लखनऊ. कहा जाता है कि दुश्मन का दुश्मन हमारा दोस्त. अब सत्ता पाने के लिए बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती यही फार्मूला अपनानेवाली है. इसी के तहत मायावती ने आगामी चुनाव में कांग्रेस और सपा से गठबंधन के संकेत दे दिए है. इसके साथ ही मायावती ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर लखनऊ के अम्बेडकर पार्क से अपने उत्तराधिकारी का एलान भी कर दिया है.
माया ने कहा है कि वह भाजपा के चरित्र को सामने लाने के लिए विपक्षी दलों के साथ भी चलने को तैयार हैं. उन्होंने स्पष्ट इशारा किया कि आने वाले समय में वह सपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकती हैं. भाजपा को अपना दुश्मन नंबर एक बताते हुए मायावती ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि लोकतंत्र को बचाने के लिए वह समाजवादी पार्टी के साथ भी हाथ मिला सकती हैं. माया ने कहा, ”कई बार जहर को काटने के लिए जहर का सहारा लेना पड़ता है, उसी तरह लोकतंत्र को बचाने के लिए हमें यदि सपा का सहयोग लेना पड़ा तो वह उसका स्वागत करेंगी.”
बता दें कि इसके पहले अखिलेश यादव भी मायावती के साथ हाथ मिलाने का संकेत दे चुके हैं. माया के इस बयान के बाद यूपी में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जून-जुलाई में होने वाले निकाय चुनाव में माया के इस बयान का बड़ा असर पड़ने वाला है.
– आनंदकुमार होंगे बसपा के उत्तराधिकारी
मायावती ने शुक्रवार को बसपा में नाते-रिश्तेदारों के प्रवेश पर से भी प्रतिबन्ध हटा लिया है. इसकी पहल उन्होंने अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाते हुए कर दी है. इस घोषणा के साथ इस बात से भी पर्दा हट गया है कि मायावती का राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन होगा. 65 साल की हो चुकीं मायावती ने पार्टीजनों को संकेत दे दिया है कि आनंद कुमार ही उनके उत्तराधिकारी होंगे.
मायावती ने इस शर्त के साथ भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया कि वह हमेशा नि:स्वार्थ भाव से पार्टी के लिए कार्य करेंगे और कभी भी सांसद, विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे.
– भाजपा पर ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप
वहीं भाजपा को दलित और पिछड़ावर्ग विरोधी करार दिया है. मायावती ने बीजेपी पर सबसे बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि विधानसभा चुनाव में लगभग 250 सीटों पर भाजपा ने ईवीएम में गड़बड़ी की है. मायावती ने कहा कि भाजपा नें यूपी की 403 में से 250 सीटों पर ईवीएम में बेईमानी की है. उन्होंने कहा कि जिन सीटों पर भाजपा कमजोर थी वहां गड़बड़ी की गई. माया ने कहा कि ईवीएम मामले में उन्हें अब कोर्ट से न्याय की आस है. मायावती नें ईवीएम प्रोटेस्ट के लिये बसपा कार्यकर्ताओं को धन्यवाद भी दिया.
– फिर आलापा दलित राजनीति का राग
आम्बेडकर जयंती के अवसर पर मायावती ने दुबारा दलित राजनीति की ओर लौटती दिख रही हैं. हाल के वर्षों में सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की राजनीति करने वाली मायावती ने अपनी खिसकती जमीन को देखते हुए ऐसा करना उचित समझा है. माया ने छुआछूत और जातिवाद की राजनीति को दुबारा से धार देते हुए सवर्णों पर जमकर हमला बोला. उन्होंने अम्बेडकर पार्क से कहा कि हिंदू धर्म के उच्च वर्ग के लोग दलितों और पिछड़ों से गुलामी कराते थे. उन्होंने कहा कि देश में आजादी से पूर्व जमकर धर्म परिवर्तन हुए हैं क्योंकि उच्च वर्ग के दलितों से लोग गुलामी कराया करते थे. उन्होंने कहा सवर्णों की प्रताड़ना के कारण ही बड़ी संख्या में दलित समाज के लोग सिख, पारसी और बौद्ध धर्म में दीक्षित हुए.
– भाजपा को बताया दलित विरोधी
मायावती ने कहा है कि भाजपा ने 1989 मे वीपी सिंह की सरकार को मंडल कमीशन के चलते गिरा दिया था. माया ने आरोप लगाया कि मंडल कमीशन से चूंकि ओबीसी को फायदा पहुंचता था और ये रिपोर्ट लागू ना हो इसलिए बीजेपी ने वीपी सिंह सरकार को गिरा दिया था. वही भाजपा अब खुद को पिछड़ों का समर्थक बता रही. मायावती ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने बेईमानी से चुनाव जीत है और पिछड़ी जाति के लोगों को धोखा दिया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि चुनाव जीतने के बाद भी किसी पिछड़े को मुख्यमंत्री बनाने के बजाय एक योगी को मुख्यमंत्री बना दिया गया है. मायावती ने आरोप लगाया कि राममंदिर आंदोलन के दौरान अयोध्या में मस्जिद ढहाये जाने के मामले में बीजेपी ने कल्याण सिंह को बलि का बकरा बनाया था, क्योंकि कल्याण पिछड़ी जाति से आते थे.
– भाजपा के झांसे में न आए पिछड़ा वर्ग
मायावती ने पिछड़ी जातियों से अपील की है कि वह भारतीय जनता पार्टी के झूठे प्रचार से गुमराह ना हों. उन्होंने कहा कि भाजपा गलत प्रचार कर रही है. माया ने कहा कि भाजपा ने यह प्रचार किया है कि मुस्लिमों को अधिक टिकट देने के कारण उसकी हार हुई है जो कि सरासर झूठ है. मायावती ने कहा कि बाबा साहब ने सवर्णों से दलितों की रक्षा की और अंग्रेजों से दलितों को अधिकार दिलाया है. उन्होंने कहा कि आज बीजेपी वोट की खातिर बाबा साहब का गुणगान कर रही है. राजनीतिक फायदे के लिए जन्मदिन मना रही है. जबकि इन्हीं लोगों ने ओबीसी को शूद्र और दलितों को अतिशूद्र बनाया था और बाबा साहब ने इस व्यवस्था को बदलने के लिए कड़ा संघर्ष किया था.
– इसलिए पढ़ती हूं लिखे हुए भाषण
लिखे हुए भाषण पढ़ने के कारण चर्चा में रहने वाली मायावती ने इस बात पर भावनात्मक कार्ड खेला है. उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि आप सब लोग इस बारे में सवाल करते रहे हैं, मगर इसका कारण नहीं जानते. मेरे गले की दो ग्रंथियों में से एक खराब हो चुकी है. उसे 1996 में हुए एक आपरेशन में निकल दिया गया है. अब मेरे गले में सिर्फ एक ही ग्रंथी बची हुई है जिसकी वहज से डॉक्टरों ने मुझे अपने गले पर जोर देने से मना किया है. यही कारण है कि मैं लिखे हुए भाषण पढ़ती हूं.