अकोला (तेजसमाचार ब्यूरो ) – सरकार की “पढेगा इंडिया बढेगा इंडिया” योजना जिला स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों के चलते धूमिल होती नज़र आ रही है । शिक्षा का स्तर बढाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा आये दिन नई नई योजनाओं का क्रियान्वन किया जाता है। किंतु शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी ही इन योजनाओ पर बट्टा लगा रहे है।
जिला शिक्षा विभाग के पास नहीं है फुर्सत –
तेजसमाचार ब्यूरो कार्यालय के माध्यम से जब शिक्षा अधिकारी से विद्यालय के बाहर बच्चों के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने इस संदर्भ मे जानकारी देने से इन्कार कर दिया, अधिक कुरेदने पर सम्बंधित विभाग ने बहानेबाजी कर मामले को टाल दिया ।
यदि जानकारी मांगने के सन्दर्भ में बात करें तो स्पष्ट हो रहा है कि सरकार की शिक्षा प्रोत्साहन से जुडी योजनायें सम्बंधित विभाग सिर्फ कागजो पर चला रहा है । विद्यालय से बाहर वंचित बच्चों के बारे में जानकारी न रखते हुए, उन को शिक्षा के मुलभुत अधिकार से दूर रखकर सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति की जा रही है । जिला शिक्षा विभाग पर किसी का नियंत्रण न होने से सरकार की योजनाऐ रामभरोसे चलती दिखाई दे रही हैं ।
शिक्षा का मूलभूत अधिकार –
विदित हो कि आजादी के 61 साल बाद 1 अप्रैल 2010 को भारत सरकार ने शिक्षा के अधिकार विधेयक को मंजूरी दी, जिससे 6 से 14 साल आयु वर्ग के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा पाना मौलिक अधिकार बन गया। इस अधिनियम के पारित होने से देश के हर बच्चे को शिक्षा पाने का सवैंधानिक अधिकार मिला। सरकार इस दिशा में प्रयास करते हुए करोड़ों रूपए खर्च कर रही है । लेकिन अकोला मे सरकार के इन्ही प्रयासों की धज्जियां उडाई जा रही है।
जिला शिक्षा अधिकारी अनजान –
जानकारी मिली है कि विद्यालय से बाहर शिक्षा के अधिकार से वंचित बच्चों की खोज करने और उन्हें प्रेरित करते हुए शिक्षा से जोड़ने के अभियान को अपने स्तर पर चलाते हुए सिर्फ प्रसार माध्यमों तक ही इसे रखा गया , इस सारे कार्य का कोई संकलन न किये जाने की बात भी उजागर हो रही है ।
इस सारी योजना को सुचारू करने के लिए अधिकारियों को चुस्त – दुरुस्त करने की आवश्यकता है । हैरत की बात यह है कि तकनिकी युग होने के बावजूद सूचनाओं का संकलन करने में भी विभाग को पसीना आ रहा है ।
जिला शिक्षा विभाग की ओर से डेटा एन्ट्री ऑपरेटरो की नियुक्ती की गई है जिसके वेतन पर सरकार लाखो रूपए खर्च करती है, फिर भी विभाग के पास विद्यालय से बाहर शिक्षा के अधिकार से वंचित बच्चों की जानकारी नहीं है ।
देवेन्द्र अवचार मीटिंग में –
जिला शिक्षा अधिकारी देवेन्द्र अवचार से जब इस सन्दर्भ में विगत एक वर्ष का लेखाजोखा माँगा गया तो वह कन्नी काट गए । तबसे वह लगातार ” आउट ऑफ़ रीच ” दिखाई दे रहे हैं, उनसे कभी मीटिंग में तो कभी बाहर हूँ, याँ फिर बाद में आना जैसी बाते सुनना अब आम बात हो गई है ।
बाल मजदूरी को मिल रहा बढ़ावा –
जिला शिक्षा अधिकारी की इस उदासीनता से अकोला जिले में बाल मजदूरी को बढ़ावा मिल रहा है । शहर मे कही भी चाय आदि की गुमटी , होटलों पर छोटू या पप्पू असानी से काम करते देखे जा सकते है ।
चाइल्ड राइट्स ऐंड यू की एक अनैलेसिस रिपोर्ट के अनुसार करोड़ों बच्चे देश की वर्कफोर्स का हिस्सा बन रहे हैं। बालमजदूरी के इस कर्म को खत्म करने में एक सदी से भी अधिक का समय लग सकता है। अनैलेसिस रिपोर्ट के अनुसार 2001 से 2011 के दौरान शहरों में बाल मजदूरी 53 प्रतिशत बढ़ी है। 80 प्रितिशत बच्चे शहरी इलाकों में मजदूरी कर रहे हैं जिसमें से हर चार में से तीसरा बच्चा घरेलू कामों में लगा है। यदि अकोला के इन अधिकारियों जैसा कर्तव्य दक्ष कार्य देश में होता रहेगा तो निश्चित ही बाल मजदूरी तेज़ी से बढती रहेगी।