देश की संसद और महाराष्ट्र विधान मंडल मे “पृथक विदर्भ” का मुद्दा गर्माया है l संसद में भाजपाके सांसद नाना पटोलेने पृथक विदर्भ की मांग कर अशासकीय विधेयका प्रस्ताव दिया था l इसी मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र विधान मंडल मे शिवसेना के विधायक सुनील प्रभू ने भाजपा नेतृत्ववाले मुख्यमंत्री को पृथक विदर्भ के विषय में भूमिका स्षप्ट करने का आवाहन किया है l दुसरी और काँग्रेस के विजय वडेट्टीवारने विधान मंडल मे प्रस्ताव रखकर पृथक विदर्भकी मांगको उछालकर अपने ही पक्ष के लिए अडचने पैदा कर दी है l महाराष्ट्र सरकार मे भाजपा सहीत गठबंधन में हिस्सेदारी कर रही शिवसेना ने पृथक विदर्भ की मांग का विरोध कर अखंड महाराष्ट्रके पक्ष मे काँग्रेस, राष्ट्रवादी काँग्रेस के साथ मिलकर रणनिती बनाई है l इन सभी घटनाओं को देखकर भाजपा अपनी “दोहरी भूमिका” के जालमें फसती हुई दिखायी दे रही है l
दिलीप तिवारी ९५५२५८५०८८ ( लेखक महाराष्ट्र की पत्रकारिता में एक बड़ा नाम हैं. आप चिंतक, मुक्तलेखक, वक्ता, समीक्षाकार, के अलावा सक़ाल, देशदूत, तरुणभारत जैसे दैनिकों के संपादक भी रह चुके हैं. प्रस्तुत लेख उनके निज़ी विचार है- तेज़समाचार प्रबंधन )
महाराष्ट्र की राजनिती मे बारबार “पृथक विदर्भ” का मुद्दा गरमागरमी पैदा करता है l जबके पृथक विदर्भ के विषय को लेकर किए गए कई आंदोलन जनाधार न मिलने से इतिहास के पन्नों मे दब चुके है l यहाँ तक के विदर्भवादी कुछ प्रमुख नेता भी बढती उम रके कारण अपनी मांग को लेकर शांत और संयमित हो गए है l इसका महत्त्वपूर्ण कारण यह भी है की, महाराष्ट् रमे फिलहाल भाजपा नेतृत्व मे स्थापित सरकार की कमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हांथों मे है l फडणवीस खुद नागपूर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते है l महाराष्ट्र के अर्थमंत्रालय की कमान वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवारके हांथों मे है, वो खुद भी विदर्भ स्थित विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते है l महाराष्ट्र की जनता ने ढाई साल पहले जनाधार देकर भाजपा को सर्वाधिक विधायकों की पार्टी बनवाया है l उसी की बदौलत महाराष्ट्र सरकार मे मुख्यमंत्री पद पर भाजपा के फडणवीस विराजमान है l भाजपा सरकार में सत्ताकी हिस्सेदारी शिवसेनाकी भी है l भाजपासे बहुतसारे मुद्दोंपर मतभिन्नता होनेके बावजुद “सत्ताके आम चखने” के लिए शिवसेना युती सरकारमे पार्टनर बनी है l भाजपा और शिवसेनामे पृथक विदर्भको लेकर कडवी मतभिन्नता है l भाजपा अलग विदर्भ राज्यकी मांग कर रही है जबकी शिवसेना अखंड महाराष्ट्रके स्वरुपको मानती है l कर्नाकट राज्यस्थित बेळगाव, कारवार आदी प्रांत को भी महाराष्ट्र मे संमिलीत किया जाए, यह शिवसेना की मांग है l महाराष्ट्र विधानसभा चुनावमे पृथक महाराष्ट्र का मुद्दा शिवसेना ने गरमाया था l विधानसभा चुनावके प्रारंभ मे भाजपा-शिवसेना गठबंधन सीटोंके बटवारे को लेकर बट चुकी थी l दोनो पार्टीया चुनाव मे आपसमे भिड़ी थी l महाराष्ट्रकी राजनितीमे मुंबाईपर राज करना बडा प्रभावशाली माना जाता है l मुंबईस्थित विधानसभा क्षेत्रोंमे शिवसेनाने वर्चस्व बनाने हेतू भाजपा विरोधमे सव्यंग प्रचार किया था और कहा था, भाजपा मुंबईको महाराष्ट्रसे तोडना चाहती है l उसी प्रचार दौरान प्रधान्मन्त्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, महाराष्ट्र से मुंबई कोई भी अलग नही कर सकता और अखंड महाराष्ट्र कोई भी विभाजीत नही कर सकता l चुनाव पश्चात भाजपा महाराष्ट्र मे नंबर वन पार्टी बन गयी लेकीन सत्ता तक पहुँचने हेतू फिरसे शिवसेना से गठबंधन की सहाय्यता लेनी पडी l
केंद्र स्थित मोदी सरकार की राज्यों का विभाजन करने हेतू दोहरी राजनिती है l मोदीजी और केंद्रीय भाजपा नेतृत्व जब प्रांतीय विकास की बात करते है तो कहते है, छोटे राज्यों का विकास जल्द और निश्चित दिशा मे होता है l किंतू किसी प्रांत या राज्यके विधानसभा चुनाव मे प्रचारका भाषण जब भी मोदी या भाजपा नेतृत्व करता है, तो वो प्रांत, राज्य की अखंडता का विश्वास दिलाते है l महाराष्ट्र मे भाजपा की रणनिती कुछ इसी प्रकार की है l विधानसभा प्रचा रमें मोदीजी एक ओर महाराष्ट्र के अखंड होने की बात कह रहे थे उस वक्त महाराष्ट्रके भाजपा नेता और मोदी सरकार मे वजनदार माने जाने वाले मंत्री तथा नागपूर के नेता नितीन गडकरी का कहना था, मोदीजी छोटे राज्यों के समर्थक है और वे पृथक विदर्भ की मांग को सकारात्मक रूप से देखते है l गडकरी आज भी पृथक विदर्भ की खुले आम मांग करते है l महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पश्चात करीबन सव्वा दो वर्ष पृथक विदर्भ का मुद्दा ठन्डे बसते में बंद था l इस विषय को महाराष्ट्र सरकार ने महाधिवक्ता पद पर नियुक्त ॲड. श्रीहरी अणे इन्होने फिर से गरमाया l अखंड महाराष्ट् रके महाधिवक्ता होने के बावजूद ॲड. अणेने पृथक विदर्भकी मांगको जाहिर रुपसे प्रकट किया l अपने वक्तव्यका समर्थन करते उन्होने पिछडे हुए विदर्भका सांख्यिकी चित्रणभी किया l आखिर पश्चात विरोधी पक्षके मांगको लेकर ॲड. अणेको पदसे इस्तिफा देना पडा l लेकीन तब तक ॲड. अणेको पृथक विदर्भ का ब्राण्ड मान लिया गया था l उसके पश्चात पृथक विदर्भका मुद्दा फिरसे थंडाया था l
पृथक विदर्भ का मुद्दा संसद के वर्तमान अधिवेशन में गरमाने का काम भाजपा सांसद नाना पटोले ने किया l पटोले द्वारा लोकसभा में अलग विदर्भ की मांग को लेकर निजी विधेयक पेश किए गया l संसदमे इस विषय पर चर्चा हुई l पटोले के निजी विधेयक पेश किए जाने की खबर से नाराज काँग्रेस, राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी व शिवसेना ने महाराष्ट्र विधान मंडल के दोनों सदनों में जमकर हंगामा खडा कर दिया। हालांकि लोकसभा में पटोले का विधेयक पेश नहीं हो पाया। लेकिन राज्य मे मानों विपक्ष के साथ शिवसेना ने भी भाजपा को घेरने की पूरी तैयारी कर ली। पटोले के पृथक विदर्भकी मांगको लेकर निजी विधेयक की बात जैसे सामने आयी वैसे ही महाराष्ट्र विधान मंडल मे शिवसेवा विधायक सुनील प्रभू ने मुख्यमंत्री फडणवीस को इस विषय मे अपनी भूमिका स्पष्ट करने को उकसाया l जैसे ही विषय चर्चामे आया काँग्रेस और राष्ट्रवादी काँग्रेस वाद विवाद के आखाडे मे आ गए l लेकिन काँग्रेस के ही विधायक विजय वडेट्टीवार ने फिरसे विधान मंडल के सामने पृथक विदर्भ की मांग को लेकर निजी प्रस्ताव रखने की मांग कर डाली l जिसके कारण मुख्यमंत्री फडणवीस और भाजपाके पृथक विदर्भ की मांग को प्रत्यक्ष रुप से विरोधी पक्ष द्वारा समर्थन मिल गया l हालाकी मुख्यमंत्री फडणवीस ने चर्चा के पश्चात अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा, मै अखंड महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री हूँ l हम अगलग विदर्भ चाहते है, लिकीन फिलहाल वो मुद्दा विधान मंडलके सामने चर्चा का नही है l काँग्रेसके वडेट्टीवार ने पृथक विदर्भ का मुद्दा रखने से संभ्रम यह निर्माण हुइ के, सत्तापक्ष मे सहभागी भाजपा अगर उस प्रस्ताव को आगे लाती है तो, विधान मंडलमे मतदान करवाया जाएगा l जिसके कारण मतभिन्नता हो सकती है l फिर इस विषयपर काँग्रेस, राष्ट्रवादी काँग्रेस और शिवसेनाने रणनिती बनवायी के, विपक्षों द्वारा विधान मंडल मे अखंड महाराष्ट्र का प्रस्ताव दिया जाए l इस प्रस्ताव बहुत देर चर्चा रही l फिर शिवसेना कार्याध्यक्ष उध्दव ठाकरे ने कहा, महाराष्ट्र विधान मंडल मे राज्य विभाजन या अखंड राष्ट्रपर बहस ना हो l चर्चा जो भी होगी उसके पश्चात मतदान किया जाएगा l प्रस्ताव सकारात्मकतासे पारित हुआ फिरभी विरोधी मतदान की संख्या इतिहास के पन्नों मे लिखी जाएगी l यह बात अच्छी नही होगी l ठाकरे का मुद्दा अन्य सभी नेताओं को मान्य हुआ l इसके कारण विधान मंडलमे अखंड महाराष्ट्रका प्रस्ताव सादर नही हो पाया l पृथक विदर्भके मुद्देपरकी राजनिती यहाँ पर नही थमती l उसके अलग अलग पहलू है l महाराष्ट्रकी राजनितीमे सर्वशक्तिमान नेता तथा राष्ट्रवादी काँग्रेसके अध्यक्ष शरद पवारने हमेशा इस विषयपर दोहरी रणनिती अपनायी है l किसीभी सार्वत्रिक चुनावके प्रचार अभियान अंतर्गत विदर्भमे पवार भाष्य करते है की, उनकी पार्टी पृथक विदर्भका समर्थन करती है l किंतु विदर्भ के बाहर समुचित महाराष्ट्रमे पवार कहते है, अखंड महाराष्ट्र रहना चाहिए l महाराष्ट्र विधान मंडलमे हो रही चर्चा को देखकर पवारने फिरसे अपनी भूमिका रखी है और कहा है की, पृथक विदर्भ विषयपर जनमत लिया जाए l पवार की यह भूमिका चौंका देनेवाली है l दिल्ली मे राष्ट्रवादी काँग्रेसके प्रवक्ता तथा विदर्भ के रहिवासी प्रफुल पटेलने हमेशा पृथक विदर्भ की मांग की है l काँग्रेस के हालात भी कुछ कुछ राष्ट्रवादी काँग्रेस जैसे ही है l विदर्भ के जिन नेताओं ने महाराष्ट्र की काँग्रेस नेतृत्ववाली सरकार मे मंत्रीपदों का लाभ लिया उन्होने हमेशा महाराष्ट्र की अखंडता की बात सत्तामे रहते हुए कही l मात्र, काँग्रेस सत्ता के बाहर हुई या फिर नेतोओं को सत्तासे निकाला गया तो उन्होने हमेशा पृथक विदर्भ का मुद्दा उछाला l इन नेताओं मे वसंत साठे, एन. के. पी. सालवे, दत्ता मेघे, विलास मुत्तेमवार, रणजित देशमुख आदी का समावेश है l
भाजपा अंतर्गत पृथक महाराष्ट्र की लॉबी प्रभावशाली है l केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने फिर से कहा है की, मोदी सरकार छोटे राज्यों के पक्षमे है l मुख्यमंत्री फडणवीस द्वारा पृथक विदर्भ जरुर निर्माण होगा l भाजप अंतर्गत पश्चिम महाराष्ट्र और उत्तर महाराष्ट्रके नेताओंकी लॉबी कमकूवत है l भाजपा प्रदेशाध्यक्ष खासदार रावसाहब दानवे है l केंद्रीय मंत्रीपदसे हटाकर दानवे को पक्ष संघटन का पद दिया गया है l मंत्रीपद की अभिलाषा उनके अंदर अभी भी बरकरार है l केंद्रीय मंत्रिमंडल मे फिर से लौटनेके लिए उनको गडकरीका समर्थन जरुरी है l इसलिए गडकरी, फडणवीस अगर बोले पृथक विदर्भ जाहिए तो दानवे भी रट्टा मार कर कह रहे है, भाजपा पृथक विदर्भके पक्षमे है l वैसे भी दानवे मराठवाडा से चुनकर आते है l पृथक विदर्भसे उनकी स्थानिय राजनितीमे कोई फर्क नही पडता l उत्तर महाराष्ट्रसे प्रभावशाली नेता एकनाथ खडसे को फिलहाल महाराष्ट्र मंत्रीमंडल से निष्काशीत कर दिया है l वो भी इत विषय पर चुप्पी धरे बैठे है l इस प्रकार भाजपांतर्गत पृथक विदर्भवादी की संख्या बढती हुई दिखती है l फिर भी भाजपाके मुख्यमंत्री, मंत्री, नेता “खाने के दात और दिखाने के दात अलग अलग बताकर” अपना ऊल्लू सिधा करने का प्रयास कर रहे है l भाजपा नेतृत्ववाले महाराष्ट्र सरकारकी छवी इसी कारण बिगडते नजर आ रही है l महाराष्ट्र सरकार मे अधिकतम प्रभावशाली मंत्रालय भाजपा मंत्रीको मिले है l जिनमे से पंकजा मुंडे – पालवे, एकनाथ खडसे, विनोद तावडे, गिरीश बापट, गिरीश महाजन आदी के नाम किसी ना किसी कथित भ्रष्टव्यवहारसे जुडे है l दानवेभी वादग्रस्त हो चुके है l मुख्यमंत्री फडणवीस के हातोंमे गृह विभाग की कमान है लेकीन, राज्यभरमे हो रही बलात्कार, अत्याचारकी घटनाओंसे वो भी वादातित हो चुके है l राजकारण की इस गर्मागर्मीमे बचाव के लिए भाजपा पृथक विदर्भ का मुद्दा तो नही उछाल रही है, ऐसा भी सवाल सामने आता है l इनका जबाब तो आने वाले दिनोंती राजनिती अपनी करवट कैसे बदलती है, उस पर ही दिखायी देगा l