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आतंकवाद रोकने शिक्षकों की भूमिका अहम – डॉ.सत्यपाल सिंह

Tez Samachar by Tez Samachar
January 13, 2018
in Featured, पुणे
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आतंकवाद रोकने शिक्षकों की भूमिका अहम – डॉ.सत्यपाल सिंह
पुणे  ( तेज़ समाचार ब्यूरो ) –  समाज में बढते आतंकवाद तथा आपराधीक घटनाओं को रोकने के लिए नैतिक शिक्षा उपलब्ध करना जरूरी है. शिक्षक ही इस जिम्मेदारी को प्रभाव रूप से अंमल में ला सकते है. अब शिक्षकों के कंदो पर यह जिम्मेदारी है कि वे देश में चारित्र्य सम्पन्न नागरिकों का निर्माण करे. समाज को दिशा देनेवाले शिक्षकों के सशक्तीकरण के लिए केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सकारात्मक कदम उठाने की शुरूआत की है. ऐसे विचार केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने एमआइटी विश्‍वशांति विश्‍वविद्यालय के एमआइटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट (मिटसॉग) की ओर से आयोजित दूसरे नेशनल टीचर्स कांग्रेस के समापन समारोह रखे.
इस मौके पर एशियन हेरिटेज फाउंडेशन के संस्थापक पद्मभूषण राजीव सेठी, अल्का सिंग, एमआइटी विश्‍वशांति विश्‍वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. विश्‍वनाथ दा. कराड, कार्याध्यक्ष प्रा. राहुल विश्‍वनाथ कराड, नानीक रूपानी, प्रा. शरदचंद्र दराडे पाटिल, पं.वसंतराव गाडगील, डॉ. जय गोरे, वैज्ञानिक अशोक जोशी, प्रा. दिपक आपटे,  प्राचार्य महासंघ के उपाध्यक्ष प्रा. नंदकुमार निकम, डॉ. रवीकुमार चिटणीस, डॉ.एल. के.क्षीरसागर आदी उपस्थित थे.
यहां पर केन्द्रीय लोकसेवा आयोग के पूर्व चेयरमन डी.पी.अग्रवाल को जीवनगौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पुरस्कार के रूप में उन्हें सम्मानपत्र, शाल और संत ज्ञानेश्‍वर की प्रतिमा प्रदान की गई.
डॉ.सत्यपाल सिंग ने कहा, वर्तमान दौर में डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक और पत्रकार जैसे लोग खुदकुशी कर रहे है. इससे यह साबित होता है कि समाज का स्वास्थ्य खतरे में आया है. केन्द्र सरकार ने स्वच्छ अभियान को चलाते हुए  अंतर्मन की सफाई पर जोर दिया है. जीवन में नैतिक मूल्यों को उतारने लिए शिक्षकों को आगे आना होगा. चाणक्य के अनुसार शिक्षक यह विध्वसंक तथा विधायक जैसी दोहरी भूमिका निभा सकते है. देश के युवाओं को सहीं दिशा देने के लिए  बेहतरीन शिक्षक और शिक्षा व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. आज केवल 10 प्रतिशत संस्था ही बेहतरीन कार्य कर रही है. साथ ही 40 प्रतिशत से अधिक संस्था भ्रष्ट्राचार की दलदल में फंसी है. शिक्षा के मा ध्यम से ही भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए हमें आगे आना होगा. जहां संस्था व सरकार अच्छा कार्य करती है वहा लक्ष्य केन्द्रीत करना है.  जिससे सृजनशील, संशोधन और अध्यात्म के संगम से चारित्र्यसम्पन्न नागरिकों का निर्माण कर सकते है. मेकॉल ने आदर्श भारतीय शिक्षा व्यवस्था को छेदते हुए गुलामगीरी निर्माण करनेवाली व्यवस्था लाई. स्वतंत्रता के 70 साल बाद भी हम अब तक संभल नही पाए है. केन्द्र सरकार इस शिक्षा व्यवस्था के पूनर्निमाण के लिए प्रयास कर रही है. 2023 तक संकल्पसिद्धी के माध्यम से भ्रष्टाचार मुक्त, स्वच्छ, सुशिक्षीत भारत का निर्माण करेंगे.
राजीव सेठी ने कहा, राष्ट्रनिर्माण में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. बच्चों का अच्छा पालन पोषण करने पर वे कल के अच्छे नागरिक बन सकते है. शिक्षकों के सामने यह चुनौती है कि छात्रों में जिज्ञासा पैदा करे. जिस तरह शिक्षीत युवा बाहर निकलते है उतने बडे पैमाने पर रोजगार उपलब्ध नही होता. देश में चिंता की यह बात है कि चतुर्थ श्रेणी पद के लिए स्नातक तथा स्नातकोत्तर छात्र आवेदन करते है. इसलिए देश में ऐसी निती को तैयार करना होगा जिसमें छात्रों का सर्वांगिण विकास हो.
जीवन गौरव पुरस्कार स्विकारने के बाद डी.पी.अगरवाल ने कहा, इस मंच पर सम्मान होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है. भविष्य में अच्छा कार्य करने का प्रयास करता रहूंगा. शिक्षकों का यह कार्य है कि वे छात्रों के साथ संवाद, सौहार्दा के संबंध रखे. साथ ही नवीनता, कल्पना तथा रिसर्च पर देने का प्रयास करे.
डॉ.विश्‍वनाथ दा. कराड ने कहा, छात्रों में भारतीय अस्मिता जगाने के लिए सबको प्रयास करना है. स्वामी विवेकानंदनुसार 21वीं सदी भारत की होगी. विश्‍व के सामने भारत ज्ञान के दालन के रूप में उभरकर सामने आएगा. ऐसे समय भारतीय संस्कृती, अस्मिता और पारंपारिक शिक्षा पद्धतीचा प्रचार प्रसार दुनिया में करना है. कई देश वैदिक शिक्षा की ओर मुड रहे है. ऐसे समय उन्हें मार्गदर्शन करने के लिए हमे तैयार रहना है. सभी तरह के शिक्षकों के लिए किसी संस्था की जरूरत है, जिसके लिए हम प्रयास कर रहे है.
 प्रा. राहुल विश्‍वनाथ कराड ने कहा, इस मंच का मुख्य उद्देश्य यही है कि यहां पर विद्यार्थी, शिक्षक और महिलाओं के विचारों का आदान प्रदान हो. जिससे नवनिर्माण हो. यहां पर देश विदेश से पधारे शिक्षकों के चलते इस टीचर्स कांग्रेस को अलग दर्जा मिला है. यहां शिक्षकों के सशक्तीकरण को दिशा मिलेगी. यहां पर शिक्षा क्षेत्र की कई समस्या को रखा गया है. जिसे केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से छुडाने के लिए सहयोग करे.
कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रा.दीपक आपटे ने की. प्रा. गौतम बापट और आरती परब ने सूत्रसंचालन किया. डॉ.एल.के क्षीरसागर ने आभार माना.
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