनाई गई, जो ग्रेटा थनबर्ग के हवाले से 3 फरवरी को सामने आई.
ग्रेटा ने सोशल मीडिया पर लिखी थी पोस्ट
ग्रेटा थनबर्ग ने किसानों के सपोर्ट में जो टूलकिट शेयर की थी, यह मामला देश के किसानों से जुड़ा है, जो दिल्ली के दरवाजे पर 82 दिन से आंदोलन कर रहे हैं. 3 फरवरी को 18 साल की कथित क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने दो सोशल मीडिया पोस्ट लिखी थीं. पहली पोस्ट में उन्होंने किसानों का समर्थन किया था, दूसरी पोस्ट में एक टूलकिट शेयर की थी. यह टूलकिट दरअसल एक गूगल डॉक्यूमेंट था. इसमें ‘अर्जेंट, प्रायर और ऑन ग्राउंड एक्शंस’ का जिक्र था.
– टूलकिट में था डिजिटल स्ट्राइक और 26 जनवरी की घटनाओं का जिक्र
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के जॉइंट कमिश्नर प्रेम नाथ के मुताबिक, टूलकिट के ‘प्रायर एक्शंस’ में डिजिटल स्ट्राइक करने और ‘ऑन ग्राउंड एक्शंस’ में 26 जनवरी को फिजिकल एक्शन का जिक्र था. इसके बाद दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने इसे सरकार विरोधी मानते हुए टूलकिट बनाने वालों के खिलाफ 4 फरवरी को देशद्रोह और साजिश रचने के आरोप में FIR दर्ज की थी.
– देशद्रोह का केस दर्ज होने के पीछे 2 वजहें
दिल्ली में 26 जनवरी को जो घटा, वह टूलकिट में बताए गए एक्शन प्लान से हूबहू मिलता था. किसे फॉलो करना है, किसे टैग करना है, यह सब तय था. इस टूलकिट के पीछे जो संगठन है, वह प्रतिबंधित है और खालिस्तानी समर्थक है.
इस मामले में ग्रेटा के अलावा अब तक 4 और किरदार सामने आए हैं. एमओ धालीवाल के संगठन पर टूलकिट बनवाने का आरोप, टूलकिट केस में सबसे अहम कड़ी एमओ धालीवाल है. दिल्ली पुलिस की जांच में धालीवाल के नाम का खुलासा हुआ है. कनाडा में जन्मा धालीवाल डिजिटल ब्रांडिंग क्रिएटिव एजेंसी स्कायरॉकेट में डायरेक्टर है. वह पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का फाउंडर भी है. सितंबर 2020 में धालीवाल ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि मैं खालिस्तानी हूं. धालीवाल के संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन को पुलिस खालिस्तान समर्थक मानती है. दिल्ली पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि विवादास्पद टूलकिट धालीवाल के संगठन ने बनवाई थी. गणतंत्र दिवस से पहले 11 जनवरी को जूम पर एक वर्चुअल मीटिंग हुई थी. इसमें पुनीत नाम की महिला ने निकिता, दिशा, शांतनु समेत बाकी लोगों को जोड़ा. मीटिंग का मकसद यह था कि गणतंत्र दिवस और उससे पहले दुनियाभर सोशल मीडिया पर खलबली मचा दी जाए. इसके बाद निकिता, दिशा, शांतनु ने टूलकिट का ड्राफ्ट तैयार किया. एमओ धालीवाल का कहना है कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन उसने नहीं, बल्कि उसकी दोस्त अनिता लाल ने बनाया था.
शांतनु टूलकिट मामले में दूसरी अहम कड़ी है. महाराष्ट्र के बीड का रहने वाला शांतनु इंजीनियर है. वह निकिता और दिशा का साथी है. वह निकिता के साथ NGO एक्सआर से जुड़ा है. दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के जॉइंट कमिश्नर प्रेम नाथ के मुताबिक, शांतनु ने एक ईमेल अकाउंट बनाया. शांतनु का बनाया ईमेल अकाउंट ही गूगल डॉक्यूमेंट का ओनर है. शांतनु ने यह टूलकिट दिशा, निकिता और अन्य लोगों के साथ शेयर की. ये लोग इस डॉक्युमेंट के एडिटर हैं.
दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि को बीते रविवार बेंगलुरु से गिरफ्तार किया. इस गिरफ्तारी के साथ ही 11 दिन बाद टूलकिट विवाद फिर सुर्खियों में आ गया. दिशा को रविवार को कोर्ट ने 5 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया. 22 साल की दिशा BBA स्टूडेंट हैं. उसने क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रुप फ्राइडे फॉर फ्चूयर की इंडिया विंग 2019 में शुरू की थी. इस इंटरनेशनल ग्रुप की फाउंडर ग्रेटा थनबर्ग हैं. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, किसान आंदोलन से जुड़ी जो टूलकिट ग्रेटा ने शेयर की थी, उसका दिशा ने ही शांतनु और निकिता के साथ मिलकर ड्राफ्ट तैयार किया और बाद में उसे एडिट किया. इस टूलकिट को सर्कुलेट करने के लिए उन्होंने वॉट्सऐप ग्रुप भी बनाया. दिशा ने यह टूलकिट ग्रेटा तक टेलीग्राम ऐप के जरिए पहुंचाई, लेकिन जब यह टूलकिट पब्लिक डोमेन में आ गई, तो दिशा ने ग्रेटा से इसे हटाने को कहा. बाद में दिशा ने टूलकिट के लिए बना वॉट्सऐप ग्रुप भी डिलीट कर दिया.
रविवार को जब दिशा को दिल्ली की कोर्ट में पेश किया गया तो वह रोने लगी. दिशा ने जज को बताया कि उन्होंने इस गूगल डॉक्यूमेंट की महज 2 लाइनें एडिट की थी. मकसद यही था कि वे किसान आंदोलन का सपोर्ट करना चाहती थीं.
निकिता मुंबई में रहती हैं. वह महाराष्ट्र और गोवा स्टेट बार काउंसिल में रजिस्टर्ड है. वह सोशल जस्टिस और क्लाइमेट एक्टिविस्ट है. उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल कहती है कि वे बॉम्बे हाईकोर्ट में एडवोकेट हैं. दिल्ली पुलिस का कहना है कि निकिता ने दिशा और शांतनु के साथ मिलकर टूलकिट बनाई और एडिट की थी. इसके अलावा धालीवाल के संगठन के साथ हुई वर्चुअल मीटिंग में भी निकिता शामिल थी. 11 फरवरी को दिल्ली पुलिस की साइबर सेल की एक टीम मुंबई के गोरेगांव में निकिता के घर गई और वहां रखे गैजेट्स की छानबीन की. इसी छानबीन में ये खुलासे हुए. बाद में जब टीम उसकी गिरफ्तारी के लिए पहुंचीं, तो निकिता घर पर नहीं मिली.
निकिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में ट्रांजिट बेल की अर्जी दायर की है. उसने 4 हफ्ते की अग्रिम जमानत मांगी है ताकि वह दिल्ली की अदालत में अर्जी दाखिल कर सके. निकिता का कहना है कि वह जांच में सहयोग कर चुकी है और उस पर लगे आरोप बेबुनियाद हैं. मीडिया ट्रायल और राजनीतिक बदले के तौर पर उसे गिरफ्तार करने की कोशिशें हो रही हैं.