लखनऊ (तेज समाचार प्रतिनिधि) उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने खुले मंच से वादा किया था कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही पहली ही कैबिनेट बैठक में किसानों की कर्ज माफी कर दी जाएगी. अपने इस वादे को पूरा करते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मंगलवार को संपन्न हुई पहली कैबिनेट बैठक में प्रदेश के किसानों का 1 लाख तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की है.
प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद से लगातार आश्चर्यजनक और फटाफट फैसले लिए जा रहे है. योगी ने पहले ही घोषणा कर दी गई थी कि भाजपा अपने वादों को पूरा करेगी और घोषणापत्र के अनुसार ही काम करेगी, इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए. योगी ने ऐसा करके भी दिखाया है. वादे के अनुसार योगी ने पहली ही कैबिनेट बैठक में बिना किसी लागलपेट के किसानों का 1 लाख तक का कर्ज काम करने की घोषणा कर दी है. इससे सरकार पर करीबन 36 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ आएगा.
– 1.50 करोड़ किसानों पर लगभग 62 हजार करोड़ का कर्ज
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में 2.33 करोड़ किसान हैं. इनमें 1.85 करोड़ सीमांत और लगभग तीस लाख लघु किसान हैं. इस हिसाब से सूबे में लघु व सीमांत किसानों की संख्या 2.15 करोड़ है. सीमांत किसान वे होते हैं जिनकी अधिकतम जोत एक हेक्टेयर तक होती है. वहीं लघु श्रेणी के किसान वे होते हैं जिनकी जोत एक से दो हेक्टेयर तक होती है.
यूपी के करीब 1.50 करोड़ किसानों पर लगभग 62 हजार करोड़ रुपयों का कर्ज है. कर्ज का आंकड़ा यूपी के मौजूदा बजट का एक चौथाई हिस्सा है. वर्ष 2013-14-15-16 में भयंकर सूखा अकाल की स्थिति का सामना यूपी के किसानो ने किया है. सूखा से लघु एवं सीमांत किसानों की माली हालत खराब हो गई. बुलंदेलखंड के 14.86 लाख किसानों की स्थिति सबसे ज्यादा भयावह हो गई. इस पर योगी सरकार ने गौर किया है. यूपी में लघु एवं सीमांत किसानों की कुल संख्या 2.15 करोड़ है. सीमांत किसान 2.5 एकड़ भूमि या 1 हेक्टेयर से कम है. लघु किसान 2 हेक्टेयर या 5 एकड़ से कम भूमि वाले माने जाते हैं.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक की है. इस बैठक में उन्होंने कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो रही है. किसानों की कर्ज माफी की बात करें तो यह मुद्दा भाजपा के संकल्प पत्र में सबसे प्रमुख था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लगभग सभी रैलियों और जनसभाओं में यह बात कही थी कि सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में किसानों के कर्ज माफ किए जाएंगे.