पुणे (तेज समाचार डेस्क). किसानों को आर या पार की भूमिका लेने का सलाह देनेवाले शरद पवार की नीयत ही किसानों को लेकर खोटी है. अगर वे किसानों के हितैषी होते, तो जब वे केंद्र में यूपीए की सरकार में दस साल तक कृषिमंत्री थे, तब उन्होंने क्यों नहीं किसानों की समस्याओं का निपटारा किया. पर तब तो उन्हें किसानों की ओर देखने का समय नहीं था. तब वे आईपीएल में व्यस्त थे. पर जब वे सत्ता से बेदखल हो गए, तो उनको किसानों की याद आ रही है. अब वे किसानों को भड़का रहे हैं. उक्त हमला राज्य कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष पाशा पटेल ने बोला.
– जब सत्ता में थे, तब सुख भोगते रहे पवार
किसानों के हड़ताल को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार ने किसानों को सलाह दी थी. इसकी पटेल ने जमकर खबर ली. उन्होंने कहा कि किसानों के प्रति मौजूदा सरकार की नियत को देखने वाले शरद पवार पहले यह उत्तर दें कि अनेक वर्षों तक किसानों के नाम पर राजनीति कर सत्ता का सुख भोगनेवाले शरद पवार के कार्यकाल में उनकी अवस्था इतनी विकट क्यों हुई. उन्होंने कहा कि अभ्यासक पी. साईनाथ द्वारा जारी किए गए रपट के अनुसार महाराष्ट्र में भाजप की सरकार बनने से पहले वर्ष 2013 में एक ही साल में कम से कम 3,146 किसानों ने आत्महत्या की थी. जबकि वर्ष 2004 से 2013 कालावधि में राज्य में हर साल औसतन 3,685 किसानों ने आत्महत्या कर ली. यानी दस वर्ष में हर रोज दस किसानों ने आत्महत्या कर ली. जबकि शरद पवार के देश के कृषिमंत्री होने पर इस राज्य के किसानों की स्थिति और खराब हो गई.
– बौखला गए है शरद पवार
उन्होंने कहा कि शरद पवार करीब पचास साल सत्ता में रहे. चार बार वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हुए. दस साल तक वे देश के कृषि मंत्री रहे. पंद्रह साल तक राज्य में उनके दल की गठबंधन की सरकार रही. तब किसानों को समृद्ध्रा करने के उपाय नहीं हुए. इसलिए किसान रस्ते पर आए. किसानों की समस्याएं सुलझाने के नाम पर सत्ता में आनेवाले लोग सत्ता में आने के बाद किसानों की ही जमीनें छीन लेते थे. शरद पवार के साथियों ने यही व्यवसाय किया. इसीलिए लोगों ने पंचायत से पार्लियामेंट तक उन्हें उनकी औकात दिखा दी. जनता का उनसे विश्वास उठ गया इसलिए उन्होंने अब किसानों को भड़का कर फिर से सत्ता में आने का कुचर्क रचा है.
– नरेन्द्र-देवेन्द्र की नीयत साफ
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्ववाली राज्य सरकार की नियत बिल्कुल साफ है. वर्तमान में किसान जो मुसीबत झेल रहे हैं, वे पूर्व सरकार के पाप है. लेकिन केन्द्र व राज्य सरकार ने सत्ता में आते ही किसानों की समस्याओं को हल करने का पूरा प्रयास किया है. राज्य के अकाल पीड़ित किसानों को केंद्र सरकार द्वारा अब तक की सबसे बड़ी मदद दी है और राज्य सरकार ने लाखों किसानों के लिए पारदर्शी कर्जमाफी योजना इसके दो स्पष्ट उदाहरण है. सरकार ने किसानों के लिए अच्छे मन से किए गए कामों की सूचि बनाई जा सकती है, लेकिन सत्ता जाने से बौखलाए शरद पवार को सरकार की नियत में खोट नजर आ रहा है. इसलिए मेरी किसानों से गुजारिश है कि वे शरद पवार व अन्य विरोधियों के बहकावे में न आए.
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