जामनेर (तेज समाचा प्रतिनिधि). जब भी शासकीय या प्रशासकीय स्तर पर किसी सार्वजनिक इमारत के नवीनीकरण या अत्याधुनिकीकरण जैसी परियोजनाएं चलाई जाती है, तब उसका पहला नियम होता है कि उस इमारत के तोड़े जाने से पूर्व आम नागरिकों को परेशानी न हो, इसके लिए आम नागरिकों की सुविधा के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाए. लेकिन जब ऐसा नहीं होता, तब आम नागरिकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ऐसी की तस्वीर इन दिनों जामनेर बस अड्डे पर दिखाई दे रही है.
– 13 करोड़ की लागत से बसपोर्ट का निर्माण
उल्लेखनीय है कि यहां पर 13 करोड़ की लागत से वर्तमान बस अड्डे को एयरपोर्ट की तर्ज पर बसपोर्ट में तब्दिल किया जा रहा है. इस नए बसपोर्ट में 10 प्लैटफॉर्म बनाए जाएंगे, जहां से बसें यात्रियों को लेकर रवाना होंगी. प्रस्तावित अत्याधुनिक इस बसपोर्ट मे शापिंग मॉल, मल्टिप्लेक्स थिएटर आदि की सुविधा भी होगी, जिससे महामंडल को अच्छा खासा रैवेन्यू मिलेगा. इस नए बसपोर्ट को बनने में अभी डेढ़ साल का समय लगेगा. लेकिन इस दौरान यात्रियों के लिए यहां महज एक टीनशेड़ बना दिया गया है, जो कि नाकाफी है.
– 1980 में बना था बस अड्डा
38 साल पहले 1980 में बने इस बस स्टैंड की मुख्य इमारत को वास्तूविशारदों ने चिन्हित कर उसे गिराने का काम शुरू कर दिया है. यहां गौर करनेवाली बात यह है कि मात्र 38 साल में ही बस स्टैंड की यह इमारत जर्जर हो चुकी थी और इसे गिरा कर यहां नई इमारत बनाने की नौबत सरकार पर आयी है. इसके साथ ही करीब 4 साल पहले लगभग 25 लाख रुपए की लागत से यहां डिपो नियंत्रक का निवास भी बनाया गया था, जो कि इस अत्याधुनिक बसपोर्ट के कारण अब तोड़ दिया गया है. एक प्रकार से यह जनता के मेहनत के पैसों की बरबादी ही है कि सिर्फ 4 साल पहले बने इस निवास को तोड़ने की नौबत आ गयी.
– हटाया जा रहा मलबा
बस अड्डे की नई इमारत के लिए पुरानी इमारत को तोड़ दिया गया है और इस समय इस पुरानी इमारत का मलबा हटाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है.
– यात्रियों के लिए नहीं की गई वैकल्पिक व्यवस्था
ज्ञात हो कि बस अड्डे के नवीनीकरण के दौरान यहां यात्रियों के लिए कोई भी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है. इस समय बारिश का मौसम होने के कारण बस अड्डा परिसर में चारों ओर कीचड़ का साम्राज्य है. इसी कीचड में यहां आनेवाली बसें खड़ी होती है और कीचड में से ही यात्रियों को अपनी बसों तक पहुंचना पड़ता है.
– प्रतिदिन 100 बसों का परिचालन
ज्ञात हो कि जामनेर बस अड्डे से प्रतिदिन करीब 100 बसों का परिचालन किया जाता है. देहातों से शहर के सभी स्कूलों के दोनों सत्रों में पढ़नेवाले करीब 3 हजार छात्रों तथा अन्य यात्रियों के लिए बारिश से बचने के लिए बनाया गया टीन का शेड नाकाफी है. ऐसी ही असुविधा से यात्रियों को आनेवाले डेढ सालो तक या उस से अधिक समय तक जूंझना होगा.
– फोरलेन मार्ग दे रहा दुर्घटना को निमंत्रण
इस बस स्टैंड से सटे फ़ोरलेन मार्ग पर कोई गतिरोधन न होने के कारण अन्य वाहन पूरी रफ्तार से यहां से गुजरते है. जिसके कारण यहां अक्सर छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं होती रहती है. लेकिन बावजूद इसके प्रशासन की ओर से अभी तक यहां गतिरोधक बनाने की जहमत नहीं उठाई गई है. हालांकि नागरिक अनेकानेक बार यहां स्पीड ब्रैकर और सिग्लन की मांग कर चुके है.
– त्यौहारों के मौसम में होगी बड़ी परेशानी
कुछ समय के बाद त्यौहारों का मौसम शुरू होगा. इस दौरान इस बस अड्डे पर यात्रियों की संख्या में अच्छाखासा इजाफा होगा. ऐसे में नया बसपोर्ट बनने तक यदि यात्रियों के लिए अस्थायी सुविधाओं की व्यवस्था करना लाजमी है, लेकिन प्रशासन इस मामले में कतई गंभीर नहीं दिख रहा है. हालांकि नागरिकों की मांग भी बढ़ती जा रही है, लेकिन प्रशासन के रवैये को देख कर यात्रियों के लिए कोई सुविधा यहां अस्थायी रूप से की जाएगी, ऐसा लगता नहीं है.