नई दिल्ली(तेज़ समाचार प्रतिनिधि): करोल बाग के बीच स्थित 108 फुट ऊंची विशालकाय हनुमान की मूर्ति कुछ समय बाद न दिखे। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को एमसीडी और सिविक एजेंसियों से हनुमान की मूर्ति को एयरलिफ्ट करने जैसी संभावनाएं तलाशने का निर्देश दिया है।
झंडेवालान स्थित हनुमान मूर्ति को एयर लिफ्ट कर दूसरी जगह स्थापित करने संबंधी अदालत के सुझाव पर भी साधु संतों ने कड़ी आपत्ति जताई। उनका कहना है कि वह अदालत का सम्मान करते है, लेकिन इस प्रकार हिन्दुओं के हर मामले में हस्तक्षेप करना कतई उचित नहीं है और वह इसे स्वीकार नहीं करते।
प्राचीन सिद्धपीठ श्री कालका जी मंदिर स्थित महंत निवास परिसर में मंगलवार को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के मुद्दे पर संवाददाता सम्मेलन में निर्वाणी अखाड़े के महंत स्वामी धर्मदास महाराज, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्रगिरी महाराज, श्री कालका जी पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने झंडेवाला स्थित हनुमान मूर्ति को एयर लिफ्ट करने के मसले पर पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि आखिर हिंदुओं के धार्मिक स्थलों पर ही सभी को आपत्ति क्यों होती है।
इलाके में रिज रोड में लगातार बढ़ती भीड़ और अतिक्रमण की समस्या से निपटने के लिए हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। दिल्ली हाईकोर्ट ने सिविक एजेंसियों से पूछा है कि करोल बाग और झंडेवालान के बीच करीब डेढ़ दशक पुरानी 108 फुट ऊंची हनुमान की मूर्ति को एयरलिफ्ट किया जा सकता है या नहीं?इसके साथ ही कोर्ट ने सिविक एजेंसियां और एमसीडी को निर्देश दिया है कि वे अपनी रिपोर्ट दें और इस बारे में उपराज्यपाल से भी मीटिंग करें।
हाईकोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की खंडपीठ ने कहा कि अमेरिका में गगनचुंबी इमारत को भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर एयर लिफ्ट करके रख दिया जाता है। क्या हम भी ऐसा कर सकते हैं?हाईकोर्ट ने सिविक एजेंसियों को फटकार लगाते हुए पूछा कि सिविक एजेंसी दिल्ली की कोई एक जगह बता दे, जहां पर अतिक्रमण ना हुआ हो और जहां ट्रैफिक नियमों का पालन होता हो।
यह मुद्दा तब सामने आया, जब सिविक एजेंसियों ने हाईकोर्ट से संबंधित इलाके के एक थाने से जुड़े आदेश में संशोधन की मांग की। इस मामले में 15 नवंबर तक अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसमें बदलाव करते हुए सुनवाई की अगली तारीफ 24 नवंबर तय की है।
इस मामले में डीडीए ने रिपोर्ट पेश कर कहा था कि हनुमान मंदिर के आसपास सरकारी जमीन पर कार व बाइक शोरूम और वर्कशाप बना दी गई हैं। इसके अलावा मंदिर के भीतर रिहायशी निर्माण भी किया गया है।