विद्यापीठ कुलगुरू की प्रतिक्रिया देने से इन्कार
अकोला(तेज़ समाचार के लिए अवेस सिद्दीकी) : जब पात्र (पास) परीक्षार्थी को फेल घोषित किया जा सकता है तो ,पेपर गलत छपना कोई हैरानी की बात नहीं , प्रश्न गलत, जांच गलत, परिणाम देरी से आने से विद्यार्थीयो की मानसिक रूप से प्रताडना हो रही है । विगत कइ सालो से अमरावती विद्यापीठ का गजब कारभार जारी है कभी पास विध्यार्थी को फेल तथा फेल को पास घोषित करदिया जाता है विद्यापीठ के नियम अनुसार इंजिनियरिंग के विध्यार्थीयो की परीक्षा का परिणाम 90 दिनो मे घोषित होना चाहीए ताकी आने वाले सेमिस्टर परीक्षा के लिए छात्र तय्यार रहे लेकीन हमेशा विद्यापीठ की लापरवाही की वजह से परिणाम दुसरी परीक्षा से कुछ समय पहले घोषित किया जाता है जीसकी वजाह से विद्यार्थी पूर्ण रूप से परीक्षा के लिए तय्यार नही हो पाते तो दुसरी ओर परचो की जांच मे बडी लापरवाही बरते जाने की घटना सामने आई है । वर्ष 2016 मे स्थनिय एक इंजिनिअरिंग के छात्र को मेकॅनिकस के परचे मे फेल (अपात्र ) बताया गया छात्र के वापस जांच प्रस्ताव (रिचेकींग) मे करीब 36 मार्क बढे,इसी के साथ तृतीय वर्ष मेकॅनिकल शाखा के टॉम के परचे मे सवालात गलत आने की शिकायत विद्यार्थीयो ने की है विद्यापीठ की इस कदर लापरवाही से विद्यार्थी परेशान है तथा आत्महत्या करने पर विवश हो जाते है तो दुसरी ओर विद्यापीठ के कर्मचारी काम के समय अश्लील व्हिडीओ देखणे मे व्यस्त पाए गए है ।
इन सब हालातो का जुम्मेदार कौन? इस पर आला अधिकारीयो द्वारा कॊई ठोस कदम क्यों नही उठाया जाता ? परचे गलत आने एवं जांच मे गलती का मानो तांता बन गया है इस संदर्भ मे विद्यापीठ के कुलगुरू सांधेकर सर से संपर्क करने पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से इन्कार किया गया मा कुलगुरू की खामुशी कइ सवाल निर्माण कर रही है तथा विद्यापीठ का कार्य मनमानी रूप से चलाए जाने का सबुत दे रही है आखीर कब तक विद्यार्थी इन समस्यायो से जुझते रहेंगे कब तक तक विद्यापीठ विध्यार्थीयो के भावना एवं भविष्य के साथ खिलवाड करती रहेंगी ? यह सवालात मानो एक पहेली बन गए है । दुसरी ओर नियमीत रूप से पेमेंट न मिल्ने की वजह से विध्यलायो के प्राध्यापक शिक्षा का क्षेत्र छोडकर इंडस्ट्रीयो का रुख कररहे है ज्ञात रहे शिक्षण शुल्क समिती द्वारा हर विद्यालय की शिक्षा शुल्क निश्चित किया जाता है तथा कास्ट मे आने वाले विद्यार्थयो की शिक्षा शुल्क की पुरतता शासन की ओर से की जाती है लेकीन विगत देढ साल से समाज कल्याण की ओर से कोई सहायता विद्यालयो को नही की गइ इन सब करणो से विद्यार्थीयो का शैक्षणिक नुकसान भी हो रहा है जिस्के लिए शासन भी जुम्मेदार है ।
विद्यार्थीयो की स्कॉलर्शीप समय पर ना आना एक गँभीर विषय बन गया है। अच्छी पेमेंट ना मिल्ने की वजह से उच्च शिक्षित प्राध्यापक शिक्षा का क्षेत्र छोड कर इंडस्ट्री का रुख करर्हे है जिस्की वजह से तंत्र शिक्षा प्राप्त करर्हे विद्यार्थीयो का भारी नुकसान हो रहा है तथा शिक्षा संस्थाए शिक्षा स्टाफ की कमी की वजह से उच्च दर्जे की शिक्षा नही दे पारहे है। विद्यापीठ की लापरवाही एक अलग बात है लेकिन दुसरी ओर विद्यार्थी सही शिक्षा हासील न करने की वजह से सक्रीया रूप से परीक्षा नही दे पाते। प्राध्यापको को उचित पेमेंट मिले ताकी वे सही रूप से विद्यार्थीयो को शिक्षा दे सके इस संदर्भ मे शासन उचित निर्णय ले ताकी तंत्रशिक्षा क्षेत्र मे प्राध्यापक आकर्षित हो
प्रा प्रदीप खांडवे
प्राचार्य मानव स्कूल ऑफ इंजिनियरिंग अकोला


