बेंगलुरु. आज गुरुवार को शाम ठीक 6.59 बजे इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरों निजी कंपनीयों की मदद से बना सैटेलाइट अंतरिक्ष में लांच करेगा. इसका नाम आईआरएनएसएस-1 एच है. गुुरुवार की शाम 6.59 बजे इसे अपने श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी 39 रॉकेट की मदद से छोड़ेगा. यह इंडियन रीजनल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम का आठवां सैटेलाइट है. 1425 किग्रा वजनी यह सैटेलाइट आईआरएनएसएस-1 ए की जगह लेगा, जिसकी न्यूक्लियर वॉचेज ने काम करना बंद कर दिया है.
इसरो के मुताबिक, यह पहला मौका है जब किसी सैटेलाइट को बनाने में प्राइवेट कंपनियां सीधे तौर पर शामिल हुई हैं. आईआरएनएसएस-1 एच को बनाने में प्राइवेट कंपनियों का 25% योगदान रहा है. आर्गनाइजेशन का कहना है कि इससे पहले सैटेलाइट बनाने में प्राइवेट कंपनियां सिर्फ हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, पार्ट और जरूरी सामान ही मुहैया कराती थीं, लेकिन आईआरएनएसएस-1 एच में प्राइवेट कंपनियों के इंजीनियर और टेक्निकल्स एसेंबलिंग, इलेक्ट्रिकल इंटीग्रेशन, टेस्टिंग आदि काम में शामिल रहे हैं. इसके लिए 6 प्राइवेट कंपनियों का एक ग्रुप बनाया गया था. इन कंपनियों के 70 लोगों को अलग से ट्रेनिंग भी दी गई. इसरो सैटेलाइट सेंटर (आइसैक) के डायरेक्टर एम. अन्नादुरै का कहना है कि अगले आईआरएनएसएस-1 आई में करीब 95% काम प्राइवेट कंपनियां करेंगी.
– रंग लाई 6 महीने की कड़ी मेहनत
कंपनियों के ग्रुप की अगुआई अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज कंपनी ने किया. इसके अलावा बेंगलुरु की तीन और मैसूर और हैदराबाद की एक-एक कंपनी इस प्रोजेक्ट में शामिल रहीं. टीम के 70 इंजीनियर और टेक्निकल ने 6 महीने तक काम किया. अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज के चेयरमैन कर्नल एसएस शंकर का कहना है कि ये कंपनी के लिए सम्मान की बात है. इस काम में कंपनी के टॉप इंजीनियर शामिल रहे हैं. उन्होंने इसरो के टेक्नोक्रेट्स के गाइडेंस के मुताबिक कंपोनेंट्स की एसेंबलिंग की. नेविगेशन सैटेलाइट की मदद से भारत अपने चारों ओर 1500 किमी के इलाके पर नजर रख सकता है. इसके लिए उसे 25-30 सैटेलाइट की जरूरत है. इसलिए इसरो ने प्राइवेट कंपनियों को सैटेलाइट निर्माण में शामिल किया है. इसरो सैटेलाइट बनाने की रफ्तार में तेजी भी लाना चाहता है, ताकि वह देश-विदेश के कस्टमर्स की मांग पूरी कर सके.
– मिशन 2020 : रॉकेट की तैयारियां
प्राइवेट कंपनियों की ओर से बनाया जाने वाला भारत का पहला रॉकेट 2020 तक छोड़े जाने की संभावना है. इसी साल फरवरी में इसरो ने एक साथ सबसे ज्यादा सैटेलाइट्स लॉन्च करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. इसरो ने 30 मिनट में एक रॉकेट के जरिए 7 देशों के 104 सैटेलाइट्स एक साथ लॉन्च किए. अभी तक किसी भी देश ने एक साथ इतने सैटेलाइट लॉन्च नहीं किए हैं. सबसे ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च करने का रिकॉर्ड फिलहाल रूस के नाम था. उसने 2014 में एक बार में 37 सैटेलाइट्स लॉन्च किए थे.
सैटेलाइट इंडस्ट्री में बढ़ रही हिस्सेदारी ग्लोबल सैटेलाइट मार्केट में भारत की हिस्सेदारी बढ़ रही है. अभी यह इंडस्ट्री 13 लाख करोड़ रुपए की है. इसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 41% की है. जबकि भारत की हिस्सेदारी 4% से भी कम है. विदेशी सैटेलाइट की लॉन्चिंग इसरो की कंपनी एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड के जरिए होती है. 1992 से 2014 के बीच एंट्रिक्स कॉरपोरेशन को 4408 करोड़ रुपए की कमाई हुई. इसरो सैटेलाइट लॉन्चिंग से अब तक 660 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई कर चुका है.