राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन प्रेक्षागृह में आज आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हिन्दुत्व पर विश्वकोश की एक प्रति गहण की।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को बधाई दी कि उन्होंने हिन्दुत्व पर विश्वकोश तैयार करने का भगीरथ प्रयास किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वतीजी भारत धरोहर अनुसंधान प्रतिष्ठान के संस्थापक अध्यक्ष हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हिंदू धर्म का दर्शन धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पर टिका है जो कि मानव मात्र का प्रमुख उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि जीव के अस्तित्व का मुख्य ध्येय इन उद्देश्यों के जरिये मानव व्यवहार में एक संतुलन स्थापना बतायी गई है। डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व सिर्फ एक विश्वास नहीं है, यह विवेक बुद्धि और अर्न्तज्ञान का सम्मिलन है जिसे परिभाषित नहीं किया जा सकता, सिर्फ महसूस किया जा सकता है।
राष्ट्रपति श्री मुखर्जी ने कहा कि हिन्दुत्व की मूल भावना सबके लिए खुशी, सेहत और ज्ञानोदय है और किसी के लिए भी दु:ख, पीड़ा और सन्ताप नहीं है। उन्होंने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा ‘यदि मुझे हिन्दू संप्रदाय को परिभाषित करने के लिए कहा जाए तो मैं साफ साफ कहूंगा: अहिंसक तरीके से सत्य की खोज करें। एक पुरूष भगवान पर भरोसा नहीं कर सकता है और तब भी खुद को हिन्दू कहता है। हिन्दुत्व सत्य के बाद अनवरत तलाश है… हिन्दुत्व सत्य का धर्म है। सत्य ही भगवान है।’
इस कार्यक्रम के दौरान श्री लाल कृष्ण आडवाणी, केन्द्रीय विधि एवं न्याय तथा संचार एवं तकनीक मंत्री रवि शंकर प्रसाद, केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरूद्धार मंत्री सुश्री उमा भारती, आरोविले फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. कर्ण सिंह, स्वामी चिदानंद सरस्वती जी और टेरी के महानिदेशक डा. आर के पचौरी भी उपस्थित थे।
धार्मिक प्रतिनिधियों में डा. आचार्य लोकेश मुनि, दिल्ली के आर्क विशप फादर अनिल जोस थॉम्स काउंटो, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डा. कब्ले सादिक साहिब, स्वर्ण मंदिर में अकाल तख्त के मुख्य जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह और साध्वी भगवती सरस्वती इस कार्यक्रम में उपस्थित थीं।