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केसर की खेती से महका महाराष्ट्र के आदिवासी किसान का जीवन

Tez Samachar by Tez Samachar
April 8, 2017
in प्रदेश
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कलवण. परिस्थितियों पर रोने से अच्छा है कि या तो उस परिस्थिति का सामना किया जाए या फिर कुछ ऐसा नया किया जाए, जो दुखद परिस्थितियों से हमें उबार सके. आज की स्थिति में किसान प्याज, टमाटर के साथ अन्य कृषि फसल को सही दाम न मिलने से चिंता में डूबे हैं. ऐसे में कलवण तहसील के बोरदैवत स्थित आदिवासी किसान चिंतामण पवार ने अपने भाई अनिल और राजेंद्र की मदद से पारंपरिक खेती की बजाए आधे एकड़ में केसर की खेती की. इस अनूठे प्रयोग से खेत-खलिहान खिल गया है. इस संदर्भ में अधिक जानकारी देते हुए उन्होंने कहा मध्यप्रदेश के रतलाम स्थित किसान के विचार समाचार पत्र में पढ़ने के बाद हमने इस फसल की जानकारी के लिए महाराष्ट्र सरकार के किसान हेल्पलाईन की मदद लेकर मध्यप्रदेश के किसान से संपर्क किया. इसके बाद हमने 10 हजार रुपए के 100 ग्राम अमेरीकन हायब्रिड केसर इस प्रजाति का बीज खरीदकर कोकोनट ट्रे में पौंधे तैयार कर आधे एकड़ क्षेत्र में लगाए. केसर के पेड़ 5 फुट तक बढ़ते हैं.

5 माह में उत्पादन होता है. इस फसल को ठंड माहौल की जरूरत होती है. सितंबर से मार्च यह समय इस फसल के लिए सही समय है. केसर का फूल आने के बाद पहले दिन पीले रंग का होता है. तीसरे दिन उसका रंग केसरी हो जाता है. इसके बाद तुरंत इस फूल को तोड़ना पड़ता है. इस फसल पर समय पर ध्यान देना पड़ता है. फसल के लिए किसी भी रासायनिक खाद की जरूरत नहीं है. केसर की फसल आम तौर पर कश्मीर, मध्य प्रदेश, राजस्थान में होती है. केसर की फसल करने का यह नाशिक जिले में पहला प्रयोग है. 5 माह में होने वाली इस फसल को आधा एकड़ के लिए 30 हजार रुपए खर्च होता है. 25 किलो केशर का उत्पादन होता है. इस फसल को 40 हजार से 1 लाख रुपए किलो मिल सकता है. केशर का दर्जा निश्चित करने के लिए मुंबई स्थित प्रयोगशाला में भेजना पड़ता है. यहां से रिपोर्ट मिलने के बाद भाव निश्चित होता है.

Tags: Kalvan Newskesar farming
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