धुलिया (तेज़ समाचार के लिए वाहिद ककर )बचपन और पचपन एक समान होता है । यह दृश्य ज़िला परिषद में देखने को मिला जिस तरह मैदान में बिखरी इमली बटोरने बचपन में स्कूली छात्रा दौड़ पड़ते थे उसी तरह जिला परिषद में गिरी इमली की टहनी से इमलिया बटोरने कर्मी सब कुछ भूल कर इमली बटोर ने लगे । आज के आधुनिक युग में ज़िला लापता हुए भारतीय संस्कृति और बचपन की यादें ताज़ा होने का अनुभव इमली से लदी हुई टहनी ने शहर स्थित ज़िला परिषद कर्मियों के द्वारा देखने मिला ।

ताजा हुई बचपन की यादें अधिकारियों से लेकर छोटे कर्मचारीयो ने भी लुटा इमली बीन कर खाने का स्वाद मंगलवार दोपहर के समय हवा के एक तेज झोंके से इमलिया से लदी हुई एक टहनी टूट कर ज़िला परिषद सर्वशिक्षा अभियान के कार्यालय के सामने धम से गिरी जिसकी आवाज सुनकर आसपास के कर्मी दौड़ पड़े जैसे बचपन में दरमियानी पैशाब पानी की छुट्टी के दौरान मैदान की ओर दौड़ पड़ते थे ।

मंगलवार की दोपहर तीन से साढे तीन बजे के बीच ज़िला परिषद कार्यालय परिसर में अचानक से इमली की टूटी टहनी में लगी इमली के बूटों को चुनने के लिए कर्मी एक दम से सब कुछ भूल कर बचपन में खो गए जिस के हाथ में जो मिला प्लास्टिक की कैरी बैग डिब्बों आदि में जमीन पर गिरी हुई इमली बटोरने और एक दूसरे से बचपन में गुजरे जमाने की यादें ताजा करने लगें एक अधिकारी ने तो यहाँ तक कहा कि स्कूल के जमाने में स्कूल की घन्टी की आवाज सुनकर मध्यम अवकाश के दौरान मैदान में लगे इमली के पेड़ से इमली तोड़ कर खाने की यादें ताजा हो गई । इस मौके पर जिन्हें इमली के टहनी गिरने से परिसर में इमली बिखरी पड़ी होने की खबर नहीं लगी उन्हें भी इमली बटोर कर उन तक इमली पहुंचाई गई ।

ताजा हुई बचपन की यादें अधिकारियों से लेकर छोटे कर्मचारीयो ने भी लुटा इमली बीन कर खाने का स्वाद मंगलवार दोपहर के समय हवा के एक तेज झोंके से इमलिया से लदी हुई एक टहनी टूट कर ज़िला परिषद सर्वशिक्षा अभियान के कार्यालय के सामने धम से गिरी जिसकी आवाज सुनकर आसपास के कर्मी दौड़ पड़े जैसे बचपन में दरमियानी पैशाब पानी की छुट्टी के दौरान मैदान की ओर दौड़ पड़ते थे ।

मंगलवार की दोपहर तीन से साढे तीन बजे के बीच ज़िला परिषद कार्यालय परिसर में अचानक से इमली की टूटी टहनी में लगी इमली के बूटों को चुनने के लिए कर्मी एक दम से सब कुछ भूल कर बचपन में खो गए जिस के हाथ में जो मिला प्लास्टिक की कैरी बैग डिब्बों आदि में जमीन पर गिरी हुई इमली बटोरने और एक दूसरे से बचपन में गुजरे जमाने की यादें ताजा करने लगें एक अधिकारी ने तो यहाँ तक कहा कि स्कूल के जमाने में स्कूल की घन्टी की आवाज सुनकर मध्यम अवकाश के दौरान मैदान में लगे इमली के पेड़ से इमली तोड़ कर खाने की यादें ताजा हो गई । इस मौके पर जिन्हें इमली के टहनी गिरने से परिसर में इमली बिखरी पड़ी होने की खबर नहीं लगी उन्हें भी इमली बटोर कर उन तक इमली पहुंचाई गई ।
