जामनेर. तहसील क्षेत्र में मान्सून की वर्तमान कमजोरी के साथ बढ रही चिलचिलाती धुप से फसले बुरी तरह से प्रभावीत हो रही है. विगत साल मकई की बंपर पैदावार करने वाले सिमान्त किसानो ने इस बार कपास की व्यापक बुआई की है. वही टपक सिंचाई का उपयोग करते 30 फीसदी किसान भी कपास बुआई पर जोर देते दिखाई पड रहे है. कपास के फल धुप के कारण लाल पड रहे है. मौसम मे उमस के चलते सिंचाइ योग्य अतिरीक्त पानी और खाद पौधो को देने के बाद भी उत्पाद के अपेक्षित नतीजे किसानो को नामुमकिन से लग रहे है. क्षेत्र के मुख्य बाँधो मे अब तक केवल 30 फीसद जलभंडार उपलब्ध है. 12 टीएमसी क्षमता वाले वाघुर प्रकल्प में 70 प्रतीशत पानी है. कांग, वाघुर और सूर नदीयो को बाढ का पानी नसीब हि हुआ नही है. उडद, चना, चौली यह खेतो के आंतर बुआई वाले दालउत्पाद बाजार मे बिक्रि के लिए आ चुके है लेकीन शाश्वत समर्थन मूल्य नही मिल पा रहा है. इक्कादुक्का इलाको मे दिखाई देती केला बागान की जल जरुरत बिजली कटोती के वजह से पुरी नही हो पा रही है.
कर्जमाफी की जटीलताए-
सरकार द्वारा घोषित 1.5 लाख रुपयो तक की कर्जमाफी के जटील शर्तो वाले आनलाईन आवेदन के लिए सुत्रो के मुताबीक पात्र महज 20 फीसद किसानो को लोडशेडीग के चलते दिन रात सुविधा केन्द्रो के बाहर घंटो कतार में लगना पड रहा है. जिस से लोग बेहद परेशान है. चिकीत्सको के अनूसार इस साल खेती उत्पादो मे आ रही गिरावट काफी अधिक रहेगी, विजयादशमी, दिपावली जैसे बडे त्योहारो की तर्ज पर किसान और मजदुर वर्ग आर्थिक संकट से जुझ रहा है.