मुंबई (तेज़ समाचार डेस्क): जब भी कभी किसी को की सजा सुनाई जाती है तो उसके बाद जज अपनी कलम तोड़ देते हैं।कई बार आपने हिंदी सिनेमा में देखा होगा कि जब कोई जज किसी मुजरिम को फांसी या मौत की सजा सुनाता है तो उसके तुरंत बाद वह पेन की निब तोड़ देता है। आखिर इसके पीछे क्या कारण है
पिछले 10 वर्षो में 1,303 को सजा ए मौत, फांसी महज 3 को फांसी की सजा सुनाते ही कलम तोड़ने की प्रथा आज से नहीं बल्कि अंग्रेजों के जमाने से चलता रहा है। जब भारत में ब्रिटिश हुकूमत थी तभी भी सजा सुनाने के बाद कलम को तोड़ा जाता था, लेकिन आप सोच रहे होंगे कि आखिर का सजा और कलम का क्या संबंध है।
जिस तरह कलम से लिखी हुई बात को कोई मिटा नहीं सकता उसी तरह कोर्ट के द्वारा दी हुई सजा को कोई भी ताकत नहीं रोक सकता है। वही जिस कलम से आरोपी को फांसी की सजा सुनाई जाती है उसे जज के द्वारा इसलिए तोड़ दिया जाता है कि दोबारा इस कलम से फिर किसी को फांसी की सजा नहीं मिले और ना ही कोई इस तरह का अपराध करें। उल्लेखनीय है कि फांसी की सजा दुनिया की सभी सजाओं में सबसे बड़ी सजा होती है। जिसे किसी आम अपराधी को नहीं सुनाया जाता है।
यह सजा किसी जघन्य अपराध की घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों को सुनाई जाती है। सजा मुकर्रर होने के बाद कलम तोड़ने का एक और भी कारण बताया जाता है । जिसके मुताबिक जब भी किसी जघन्य अपराध करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा मुकर्रर होती है तो उसकी जिंदगी समाप्त हो जाती है। एक इंसान की जिंदगी को समाप्त होने के बाद जज द्वारा कलम तोड़ दिया जाता है।
फांसी की सजा सुनाने से पहले उस सजा पर जज के द्वारा जिस कलम से हस्ताक्षर किया जाता है उसे तोड़ने का कारण यह भी माना जाता है कि यही कलम है जिसने उस शख्स की मौत लिखी है। वही किसी की जान लेने के कारण अपने आपको प्रायश्चित कराने के लिए जज के द्वारा कलम की निब तोड़ दी जाती है।