दिल्ली (तेज समाचार प्रतिनिधि). सोमवार को छत्तीसगढ़ के सुकमा में जवानों पर हुए नक्सलियों के घातक हमले में सीआरपीएफ के 26 जवान शहीद हो गए. जवाबी कार्रवाई में कुछ नक्सलियों के भी मारे जाने की खबर है. जिस नक्सलवाद की शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी इलाके से हुई उससे जुड़े लोगों को आर्थिक मदद, ट्रेनिंग और गोला-बारूद चीन और पाक की खुाफिया एजेंसियां मुहैया कराती हैं, जिसका एक मात्र मकसद भारत को खोखला करना है.
एक अंग्रेजी पत्रिका में छपी खबर के अनुसार, चीनी खुफिया एजेसियों की मदद से नक्सलियों ने आधुनिक हथियार बनाए हैं. उनके पास ग्रेनेड और रॉकेट लॉन्चर बनाने की भी तकनीक है. उन लोगों ने जंगलों के बीच हथियार बनाने और रख-रखाव की यूनिट स्थापित की हुई है. इस बात का खुलासा 2012 में आंध्र प्रदेश में पकड़े गए नक्सल मास्टरमाइंड साडनला रामकृष्ण ने किया था.
– 7 कारखानों में बन रहे घातक हथियार
बताया जाता है कि माओवादियों के इस तरह के हथियारों के सात कारखाने हैं, जिनका नाम टेक्निकल रिसर्च आर्म्स मैन्युफैक्चरिंग यूनिट (TRAM) है. इन यूनिट्स को 15 वैज्ञानिक देखते हैं, जो नक्सलियों के लिए हथियार बनाने और उनकी आपूर्ति का काम संभालते हैं.
– चीन कर रहा नक्सलियों का इस्तेमाल
आईबी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के खिलाफ युद्ध के लिए चीन नक्सलियों को प्रशिक्षण, हथियार और रुपये मुहैया करा रहा है. चीन कश्मीर के आतंकियों, नक्सलियों और पूर्वोत्तर के उग्रवादियों की एक गठजोड़ तैयार कर रहा है, जो एक साथ कई राज्यों में आतंक फैला सकें. जब पी. चिदंबरम गृहमंत्री थे तब यह रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी गई थी.
रिपोर्ट में इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया गया था कि चीनी खुफिया एजेंसियां किस तरह से मणिपुर के उग्रवादी संगठन पीपुल लिब्रेशन आर्मी को समर्थन दे रहा है, जिसकी मदद से नक्सलियों और कश्मीर के आतंकियों तक आर्थिक मदद पहुंचायी जा रही है.
रिपोर्ट में चीन के गंदे खेल के बारे में बताया गया, जिसमें नागालैंड में हुए नक्सलियों के प्रशिक्षण का जिक्र था, जिसे चीन ने आर्थिक मदद की थी. कुछ नक्सली यूनिट्स को अत्याधुनिक वायरलेस कम्युनिकेशन उपकरण दिए गए थे.
– पाकिस्तान की आईएसआई और नक्सलियों की मिलीभगत
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पहले ही भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए आतंकी संगठनों के साथ मिलकर हमलों को अंजाम देती रही है. चाहे वह मुंबई हमला हो या फिर संसद हमला. इन सबके बाद भी जब भारत को अस्थिर करने की साजिश नाकाम हो गई तो उन्होंने नक्सलियों तक पहुंच बना ली. आईएसआई के झारखंड और छत्तीसगढ़ में नक्सली अभियान को समर्थन देने के कई सबूत मिले हैं.
8 जनवरी 2005 में छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में रामचंद्रपुर के एसओ और दो सिपाहियों को नक्सलियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. मुठभेड़ वाली जगह पर लगभग 300 गोलियों के खोखे मिले थे. उनमें कई खोखों पर पाक हथियार फैक्ट्री का मार्क लगा था. कुछ पर ब्रिटेन की मार्किंग थी. सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि नक्सलियों की ओर से दागी गई गोलियां 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए हमले के दौरान मिलीं गोलियों से मैच करते थे.
शोषितों और दबे कुचले लोगों की आवाज उठाने के लिए चारू मजुमदार और कानू साल्यान ने नक्सलवाद की जो सशस्त्र लड़ाई शुरू की थी वह आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तक फैला है.
गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, नक्सली हमले में 2010 से 2015 के बीच लगभग 2162 नागरिक और 802 जवान मारे गए हैं.