पुणे (तेज समाचार डेस्क). गुजरे जमाने वरिष्ठ फिल्म निर्माता व निर्देशक राजेश नंदा का आकुर्डी के एक वृद्धाश्रम में 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. बताया जाता है कि पिछले अनेक वर्षों से नंदा के उनके परिजनों और रिश्तेदारों से संबंध टूटा हुआ था. यहां तक कि शनिवार 20 मई की रात उनकी मृत्यु के बाद जब आश्रम की ओर से उनके परिजनों को सूचित किया गया, तब भी कोई उनके अंतिम संस्कार के लिए नहीं आया.
राजेश नंदा 60-70 के दशक के जानेमाने निर्माता-निर्देशक थे. हालांकि उन्होंने काफी कम फिल्में बनाई, लेकिन उनकी कला शैली ने उन्हें फिल्म जगत में उस जमाने में दिग्गजों की कतार में खड़ा कर दिया था. १९६२ में आयी पीक पॉकेट और १९६५ में आयी संत तुकाराम नामक फिल्म का निर्देशन उन्होंने किा था. इसके बाद १९६९ में उन्होंने विनोद खन्ना को लेकर नतीजा नामक हिंदी फिल्म बनाई थी. इस फिल्म में विनोद खन्ना के साथ जुनियर मेहमूद, बिंदु ने भी काम किया था. इसके बाद राजेश नंदा ने धीरज कुमार और हेलन को लेकर १९७१ में बहरूपिया फिल्म बनाई.
– अशोक खोसला लेकर आए थे वृद्धाश्रम में
सूत्रों के अनुसार करीब एक साल पहले राजेश नंदा को प्रसिद्ध शायर अशोक खोसला उन्हें आकुर्डी के संत बाबा मोनी साहेब वृद्ध आनंदाश्रम में लेकर आए थे. अशोक खोसला ही इस वृद्धाश्रम के संचालक है. राजेश नंदा की मृत्यु पर खोसला ने कहा कि एक साल पहले मुझे प्रसिद्ध कवि सुधाकर शर्मा का फोन आया था. उन्होंने मुझे बताया कि निर्देशक राजेश नंदा एक अस्पताल में भर्ती है. उनके पास उनका कोई रिश्तेदार आदि नहीं है. जब खोसला ने रिश्तेदारों के संपर्क करने की कोशिश की, तो उनकी ओर से कोई प्रतिसाद नहीं मिला. बाद में एक रिश्तेदार से संपर्क होने पर उसने पहचानने से भी इनकार कर दिया. इसके बाद मैं राजेश नंदा को लेकर वृद्धाश्रम आ गया. वे बीमार थे और आश्रम ने उनकी अंतिम समय तक पूरी तरह से देखभाल की.
वृद्धाश्रम के लिए सिफारिश करनेवाले प्रसिद्ध कवि सुधाकर शर्मा ने कहा कि हम उनकी देखभाल पिछले 15 वर्षों से कर रहे थे. इस दरम्यान राजेश नंदा का कोई रिश्तेदार उनसे मिलने नहीं आया. न ही नंदा ने अपने किसी रिश्तेदार के बारे में उन्हें बताया. इसके बाद हमने उन्हें खोसला के वृद्धाश्रम में भेज दिया था.
– भाई और भांजी ने लूट ली संपत्ति
बताया जाता है कि वृद्धाश्रम में आने के बाद नंदा ज्यादा किसी से बात नहीं करते थे. कभी कभी उनके मुंह से सिर्फ इतना ही निकलता था कि उनके भाई और भांजी ने उनकी संपत्ति लूट ली. शनिवार को उनकी मृत्यु के बाद उनके रिश्तेदारों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन किसी से भी संपर्क नहीं हो सका. इस कारण आश्रम की ओर से से राजेश नंदा का अंतिम संस्कार कर दिया गया.