मथुरा के परमसंत बाबा जय गुरुदेव जी महाराज के देश-विदेश में रहनेवाले सभी भक्तगण आज गुरुवार 23 मार्च ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में मना रहे हैं. क्योंकि जून 1975 में आपातकाल के दौरान बाबा जय गुरुदेव को भी अनेक प्रतिष्ठित लोगों के साथ जेल में डाल दिया गया था. इस समय उन्हें जेल में अनेक प्रकार की यातनाएं दी गई. इस दौरान बाबा जी भक्तों को भी जेल में ठूंस कर उन्हें भी घोर यातनाएं दी गई थी. इमरजेन्सी खत्म होने के बाद 23 मार्च 1977 को बाबा जी को जेल से मुक्त किया गया था. इसी दिन की स्मृति में बाबा जय गुरुदेव के सभी शिष्य मुक्ति दिवस के रूप में मनाते है. आज के दिन देश के विभिन्न शहरों में स्थित आश्रमों में जय गुरुदेव नाम का झंडा फहराया जाएगा. इसके साथ ही भक्तगण अपने-अपने क्षेत्र में, शहरों में आज शाकाहारी प्रचार फेरी भी निकालेंगे और शाकाहारी बनने की अपील करते हुए शाकाहार का प्रचार भी करेंगे. आज के दिन बाबा जय गुरुदेव के सभी भक्त गण दोपहर तीन बजे तक उपवास रखते है.
क्यों मनाया जाता है मुक्ति दिवस
परमसंत बाबा जय गुरुदेव संतमत के प्रचारक थे. उनका सभी मनुष्य समुदाय को एक ही संदेश था कि इस कलियुग में प्रभु की प्राप्ति का मार्ग काफी आसान किया गया है. इसलिए सभी मनुष्य गृहस्थाश्रम की जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए अपने परिवार की सेवा करें, ईमानदारी से रहें, शाकाहारी रहें और 24 घंटे में से 1 घंटा निकाल कर भगवान की प्रार्थना करें.
देश के लोकतंत्र के इतिहास में 25 जून 1975 को एक ऐसा काला दिवस जुड़ गया, जिसे आपातकाल के नाम से जाना जाता है. इस आपातकाल की समाप्ति 21 मार्च 1977 को सत्ता परिवर्तन के बाद हुई. इस अवधि में जनता के मौलिक अधिकार समाप्त कर दिए गए थे. डीआईआर और मीसा जैसे सख्त कानून लागू कर दिए गए थे. जेल में बंद लोगों की जमानत भी नहीं हो पाती थी. बहुत से राजनीतिक, धार्मिक व अन्य क्षेत्रों के प्रतिष्ठित लोगों को अकारण जेल में बंद कर दिया गया था. दिनांक 29 जून 1975 को बाबा जय गुरुदेव को भी उनके मथुरा स्थित आश्रम से बुला कर बंदी बनाया गया और गोपनीय तरीके से आगरा के केन्द्रीय कारागार में रखा गया. इसके बाद उन्हें बरेली, बैंगलुरु और उसके बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल में भेज दिया गया. संत होने के बावजूद तत्कालीन सरकार ने किसी अपराधी की तरह उनके हाथों और पैरों में बेड़ियां डाल कर जेल में रखा, जिससे व तो ठीक से बैठ पाते थे और न खड़े हो पाते थे. संतों का सिर सदैव ढका होता है, लेकिन जेल में उनके सिर व शरीर से कपड़े भी छीन लिए गए. बाबा जी के शिष्यों ने इस समय उनकी इस गिरफ्तारी का विरोध करने पर बीसों हजारों शिष्यो को भी जेल में डाल दिया गया. इन शिष्यों में कई महिलाएं ऐसी भी थी, जो गर्भवति थी और उन्हें जेल में ही प्रसव करना पड़ा. जेल में बंद शिष्यों को विभिन्न तरीके से प्रताड़ित किया गया.
यह वास्तव में देश की आजादी का दूसरा स्वतंत्रता संग्राम था. बाबा जय गुरुदेव के शिष्यों ने इसे भी अपने गुरु महाराज की मौज समझ कर आपातकाल के इस पीड़ादायक कष्ट को सहन कर लिया और किसी के भी प्रति दुर्भावना व्यक्त नहीं की. लेकिन जल्द ही बाबा जय गुरुदेव की सत्ता परिवर्तन की भविष्यवाणी सही साबित हुई और सत्ता परिवर्तन होते ही 21 मार्च 1977 को आपातकाल खत्म हो गया. परमपुज्य बाबा जय गुरुदेव जी महाराज को नई सरकार ने 23 मार्च 1977 को पूरे आदर भाव से दिल्ली की तिहाड़ जेल से दोपहर 3 बजे मुक्त कर दिया. पूरे देश में फैले बाबा जी के भक्त गणों के लिए यह क्षण किसी पर्व, किसी त्योहार से कम नहीं था. आपातकाल की काली अंधियारी रात के बाद 23 मार्च को हुई सुबह बाबा जी के प्रेमियों के लिए खुशियां लेकर आयी थी. इसी निमित्त संपूर्ण देश और विदेश में फैले बाबा जी के भक्त गण आज के दिन सुबह 7 बजे अपने-अपने घरों पर जय गुरुदेव लिखा सफेद झंडा फहराते है. इस झंडे के सानिध्य में भक्त ध्यान, भजन करते हुए प्रार्थना करते है. चूकि बाबा जी को दोपहर 3 बजे जेल से रिहा किया गया था, इसलिए भक्तगण दोपहर तीन बजे उपवास रखते है और उसके बाद ही अन्न-जल ग्रहण करते है. देश की विभिन्न संगतों में यह पर्व पूरे सात दिनों तक चलता है, जहां प्रार्थना और भंडारे का आयोजन किया जाता है और गुरुमहाराज की मुक्ति के पर्व मुक्ति दिवस को किसी त्योहार की तरह धूमधाम से मनाया जाता है.
उज्जैन आश्रम पर भव्य कार्यक्रम
मई 2012 को बाबा जय गुरुदेव के शरीर त्यागने के बाद उनके आध्यात्मिक उत्तराधिकार संत श्री उमाकांत जी महाराज ने महाकाल की भूमि मध्य प्रदेश के उज्जैन में बाबा जयगुरुदेव आश्रम की स्थापना की और प्रतिवर्ष यहां गुरु महाराज के स्मृति दिवस के साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. 23 मार्च को मुक्ति दिवस के अवसर पर बाबा जय गुरुदेव के उज्जैन आश्रम पर भी भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस दिन मुक्ति दिवस के झंडा वंदन, भंडारे के साथ ही भव्य शाकाहारी प्रचार फेरी का भी आयोजन किया गया है. यह शाकाहारी प्रचार फेरी आश्रम से शुरू हो कर उज्जैन शहर के विभिन्न इलाकों में शाकाहार का प्रचार करते हुए पुन: आश्रम पर ही समाप्त होगी. इस समय देश के विभिन्न प्रदेशों से सैकड़ों की तादात में भक्त गण उज्जैन पहुंच चुके है.
परम संत बाबा जय गुरुदेव महाराज का आश्रम उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर लगभग डेढ़ सौ एकड़ भूमि पर बना हुआ है . वे सन् 1952 से अध्यात्म का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं . उनका नारा ‘जयगुरु देव, सतयुग आएगा’ था बाबा जय गुरुदेव के गुरु घूरेलालजी (दादा गुरु) थे, जो अलीगढ़ के चिरौली ग्राम के निवासी थे . संत घूरेलालजी के दो शिष्य थे. एक चंद्रमादास और दूसरे तुलसीदास (जय बाबा गुरुदेव)। कालांतर में चंद्रमादास भी नहीं रहे. गांव चिरौली में गुरु के आश्रम को राधास्वामी सत्संग भवन के नाम से जाना जाता है . वहां घूरेलाल महाराज के सत्संग भवन के साथ चंद्रमादास का समाधि स्थल भी है .बाबा जय गुरुदेव ने अपनी साधना के बल पर ही इतना बड़ा आध्यात्मिक साम्राज्य स्थापित किया था . बाबा के देश-विदेश में 20 करोड़ से ज्यादा अनुयायी हैं . बाबा कहते थे- शरीर तो किराए की कोठरी है, इसके लिए 23 घंटे दो लेकिन इस मंदिर में बसने वाले देव यानी आत्मा के लिए कम से कम एक घंटा जरूर निकालो. इससे ईश्वर प्राप्ति सहज हो जाएगी। वे कहते थे- दुनिया में हर मर्ज की दवा है, हर समस्या का हल है, बस गुरु की शरण में चले आओ। बाबा की सोच व विचार गांव और गरीब दोनों से जुड़े थे.
समाचार संकलन – ‘अमात्य’ दिनकर