श्रीहरिकोटा. शुक्रवार को भारत ने सफलतापूर्वक दक्षिण एशिया संचार उपग्रह GSAT-9 का सफलता पूर्वक प्रक्षेपण किया. इसका पूरी तरह वित्त पोषण भारत कर रहा है और इसे दक्षिण एशिया के पड़ोसी देशों के लिए ‘अमूल्य पहार’ बताया जा रहा है जो क्षेत्र के देशों को संचार और आपदा के समय में सहयोग देगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता पर इसरो और पूरी टीम को बधाई दी है.
आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-एफ09 को शाम 4 बजकर 57 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया और इसे जीसैट-9 से कक्षा में स्थापित किया गया. रॉकेट लॉन्च को लेकर 28 घंटे की उल्टी गिनती गुरुवार दोपहर 12.57 बजे ही शुरू हो गई थी. करीब 49 मीटर लंबा और 450 टन वजनी जीएसएलवी तीन चरणों वाला रॉकेट है. इसमें पहला चरण ठोस ईंधन, दूसरा चरण तरल ईंधन और तीसरा क्रायोजेनिक इंजन है.
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा निर्मित नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट- 9 को एसएएस रोड पिग्गीबैक कहा जाता है जिसे 50 मीटर लंबे रॉकेट स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन वाले जीएसएलवी से प्रक्षेपित किया गया है.
- जीसैट- 92230 किलोग्राम की वहनक्षमता वाला भूस्थतिक संचार उपग्रह है जो केयू-बैंड में दक्षिण एशियाई देशों को विभिन्न संचार सेवा मुहैया कराएगा.
- उपग्रह पड़ोसी देशों को दूरसंचार, टेलीविजन, डायरेक्ट टू होम, वीसैट, दूर शिक्षा और टेली मेडिसिन सहित कई सेवाएं पड़ोसी देशों को मुहैया कराएगा. यह भागीदार देशों को सुरक्षित हॉटलाइन भी मुहैया कराएगा जो भूकंप, चक्रवात, बाढ़ और सूनामी जैसे आपदा प्रबंधन में मददगार होगा.
- इसरो के इस उपग्रह का जीवन 12 वर्षों से ज्यादा का होगा. उपग्रह की कीमत करीब 235 करोड़ रुपये है जिसका वित्त पोषण पूरी तरह भारत ने किया है. इस परियोजना का हिस्सा दक्षेस के आठ में से सात देश- भारत, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव हैं.
- इसरो ने कहा था कि जीसैट-9 को दक्षिण एशियाई देशों के कवरेज क्षेत्र के साथ कू-बैंड में विभिन्न संचार अनुप्रयोगों को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लॉन्च किया जा रहा है.
- इसरो ने कहा है कि जीसैट-9 मानक प्रथम-2के बस के तहत बनाया गया है. उपग्रह की मुख्य संरचना घनाकार है, जो एक केंद्रीय सिलेंडर के चारों तरफ निर्मित है. इसकी मिशन अवधि 12 साल से ज्यादा है.
- एक अधिकारी के अनुसार, इसरो ने प्रायोगिक आधार पर उपग्रह को इलेक्ट्रिक पॉवर देने का फैसला किया है. अधिकारी ने कहा, कि हमने इलेक्ट्रिक पॉवर की वजह से पारंपरिक ऑनबोर्ड ईंधन की मात्रा कम नहीं की है. हमने इसमें इलेक्ट्रिक पॉवर की सुविधा जोड़ी है, ताकि भविष्य के उपग्रहों में इसके इस्तेमाल की जांच कर सकें.
‘मन की बात’ में नरेन्द्र मोदी ने किया था जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अप्रैल को कहा था कि दक्षिण एशिया उपग्रह क्षेत्र की आर्थिक और विकास की प्राथमिकताओं के लिए अहम भूमिका निभाएगा. अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में उन्होंने कहा था, कि इस उपग्रह की क्षमता और सुविधाएं दक्षिण एशिया के आर्थिक और विकासात्मक प्राथमिकताओं से निपटने में काफी मददगार साबित होंगी. उन्होंने कहा था, कि प्राकृतिक संसाधनों का पता लगाने, टेलीमेडिसीन, शिक्षा के क्षेत्र में लोगों के बीच संचार बढ़ाने में यह उपग्रह पूरे क्षेत्र की प्रगति में एक वरदान साबित होगा.