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फारूख अब्दुल्ला ने किया कश्मीर के पत्थरबाजों का समर्थन

Tez Samachar by Tez Samachar
April 5, 2017
in देश
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श्रीनगर (तेज समाचार प्रतिनिधि). नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रेसिडेंट फारूख अब्दुल्ला ने कश्मीर के पत्थरबाजों का सपोर्ट किया है. फारुख ने बुधवार को कहा, कि पत्थर फेंकने वाले भूखों मरेंगे, लेकिन अपने वतन के लिए पत्थर फेंकेंगे, हमें इसे समझने की जरूरत है. बता दें कि कश्मीर में पत्थरबाजी एक बिजनेस बन गई है और सरकार इससे निपटने के लिए सख्त रुख अपनाने की तैयारी कर रही है. कुछ दिनों पहले ही होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह और फिलहाल डिफेंस मिनिस्ट्री भी संभाल रहे अरुण जेटली ने इस मुद्दे पर एक हाईलेवल मीटिंग की थी. नरेंद्र मोदी ने भी कुछ दिनों पहले एक प्रोग्राम के दौरान इस प्रॉब्लम का जिक्र किया था. पत्थरबाजों का टूरिज्म से कोई लेना-देना नहीं.

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम अब्दुल्ला ने कहा- कि मैं मोदी साहब को दिल से कहना चाहता हूं. टूरिज्म हमारी जिंदगी है. इसमें कोई शक नहीं है. मगर जो पत्थर फेंकने वाला है, उसका टूरिज्म से कोई मतलब नहीं है. वह भूखों मरेगा. मगर वे वतन के लिए पत्थर मार रहा है. यहां पर फारुख किस वतन की बात कर रहे हैं, यह समझने की जरूरत है.

फारूख के बयान को नरेंद्र मोदी के उस बयान का जवाब कहा जा रहा है कि जिसमें मोदी ने कश्‍मीर के यूथ को टेररिज्म की जगह टूरिज्म की राह पर चलने की सलाह दी थी.
फारूख के बयान की लद्दाख के सांसद टी. छेवांग ने आलोचना की है. उन्होंने कहा, पत्थरबाज सुरक्षा बलों को काम करने से रोकते हैं, यह युद्ध करने का एक तरीका है, वे निर्दोष नहीं हैं.

– क्या कहा था प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने
मोदी ने 2 अप्रैल को जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर देश की सबसे लंबी रोड टनल का इनॉगरेशन किया था. इस मौके पर उन्होंने कहा था, कि कश्मीर में करीब डेढ़ दशक से टेररिज्म टूरिज्म पर भारी रहा. यहां लश्कर, हिजबुल जैसे कई आतंकी संगठनों ने पैर पसारे. पाकिस्तान का सपोर्ट भी इन्हें बराबर मिलता रहा. अलगाववादियों ने भी कश्मीरी यूथ को बरगलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. विदेशी सैलानियों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा कश्मीर धीरे-धीरे टूरिस्टों से दूर होता चला गया. अब तय करना होगा कि आपको टूरिज्म चाहिए या फिर टेररिज्म. ये सिर्फ लंबी सुरंग नहीं है. ये जम्मू और श्रीनगर की दूरी कम करने वाली सुरंग नहीं है. ये विकास की लंबी छलांग है. सुरंग में भारत सरकार का पैसा लगा है, इसमें यहां के नौजवानों का पसीना लगा है. यहां के नौजवानों ने एक हजार दिन से ज्यादा तक पसीना बहाया, पत्थर काटकर सुरंग बनाया. पत्थर की ताकत क्या होती है? एक जगह भटके हुए नौजवान पत्थर मारने में लगे हैं, दूसरी ओर, पत्थर काटकर नौजवान भारत का भाग्य बनाने में लगे हैं. आपके सामने दो रास्ते हैं. एक तरफ टूरिज्म और दूसरी तरफ टेररिज्म. 40 साल से यहां लहू बह रहा है. टूरिज्म की ताकत को पहचानना चाहिए. दिल्ली की सरकार कश्मीर के साथ है.

– कौन हैं कश्मीर के पत्थरबाज?
कश्मीर का पत्थरबाज वहीं का यूथ है. इन्हें तैयार करने में आतंकवादियों और अलगाववादी नेताओं का हाथ है. सिक्युरिटी फोर्सेज, कश्मीर पुलिस, सरकारी गाड़ियों पर पथराव के लिए इंटरनेट की मदद से यूथ को हायर किया जाता है. इन्हें इस काम के लिए 5 से 7 हजार रुपए महीना सैलरी, कपड़ा और खाना भी दिया जाता है. 12 साल के बच्चे को 4 हजार रुपए तक मिल जाते हैं. जुमे की नमाज के दिन यानी शुक्रवार को प्रदर्शन के लिए 1000 और बाकी दिनों में पथराव के लिए 700 रुपए तक मिल जाते हैं. पत्थरबाजों का इस्तेमाल आतंकियों को मुठभेड़ के दौरान भगाने में भी किया जाता है. प्रदर्शन और पथराव कहां और कब होना है. इसके लिए सोशल मीडिया और वॉट्सऐप पर इन्फॉर्मेशन शेयर की जाती है.

Tags: faukh Abdullakashmirपत्थरबाज
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