गया ( तेज समाचार प्रतिनिधि )- बिहार गया के बहुचर्चित आदित्य सचदेवा हत्याकांड में बुधवार को न्यायलय ने अपना फैसला सुनाते हुए मुख्य अभियुक्त रॉकी यादव व तीन अन्य को सजा सुनाई.
न्यायाधीश सच्चिदानंद सिंह की अदालत ने सजा सुनाते हुए हत्या के दोषी करार मुख्य अभियुक्त रॉकी यादव, उसके सहयोगी व चचेरे भाई टेनी यादव और जदयू से निलंबित विधान पार्षद मनोरमा देवी के बॉडीगार्ड राजेश कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनायी जबकि हत्या के इसी मामले में रॉकी के पिता बिंदी यादव को पांच साल की सजा दी गयी. न्यायधीश ने रॉकी पर एक लाख का आर्थिक दंड भी लगाया है.
इससे पहले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद गया के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश सच्चिदानंद प्रसाद सिंह की अदालत ने 31 अगस्त को अपना फैसला सुनाते हुए चारों आराेपियों को दोषी करार दिया था. इस हाई प्रोफाइल मामले में मुख्य आरोपी रॉकी यादव जदयू की निलंबित एमएलसी मनोरमा देवी का बेटा है. रॉकी यादव पर 12वीं के छात्र आदित्य सचदेवा की गोली मारकर हत्या करने का आरोप था. रॉकी यादव ने आदित्य सचदेवा की हत्या सिर्फ इस बात पर कर दी थी गई थी कि उसने रॉकी की कार को ओवरटेक करने के लिए रास्ता नहीं दिया था. विगत 7 मई, 2016 की इस घटना में आदित्य अपने दोस्तों के साथ बोधगया से गया अपनी ही कार से लौट रहा था. सफर के दौरान रास्ते में रॉकी यादव से साइड देने को लेकर झगड़ा हुआ और रॉकी ने उसे गोली मार दी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए निर्देश दिया था कि 11 सितंबर से पहले इस मामले में फैसला आ जाना चाहिए.
वहीँ मामले की जांच के लिए एसआइटी का गठन किया गया था. जिसने आदित्य की गाड़ी सहित, खून के धब्बे और रॉकी की जब्त पिस्टल को भी फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा था. मामले में रॉकी यादव के साथ रहे टेनी यादव और एमएलसी एक बॉडीगार्ड को भी रॉकी के साथ जेल भेजा गया था.हालांकि आदित्य के दोस्त गवाही से मुकर गए थे, फिर भी न्यायलय ने रोकी की पिस्टल से गोली चलने के साबुत को मानते हुए उसे दोषी करार दिया. अदालत ने मामले में रॉकी के पिता बिंदी यादव और बॉडीगार्ड को भी दोषी करार दिया था. अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सच्चिदानंद प्रसाद सिंह की अदालत ने मुख्य अभियुक्त रॉकी यादव को आइपीसी की धारा 302 के तहत दोषी करार दिया. इसके अलावा चचेरे भाई टेनी यादव और बॉडीगार्ड को भी आइपीसी के तहत दोषी ठहराया था और पिता को धारा 212 के तहत आरोपी को शरण देने का दोषी करार दिया था.