नई दिल्ली ( तेज़ समाचार प्रतिनिधि ) – रोहिंग्या मामले पर प्रशांत भूषण की याचिका के खिलाफ और इंडिक कलेक्टिव एवं संघ के पूर्व प्रचारक, चिन्तक गोविंदाचार्य सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये हैं। गोविंदाचार्य ने पहले से लंबित मामले में खुद को भी पक्ष बनाए जाने की मांग की। विदित हो कि गोविंदाचार्य ने रोहिंग्या लोगों को भारत में रहने देने की मांग का विरोध किया है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया है –
- भारत में पहले से ही आबादी बहुत अधिक है , हाल ही में घटित एक घटना में लोग कूड़े के ढेर में दब कर मर गए. अधिक लोगों को यहाँ बसाना पूरी तरह से गलत होगा।
- प्रधानमंत्री खुद म्यांमार गए और वहां रोहिंग्या लोगों पर भी बात की। इस मसले को सरकार को देखने दिया जाए, इसमें कोर्ट का दखल गैरज़रूरी है।
- फॉरनर्स एक्ट 1946 के तहत भारत सरकार को अवैध तरीके से रह रहे विदेशियों को निकालने का अधिकार है ।
- खुद सुप्रीम कोर्ट कई फैसलों में राष्ट्रीय सुरक्षा को सबसे अहम करार दे चुका है।
- इस तरह की इंटेलिजेंस रिपोर्ट है कि अल कायदा रोहिंग्या मुसलमानों का आतंकवाद के लिए इस्तेमाल कर रहा है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, आईबी और अर्धसैनिक बलों से सलाह के बाद ही भारत सरकार ने रोहिंग्या लोगों को वापस भेजने का फैसला किया है।
- रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से जुडी सीमा के आस पास आकर बस गए हैं। यह बहुत खतरनाक है। एक तरफ तो अनुच्छेद 370 का हवाला देकर भारत के लोगों को जम्मू-कश्मीर में बसने नहीं दिया जा रहा । दूसरी ओर संदिग्ध विदेशियों को वहां रहने दिया जा रहा है।
गौरतलब है कि प्रशांत भूषण ने रोहिंग्या लोगों को भारत में रहने देने की मांग की है जिसका गोविंदाचार्य और इंडिक कलेक्टिव ने विरोध किया है। इस बारे में पहले से दायर प्रशांत भूषण की याचिका पर केंद्र को सोमवार को जवाब देना है। वाही अनुमान है कि सोमवार को ही गोविंदाचार्य और ‘इंडिक कलेक्टिव’ द्वारा दायर की गई याचिका पर भी सुनवाई होगी।
रोहिंग्या मुसलमान – म्यांमार में करीब 11 लाख रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं। सबसे ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान के राखिन प्रांत में पाए जाते हैं। रोहिंग्या मुसलमान खुद को अरब और फारसी व्यापारियों का वंशज मानते हैं। रोहिंग्या मुसलमान रोहिंग्या भाषा में बात करते हैं जो बांग्लादेश की बांग्ला से काफी मिलती-जुलती है। म्यांमार में बौद्ध बहुसंख्यक हैं। म्यांमार में बहुत से लोग रोहिंग्या को अवैध प्रवासी मानते हैं। म्यांमार की सरकार रोहिंग्या को राज्य-विहीन मानती है और उन्हें नागरिकता नहीं देती। म्यांमार सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। ऐसे प्रतिबंधों में आवागमन, मेडिकल सुविधा, शिक्षा और अन्य सुविधाएं शामिल है। ज्यादातर रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश, भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं।