चेन्नई (तेज समाचार डेस्क) वध के लिए पशुओं की खरीद-फरोख्त के केन्द्र सरकार के निर्णय पर मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने रोक लगा दी है. इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब भी मांगा है.
इससे पहले सरकार ने शुक्रवार 26 मई को वध के लिये पशु बाजारों में मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार ने जीवों से जुड़ीं क्रूर परंपराओं पर भी प्रतिबंध लगाया है, जिसमें उनके सींग रंगना तथा उन पर आभूषण या सजावट के सामान लगाना शामिल है.
पर्यावरण मंत्रालय ने पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम के तहत सख्त ‘पशु क्रूरता निरोधक (पशुधन बाजार नियमन) नियम, 2017’ को अधिसूचित किया है. केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री हषर्वर्धन ने कहा कि नये नियम बहुत ‘स्पष्ट’ हैं और इसका उद्देश्य पशु बाजारों तथा मवेशियों की बिक्री का नियमन है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि ये प्रावधान पशुओं पर केवल पशु बाजारों तथा संपत्ति के रूप में जब्त पशुओं पर लागू होंगे. उन्होंने कहा कि ये नियम अन्य क्षेत्रों को कवर नहीं करते हैं. पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अधिसूचना पशु कल्याण के निर्देश के अनुरूप है. अधिसूचना के मुताबिक पशु बाजार समिति के सदस्य सचिव को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी शख्स बाजार में अवयस्क पशु को बिक्री के लिये न लेकर आये.
इसमे कहा गया है कि ‘किसी भी शख्स को पशु बाजार में मवेशी को लाने की इजाजत नहीं होगी जब तक कि वहां पहुंचने पर वह पशु के मालिक द्वारा हस्ताक्षरित यह लिखित घोषणा-पत्र न दे दे, जिसमें मवेशी के मालिक का नाम और पता हो और फोटो पहचान-पत्र की एक प्रति भी लगी हो.’ अधिसूचना के मुताबिक, ‘मवेशी की पहचान के विवरण के साथ यह भी स्पष्ट करना होगा कि मवेशी को बाजार में बिक्री के लिये लाने का उद्देश्य उसका वध नहीं है.’
– केरल के मुख्यमंत्री ने जताया विरोध
केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने 26 मई को कहा कि अगर आज उन्होंने पशु वध को प्रतिबंधित किया है, तो वे कल मछली खाने पर रोक लगा देंगे. मलयालम में किये फेसबुक पोस्ट में मुख्यमंत्री ने जनता से भाजपा नीत सरकार के ‘इस फैसले’ के खिलाफ गुस्सा दिखाने को कहा. उन्होंने कहा कि यह देश के ‘धर्मनिरपेक्ष छवि को खराब करने का प्रयास’ है.
पशु बाजार में वध के लिए पशुओं की बिक्री पर रोक लगाए जाने को लेकर केंद्र पर बरसते हुए केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने रविवार को कहा कि उनके राज्य के लोगों को खाने की आदतों के बारे में नई दिल्ली या नागपुर से सीख लेने की आवश्यकता नहीं है.
उन्होंने यहां एक समारोह में कहा कि केरल के निवासियों की खाने की पारंपरिक आदतें हैं, जो स्वस्थ और पौष्टिक है. इसे कोई नहीं बदल सकता. विजयन ने कहा कि राज्य सरकार लोगों को अपनी पसंद का भोजन करने के लिए सभी सुविधाएं देगी. केरलवासियों के लिए नयी दिल्ली या नागपुर में किसी से सीख लेने की कोई आवश्यकता नहीं है.