भोपाल (तेज समाचार प्रतिनिधि). स्कूल, गुरुकुल, विद्यालय ऐसे शब्द है, जिनमें काफी विस्तार छिपा होता है. स्कूल शब्द सुनने के बाद व्यक्ति के दिमाग में जो तस्वीर उभरती है, वह है एक ऐसी इमारत जहां बच्चों के पढ़ने के लिए कई सारे कमरें बने हो, बड़ा सा मैदान, बड़ा सा दरवाजा. जब एक विद्यार्थी अपने स्कूल को छोड़ कर कॉलेज में चला जाता है, तब अपने साथ वह अपने स्कूल की अनमोल यादें लेकर जाता है. लेकिन आजकल ऐसे स्कूलों की कल्पना नहीं की जा सकती. क्योंकि आजकल कुछ लोगों ने पैसे बटोरने के लिए ऐसी-ऐसी जगह पर स्कूल खोल लिए है, जिसे स्कूल कहना स्कूल का अपमान करना है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए अब स्कूल शिक्षा विभाग ने मध्यप्रदेश माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शालाओं की मान्यता नियम 2017 लागू कर दिया है. अब केवल उन्हीं रजिस्टर्ड सोसायटी को प्राइवेट स्कूल खोलने की मान्यता मिलेगी, जिनके पास एक एकड़ जमीन होगी. इससे कम जमीन होने पर मान्यता प्रदान नहीं की जाएगी. इसके साथ ही स्कूलों को अब एक संगीत शिक्षक, खेल शिक्षक, प्रयोगशाला सहायक और एक कार्यालय सहायक के साथ ही एक सलाहकार रखना जरूरी होगा, जो मनोविज्ञान विषय में स्नातक हो या जिसके पास काउंसलिंग में डिप्लोमा का सट्रिफिकेट हो.
इस नियम के दायरे में मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल के तहत आने वाले सभी प्राइवेट स्कूल आएंगे. अभी तक लागू नियम में प्राइवेट स्कूलों के पास कक्षा 12वीं की मान्यता के लिए 5600 वर्ग फीट और कक्षा 10वीं की मान्यता के लिए 4000 वर्ग फीट तक जमीन होना जरूरी था. लेकिन इस बार सरकार ने जमीन की अनिवार्यता में संशोधन किया है. अधिकारियों की माने तो शासन की मंशा है कि प्रदेश में भले ही कम स्कूल खुले, लेकिन जो भी खुलें वे अच्छे हों. नए नियमों के तहत अब वे ही सोसायटी स्कूलों की मान्यता के लिए आवेदन करेंगी, जिनके पास पर्याप्त जमीन व राशि होगी. हालांकि, ऐसे स्कूल जिन्हें 2015 के नियमों के तहत मान्यता मिली है और जो इससे पहले से संचालित हैं उन्हें जमीन व भवन से संबंधित नियमों में एक साल तक की छूट दी जाएगी. छात्रों में बढ़ती खुदकुशी की घटनाओं को रोकने के लिए शासन ने प्रत्येक प्राइवेट स्कूलों में एक सलाहकार की नियुक्ति अनिवार्य कर दी है. नई मान्यता के साथ ही मान्यता वृद्धि मामले में अंतिम फैसला संभागीय संयुक्त संचालक द्वारा लिया जाएगा. 160 छात्रों की क्षमता वाले हाईस्कूल में एक प्राचार्य के साथ ही छह शिक्षक रखना अनिवार्य होगा. प्रत्येक 45 छात्रों पर एक अतिरिक्त शिक्षक रखना होगा. प्रत्येक स्कूल में एक प्रयोगशाला सहायक व कार्यालय सहायक के साथ ही संगीत, खेल प्रशिक्षक व काउंसलर रखना अनिवार्य होगा.