दि हेग (तेज समाचार डेस्क). जैसा की पूरा विश्व जानता है कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से कभी भी बाज नहीं आ सकता. अपनी इसी फितरत के तहत पाकिस्तान भारत के पूर्व नेवी आफिसर कुलभूषण जाधव को अंतरराष्ट्रीय अदालत में दलीले सुनने के पहले ही फांसी दे सकता है. भारत ने आशंका जताई है कि पाकिस्तान सुनवाई पूरी होने से पहले ही उसके नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में फांसी दी जा सकती है. भारत के वकील हरीश साल्वे ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में सोमवार 15 मई को यह बात कही.
साल्वे ने कहा कि जाधव को तीन मार्च को गिरफ्तार किया गया था और जासूसी एवं विध्वंसक गतिविधियों के आरोपों में उन्हें सजा-ए-मौत सुनाई गई है. उनसे जब इकबालिया बयान दिलवाया गया, तब वह पाकिस्तान की सैन्य हिरासत में थे.
जैसे ही आईसीजे में जाधव मामले की सुनवाई शुरू हुई, भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने पूरी दुनिया में ‘बुनियादी’ माने जाने वाले मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ा दी है. भारत ने आईसीजे से कहा कि हम जाधव के लिए उचित कानूनी प्रतिनिधित्व चाहते हैं. संयुक्त राष्ट्र की मुख्य न्यायिक संस्था ने जाधव की मौत की सजा पर रोक लगा दी है.
– वियना कन्वेंशन का लगाया आरोप
भारत ने आठ मई को पाकिस्तान पर कूटनीतिक रिश्तों पर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए सजा-ए- मौत को तत्काल रोकने की अपील की और कहा कि पाकिस्तान ने जाधव की कूटनीतिक पहुंच के उसके 16 आग्रह ठुकरा दिए. भारत ने कहा कि 46 वर्षीय जाधव को राजनयिक मदद के सभी आग्रह ‘अनसुने’ कर दिए गए.
साल्वे ने अदालत से कहा कि मौजूदा परिस्थिति बहुत गंभीर है और यही कारण है कि भारत आईसीजे का हस्तक्षेप चाहता है. उन्होंने पाकिस्तान में जाधव के खिलाफ सुनवाई प्रक्रिया को ‘हास्यास्पद’ बताया और कहा कि पाकिस्तान ने अपने बेटे से मिलने के जाधव की मां के आग्रह का जवाब नहीं दिया.
पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों के संबंध में भारतीय नागरिक जाधव को सजा-ए- मौत सुनाई थी. भारत ने आठ मई को उसके खिलाफ आईसीजे में अपील दायर की थी. अपील के अगले दिन आईसीजे ने सजा पर स्थगनादेश लगा दिया. आईसीजे में की गई अपील में भारत ने कहा कि जाधव का ईरान से अपहरण कर लिया गया जहां वह भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद व्यवसाय कर रहे थे. बहरहाल भारत ने इस बात से इंकार किया कि उनका सरकार से कोई रिश्ता है.
पाकिस्तान का दावा है कि उसने जाधव को अशांत बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था. आईसीजे में भारत और पाकिस्तान के बीच करीब 18 वर्ष पहले मुकदमा चला था जब इस्लामाबाद ने अपनी नौसेना के विमान को मार गिराए जाने के मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से हस्तक्षेप करने की मांग की थी.
साल्वे ने कहा कि विएन संधि के प्रावधानों के मुताबिक, प्रत्येक कैदी के पास अधिकार है कि उसकी सुनवाई स्वतंत्र अदालत में हो, जिसे कानून के माध्यम से स्थापित किया गया हो और उसपर मुकदमा उसकी मौजूदगी में चलना चाहिए तथा आरोपी को अपना बचाव करने के लिए कानूनी सहायता दी जानी चाहिए. जाधव के मामले में मानवाधिकार के समस्त प्रावधानों की धज्जियां उड़ाई गईं.
उन्होंने कहा कि भारत द्वारा पेश किए गए तथ्यों ने सुनवाई की प्रकृति के आधार पर यह स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र तथा विएना संधि के समस्त सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया साल्वे ने अतीत के उन तीन मामलों का जिक्र किया, जिनमें आईसीजे ने हस्तक्षेप किया था. पराग्वे बनाम अमेरिका के मामले में अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि अमेरिकी सरकार को पराग्वे के नागरिक को राजनयिक संपर्क सुनिश्चित करने को लेकर कदम उठाने की जरूरत है.
साल्वे ने कहा कि जर्मनी बनाम अमेरिका के मामले में अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि जर्मनी के एक नागरिक को सुनाई गई मौत की सजा ‘न्याय की अपूरणीय क्षति’ है. उन्होंने अमेरिका बनाम मेक्सिको के एक मामले का भी संदर्भ दिया, जिसमें मौत की सजा के पाए मेक्सिको के 54 लोगों की जिंदगी दांव पर लग गई थी. अदालत द्वारा पाकिस्तान की जिरह सुनने के लिए तीन घंटे के अंतराल की घोषणा करने के बाद साल्वे ने अदालत से बाहर संवाददाताओं से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत को न्याय मिलेगा.
भारतीय अधिकारी दीपक मित्तल ने बहस की शुरुआत करते हुए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से कहा, जाधव को न तो अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करने का मौका दिया गया और न ही उन्हें राजनयिक संपर्क मुहैया कराया गया. आशंका है कि इस मामले में आईसीजे का फैसला आने से पहले ही उनकी मौत की सजा पर अमल किया जा सकता है. मित्तल ने कार्यवाही की अध्यक्षता कर रहे आईसीजे के अध्यक्ष रॉनी अब्राहम के समक्ष कहा कि भारत ने पाकिस्तान से जाधव तक राजनयिक संपर्क प्रदान करने के लिए कई बार आग्रह किया, लेकिन इस्लामाबाद ने हर बार इनकार किया.
मित्तल ने अदालत से कहा, भारत को प्रेस रिपोर्ट से जानकारी मिली कि जाधव को मौत की सजा एक कथित कबूलनामे के आधार पर दी गई है. भारत के कई बार आग्रह करने के बावजूद पाकिस्तान ने मामले का आरोप-पत्र तथा मामले से संबंधित किसी भी प्रकार के दस्तावेज मुहैया नहीं कराए.” उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट है कि जाधव को उनके कानूनी अधिकार से वंचित किया गया. जाधव के माता-पिता ने पाकिस्तान जाने के लिए वीजा आवेदन दिया, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई.
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव तथा सह-एजेंट वी.डी.शर्मा ने कहा कि मार्च 2016 में जाधव की गिरफ्तारी के बाद उसे राजनयिक संपर्क प्रदान करने से इनकार करके पाकिस्तान अपने सभी कानूनी उत्तरदायित्वों का पालन करने में नाकाम रहा. शर्मा ने अदालत से यह भी मांग की है कि वह सैन्य अदालत द्वारा जाधव को दी गई मौत की सजा पर अमल करने से पाकिस्तान को रोके तथा उसके फैसले को अवैध करार देने का निर्देश दे.