पुणे (तेज समाचार प्रतिनिधि) महापालिका सीमा व उसके आसपास के परिसर में जितना कचरा जमा होता है, उनपर महापालिका प्रक्रिया नहीं कर पाती. क्योंकि मनपा के पास प्रक्रिया प्रकल्पों की तादाद कम है. शेष कचरा उरली देवाची व फुरसुंगी गांव में बनाए गए कचरा डिपों में डंप किया जाता है. खुले में कचरे की डंपिंग किए जाने से गांववालों का पीने का पानी दूषित हो रहा था. नतीजा उन लोगों को स्वास्थ्य की समस्याएं सता रहीं थी. इस वजह से उन गांववालों की ओर से बार-बार आंदोलन किया गया. मनपा की कचरा गाड़ियों को रोक दिया गया. जिससे शहर में कचरे के ढेर जमा हो गए थे. इसका एक ही विकल्प बचा था, कचरे की कैपिंग करने का. इससे यह समस्या हल हो जाएगी. लेकिन सालों से इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा था. मनपा ने इस समस्या का हल करने की रणनीति बनाई गई. कचरा डिपो में जमा करीब 5 लाख मेट्रिक टन कचरे की कैपिंग की जाएगी. इसपर महापालिका को करीब 38 करोड़ की लागत आएगी. इससे संबंधित प्रस्ताव मनपा प्रशासन की ओर से मंजूरी के लिए स्थायी समिति के माध्यम से आम सभा के समक्ष रखा था. लेकिन आम सभा ने यह प्रस्ताव खारीज किया है. इस वजह से कैपिंग के लिए मनपा के पास निधि नहीं है. इसलिए अब मनपा प्रशासन ने केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत इसके लिए सहायता करने की दरखास्त की है. केंद्र सरकार ने भी इसे सकारात्मक प्रतिसाद दिया है.
– वर्ष1991 से फेंका जा रहा कचरा
ज्ञात हो कि महापालिका सीमा व आसपास के गांवों में हर दिन 1500 से 1800 मेट्रिक टन कचरा जमा होता है. इस कचरे पर महापालिका प्रक्रिया नहीं कर पाती. महापालिका के पास जो प्रकल्प हैं, वे करीब 800 मेट्रिक टन कचरे पर ही प्रक्रिया कर पाते हैं. शेष कचरा ओपन डंपिंग किया जाता है. कचरा डंप करने के लिए महापालिका की ओर से उरली देवाची व फुरसुंगी इलाके में करीब 163 एकड़ जगह पर कचर डिपो बनाया गया है. सन 1991 में यह कचरा डिपो बनाया गया है. इस डिपो में यह कचरा ओपन डंप करने की वजह से वहां रहनेवाले नागरिकों को परेशानी आ रही थी. क्योंकि उनका पीने का पानी पूरी तरह से दूषित हो चुका था. इस वजह से गांववालों द्वारा मांग की जाती थी कि इस कचरे का कैपिंग करें. लेकिन महापालिका इस पर कोई निर्णय नहीं ले पा रही थी. इस वजह से गांववालों द्वारा मनपा के खिलाफ आंदोलन किया जाता था व वहां का हंजर प्रक्रिया प्रकल्प बंद किया जाता था. साथ ही कचरे की गाड़ियां भी रोकी जाती थी. इस वजह से मनपा कचरा डंप नहीं कर पाती थी. नतीजा शहर में कचरे के ढेर जमा हो जाते थे. साथ ही इस कचरा डिपो को आग लगने के वाकिए भी घटते थे. इस वजह से गांववाले परेशान थे.
– आम सभा ने खारिज किया प्रस्ताव
अब हंजर प्रक्रिया प्रकल्प भी बंद हो चुका है. कचरे को लेकर मुख्यमंत्री के साथ भी बैठक की गयी थी. तब से इस कचरा डिपो में कचरा फेंकना बंद किया गया था. बाद में मनपा के खिलाफ गांववाले एनजीटी में भी चले गए हैं. इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है. कचरा डिपो में अब भी करीब 5 लाख मेट्रिक टन कचरा पड़ा हुआ है. इसकी अब कैपिंग करने का मन मनपा प्रशासन की ओर से बना लिया गया है. इससे संबंधित प्रस्ताव भी प्रशासन की ओर से स्थायी समिति के समक्ष रखा गया था. इसके लिए करीब 38 करोड़ 23 लाख की लागत आएगी. स्थायी समिति ने इसे मंजूरी देने के बाद इस प्रस्ताव को आम सभा के समक्ष मंजूरी के लिए भेजा गया था. लेकिन स्थायी समिति ने इसे खारिज कर दिया है. इस वजह से प्रशासन के पास कैपिंग करने के लिए निधि नहीं थी. मनपा द्वारा निधि देने से इन्कार किए जाने के बाद मनपा आयुक्त ने केंद्र सरकार से सहायता करने की मांग की है. हाल ही में मनपा आयुक्त कुणाल कुमार ने स्वच्छ भारत मिशन के संचालक को पत्र भेजकर सहायता करने की मांग की थी. केंद्र सरकार ने भी इसको लेकर सकारात्मक प्रतिसाद दिया है.