दिल्ली (तेज समाचार प्रतिनिधि). एक समय दक्षिण भारत के जंगलों में आतंक का पर्याय बन चुके वीरप्पन की 30 वर्षों की सल्तनत को जिस आईपीएस ने मटियामेट कर दिया, अब वही जांबाज एक बार फिर रण भूमि में उतरने के लिए तैयार है. जी, हां. सुकमा में कायर नक्सलियों द्वारा घात लगा कर जिन सीआरपीएफ के 26 जवानों की हत्या कर दी थी, उन्हीं नक्सलियों के खात्मे के लिए रिटायर्ड आईपीएस विजय कुमार को सरकार ने बुलाया है. अब विजय कुमार देश के नक्सलियों का काल बन कर आ रहे हैं.
सुकमा नक्सली हमले के बाद एक्शन में आई सरकार ने नक्सलियों से निपटने के लिए नई रणनीति तैयार की है. नक्सलियों के खिलाफ अब न सिर्फ ऑपरेशन तेज किए जाएंगे बल्कि सर्जिकल स्ट्राइक की तरह नक्सलियों के बेस पर टारगेटेट अटैक्स भी होंगे. इसका जिम्मा सरकार ने उस अफसर को सौंपा है जिसने तेरह साल पहले तमिलनाडु में चंदन तस्कर वीरप्पन को ढेर किया था. जब छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों ने सीआरपीएफ जवानों का नरसंहार किया तो शहीद परिवारों के साथ-साथ पूरे देश से नक्सलियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई की मांग उठने लगी.
– गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लिया निर्णय
ऐसे में हमले के 48 घंटे बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पुलिस और सीआरपीएफ के आला अफसरों के साथ एक हाईलेवल मीटिंग की जिसमें ये तय हुआ कि हमले के मास्टरमाइंड हिडिमा और उसके खूंखार साथियों के खात्मे के लिए उसी आइपीएस को मैदान में उतारा जाए, जिसने वीरप्पन जैसे खूंखार तस्कर को मारा था. लिहाजा रिटायर्ड होने के बावजूद जाबांज के. विजय कुमार को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है. हिडिमा के खिलाफ इस ऑपरेशन में विजय कुमार के साथ सीआरपीएफ के एक्टिंग डीजी सुदीप लखटकिया भी होंगे.
– विजय कुमार को हर सुविधा के साथ खुली छूट
गृहमंत्री राजनाथ सिंह की ओर से खुली छूट मिलने के बाद अब के विजय कुमार सुकमा में 25 जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए कमर कस ली है. उन्होंने राजनाथ से साफ कह दिया है कि जो हाल वे वीरप्पन का कर चुके हैं, वहीं हाल सुकमा में जवानों को मारने वाले नक्सली नेता हिडमा और बाकी नक्सलियों का करेंगे. जब के विजय कुमार को आखिरी बार मिशन वीरप्पन के मोर्चे पर लगाया गया था, तब उन्होंने कसम ले ली थी कि वे जब तक वीरप्पन को पकड़ नहीं लेंगे, तब तक अपने सिर के बाल नहीं मुड़वाएंगे.
बकौल वियय कुमार ‘वीरप्पन को मारने के लिए मैं माथा टेकने बन्नारी अम्मान मंदिर पहुंचा था. यहां कमस खाई कि जब तक वीरप्पन का खात्मा नहीं हो जाता है, तब तक मैं अपने सिर के बाल नहीं मुड़वाऊंगा.’ वीरप्पन की तलाश में मैं 1994 में पहली बार गया था. 2001 में छह महीने के लिए दूसरी बार आया था. आखिरकार 18 अक्टूबर 2004 को तीन साथियों के साथ तमिलनाडु के धरमपुरी जिले के पपरापत्ति जंगल में जब वीरप्पन मौजूद रहा था, उसे एनकाउंटर में मार गिराने में सफलता मिली. वीरप्पन का एनकाउंटर करने के बाद हमने बन्नारी अम्मान मंदिर जाकर मुंडन कराया.
कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन का एनकाउंटर करने वाले के. विजय कुमार का जन्म 15 सितंबर 1950 को हुआ था. वह अपने पिता रिटायर्ड पुलिस अफसर कृष्णन नायर और मां कौशल्या के दूसरे बेटे हैं. तंजावुर में इनके शुरुआती दिन बीते. बता दें कि इन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से ग्रैजुएशन और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से पोस्ट ग्रैजुएशन पूरा किया.
के. विजय कुमार बचपन से ही अपने पिता से प्रेरित थे. इस वजह से वह आईपीएस बनने का सपना देखते थे. उन्हें पुलिस की वर्दी हमेशा से अट्रैक्ट करती थी. वे बता चुके हैं कि बचपन से अपने पुलिस अफसर पिता से इन्स्पायर्ड थे. यही वजह थी कि उन्होंने आईपीएस बनने की ठानी.
चेन्नई के के विजय कुमार 1975 में तमिलनाडु कैडर में आईपीएस बनने के बाद स्पेशल सिक्युरिटी ग्रुप (एसएसजी) में सर्विस की. जब वह स्पेशल टास्क फोर्स में पोस्टेड थे, तब उन्हें चंदन तस्कर वीरप्पन को ठिकाने लगाने के मिशन का चीफ बनाया गया था. इसके बाद विजय कुमार कई वर्षों तक वीरप्पन की तलाश करते रहे. उन्होंने ऑपरेशन ‘कोकून’ का भी नेतृत्व किया. 18 अक्टूबर 2004 को उन्होंने अपने साथियों के साथ तमिलनाडु के धरमपुरी जंगल में हुए एनकाउंटर में वीरप्पन को मार दिया.