ग्वालियर. देश की सरकार व्यवस्थाओं को सुधारने की हर संभव कोशिश कर रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में हालात अभी भी बदतर बने हुए है. अत्यावश्यक सेवाओं में शुमार स्वास्थ्य सेवाओं को वैसे तो 24 घंटे उपलब्ध किया गया है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य केन्द्रों की दशा काफी गंभीर है. ऐसे में यदि कोई इमरजेन्सी हो, तो ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. शुक्रवार को ऐसा ही एक नजारा मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के स्वास्थ्य केन्द्र में सामने आया है. यहां एक गर्भवती आदिवासी महिला प्रसव पीड़ा सहते हुए जब स्वास्थ्य केन्द्र पहुंची. लेकिन स्वास्थ्य केन्द्र में ताला लगा था. काफी देर इंतजार करने के बाद भी जब स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर मौके पर नहीं पहुंचे, तब पीड़ा असहनीय होने के बाद महिला ने अस्पताल के बाहर की खुले में बच्चे को जन्म दे दिया. इसके बाद महिला के शरीर के ताकत नहीं बची और वह वहीं एक दीवार के सहारे बैठ गई, जबकि उसका नवजात वहीं मिट्टी में प्रसव रक्त में सना करीब आधे घंटे तक पड़ा रहा.
जानकारी के अनुसार गत शुक्रवार को अशोकनगर जिले के कदवाया गांव की आदिवासी गर्भवती महिला विद्या बाई (28) प्रसव पीड़ा होने पर अपनी ननद पान बाई के साथ स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थी. लेकिन, स्वास्थ्य केन्द्र पर ताला लगा हुआ था. महिला आधा घंटे तक ताला खुलने का इंतजार करती रही, लेकिन कोई वहां नहीं पहुंचा. अचानक महिला को तेज दर्द होने लगा, उसने अपने साथ आई महिला रिश्तेदार की मदद से स्वास्थ्य केंद्र के पीछे खुले मैदान में ही बच्चे को जन्म दे दिया. महिला की हालत काफी खराब हो रही थी. इस दौरान लगभग आधे घंटे तक बच्चा धूम-मिट्टी और ठंड में जमीन पर ही पड़ा रहा.
– एक घंटे बाद खुला स्वास्थ्स केन्द्र का दरवाजा
महिला रिश्तेदार ने बताया कि प्रसव के करीब एक घंटे बाद एएनएम सीमा माहौर वहां पहुंची. उन्होंने स्वास्थ्य केंद्र का दरवाजा खोला और मां एवं बच्चे को अंदर ले गई. स्थानीय निवासियों ने खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ.बीएस जम्होरिया को फोन लगाकर मामले की जानकारी दी, तो उन्होंने प्रसूता को 108 एंबुलेंस के माध्यम से ईसागढ़ भेज देने को कहा.
– मामले की होगी जांच
मीडिया की ओर से मामले की जानकारी मिलने के बाद कलेक्टर बीएस जामोद ने कहा कि पूरे मामले की जांच कर लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.