रायपुर (तेज समाचार प्रतिनिधि). अपने फेसबुक वॉल पर सुकमा हमले पर टिप्पण्ाी करते हुए सेंट्रल जेल डिप्टी जेलर वर्षा डोंगरे ने पुलिस पर आदिवासी महिलाओं को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. हालांकि डोंगरे ने अपनी यह पोस्ट तुरंत ही फेसबुक से हटा दी थी. लेकिन तब तक यह वायरल हो कर राष्ट्रीय अखबारों की सुर्खियों में आ चुकी थी. अपनी इस विवादित पोस्ट के चलते वर्षा डोंगरे को निलंबित कर दिया है. हालांकि डोंगरे से उनकी इस पोस्ट का जवाब मांगा गया था, पर डीजी जेल का नोटिस मिलते ही उन्होंने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए मेल के जरिए अवकाश ले लिया था, जिसके बाद ये कार्रवाई हुई है.
दरअसल, सुकमा हमले को लेकर फेसबुक पर की गई उनकी टिप्पणी के बाद डीजी जेल ने उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. नोटिस मिलते ही डोंगरे ड्यूटी से नदारद हो गईं. उन्होंने स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देते हुए जेल प्रशासन को ई-मेल से छुट्टी का आवेदन दिया. नोटिस का जवाब 2 दिन के भीतर देना था, पर डिप्टी जेलर वर्षा डोंगरे छुट्टी पर चली गई और अनुमान के मुताबिक उनके खिलाफ सरकार ने यह एक्शन ले ही लिया.
– पहले भी कई अफसर कर चुके है टिप्पणी
हालांकि, जो काम वर्षा डोंगरे ने किया है, इसके पहले कई अफसर कर चुके हैं. लेकिन उनके खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई. पर बस्तर के हालातों को लेकर फेसबुक पर अपनी पोस्ट से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने वाली डोंगरे को सरकार ने निलंबित कर दिया है. उनके निलंबन की वजह फेसबुक पोस्ट नहीं है, बल्कि उनकी छुट्टी बताई जा रही है. लेकिन सूत्रों की माने तो उनका निलंबन बस्तर में सक्रिय कथित तौर पर नक्सलियों के हित में पैरवी करने वाले मानवाधिकार संगठनों के आरोपों को सही बताने के कारण हुआ है.
बताया जा रहा है कि वर्षा डोंगरे को ईमेल के जरिए छुट्टी खारिज किए जाने की सूचना भेजी गई थी. लेकिन 6 मई तक ड्यूटी से नदारद होने की दलील के साथ जेल मुख्यालय ने उन्हें निलंबित कर दिया है. वर्षा पर जेल मैन्युअल की धारा 207 का उल्लंघन करने का आरोप है. इससे पहले वर्षा डोंगरे के फेसबुक पोस्ट के मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया था. जिसके बाद जेल प्रभारी आरआर राय की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया गया था.
– हाईकोर्ट से जीतकर डिप्टी जेलर बनी हैं वर्षा डोंगरे
पहले भी वर्षा सरकार के खिलाफ बोलकर मुश्किलें बढ़ा चुकी हैं. 2003 में हुई पीएससी की परीक्षा को लेकर वर्षा डोंगरे ने एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी कि परीक्षा में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है. इस मामले में शुरुआती बहसों के बाद याचिकाकर्ताओं ने खुद ही इस मामले में बहस और पैरवी की थी. कई सालों तक चली सुनवाई के बाद 2016 में अदालत ने फैसला सुनाया था. वर्षा ने 2003 की पीएससी में गड़बड़ी का मामला उठाया था. इसे लेकर वे हाईकोर्ट गईं और वहां से जीत कर डिप्टी जेलर बनी थी. अपने पोस्ट में भी उन्होंने इस संघर्ष का जिक्र किया था.