चंडीगढ़ (तेज समाचार डेस्क). सरकार के प्रति अपना रोष व्यक्त करने और अधिकारों के लिए इन दिनों बड़ी संख्या में दलित बौद्ध धर्म अपना रहे है. पिछले कुछ ही महीनों में हरियाणा में बड़ी संख्या में दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाने की रिपोर्ट सामने आयी है.
माना ये जाता है कि इंसान जिस धर्म में पैदा होता है वही उसका अपना धर्म होता है. बेशक स्वतंत्र सोच होने के नाते सभी धर्मों की हम इज्जत करें, लेकिन आमतौर पर सभी को अपने धर्म से खास लगाव होता है. इसी मानसिकता के साथ हम ये महसूस कर सकते हैं कि किसी इंसान के लिए धर्म परिवर्तन करना कितना बड़ा फैसला होता है.
– मर्जी नहीं मजबूरी
हरियाणा में बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन का दौर चल रहा है. लोगों का कहना है कि वे मर्जी से नहीं मजबूरी में ऐसा कर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें उनके हक नहीं मिल रहे हैं. सरकार उनके हकों की रक्षा नहीं कर पा रही है, इसलिए मजबूरी में उन्हें धर्म परिवर्तन का रास्ता चुनना पड़ रहा है.
– हिसार में 300 दलितों ने अपनाया बौद्ध धर्म
21 अगस्त, 2018 को हिसार जिले के भाटला गांव में 300 दलितों ने बौद्ध धर्म अपना लिया. रीति रिवाज और धर्मांतरण के कागजात पूरे कराने के लिए इस मौके पर यमुनानगर और बल्लभगढ के बौद्ध मौजूद थे. लोगों का आरोप ये है कि वर्तमान सरकार में दलितों के साथ बड़े पैमाने पर भेदभाव किया जा रहा है. राज्य सरकार ने भाटला में दलितों की तरफ से सहे जाने वाले कथित भेदभाव को खत्म करने के लिए उचित कदम नहीं उठाए.
– जींद में भी सैंकड़ों ने किया धर्म परिवर्तन
15 अगस्त 2018 को ही जींद जिले में भी सैकड़ों की संख्या में दलित वर्ग के लोगों ने बौद्ध धर्म को अपना लिया. यहां भी लोगों का कहना था कि उनकी मांगों को सरकार ने नहीं माना और मजबूरी में उन्हें अपना धर्म बदलना पड़ रहा है.
– नहीं होती सुनवाई
दलित नेता दिनेश खापड़ का कहना था कि वे मांगों को लेकर दलित समाज के साथ लोग पिछले करीब 6 महीने से धरने पर बैठे थे, लेकिन सरकार ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की. कई मामलों में सरकार ने उनकी अनदेखी की है जिस वजह से उन्हें ये कदम उठाना पड़ा है.
– निंदनीय है धर्म परिवर्तन
हरियाणा के कैबिनेट मंत्री ने इस मामले में बयान दिया कि इंसान की मांगे तो कभी खत्म नहीं होती हैं. कुछ मांगे मानी जा सकती हैं लेकिन कुछ को पूरा होने में वक्त लगता है, लेकिन इसके लिए कोई धर्म परिवर्तन नहीं कर सकता है. अगर कोई धर्म परिवर्तन करता है तो ये निंदनीय है. कृषि मंत्री ये भी कहा कि उन्हें इस बात के बारे में नहीं पता कि कोई धर्म परिवर्तन कार्यक्रम हो रहा है और ना ही उनकी मांगों के बारे में कुछ मालूम है.
– सरकार कर रही उपेक्षा
31 मई 2018 को भी जींद में ही एक गैंगरेप मामले में इंसाफ के लिए दलित वर्ग के लोगों ने धर्म परिवर्तन कर लिया था. लोगों का कहना था कि वो इस कदम को मजबूरी में उठा रहे हैं क्योंकि सरकार ने उनकी बात को अनदेखा किया था.
– मुख्यमंत्री ने किया घटना का खंडन
हालांकि सीएम खट्टर ने भी इस पूरे मामले में धर्म परिवर्तन की बात का खंडन किया था. सीएम ने कहा कि ये केवल एक व्यक्ति विशेष की तरफ से फैलाई जा रही अफवाह है.
बता दें कि हरियाणा के अलग-अलग जिलों से एक के बाद एक लगातार मामले सामने आ रहे हैं. खास बात ये है कि धर्म परिवर्तन करने वाले दलित वर्ग के लोग हैं और सभी बौद्ध धर्म में परिवर्तित हो रहे हैं.
आपको बता दें कि धर्म परिवर्तन करना या करवाने में मदद करना किसी भी तरह से गैर कानूनी नहीं है. भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है और सभी किसी भी धर्म को अपनाने का अधिकार है. हां, इसमें धर्म परिवर्तन करने वाले की सहमति होना जरूरी है. भारत के संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक पंथ-निरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है. भारत का संविधान कहता है कि देश के सभी नागरिकों को विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता है. अनुच्छेद 25 के अनुसार लोक व्यवस्था, सदाचार, स्वास्थ्य और भाग 3 के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए सभी व्यक्तियों को अंत: करण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान हक़ होगा. इसी तरह अनुच्छेद 25 ना केवल नागरिकों को, बल्कि सभी व्यक्तियों को अपने धर्म को मानने और उसका प्रचार करने की स्वतंत्रता का अधिकार देता है.