पुणे. नवरात्र महोत्सव में पशुबलि न देने का नाशिक के सप्तशृंगी देवस्थान का निर्णय न सिर्फ स्वागतयोग्य है बल्कि पूरी तरह से मानवीय है. देश भर में अनेक धार्मिक स्थल ऐसे है, जहां मासूम पशुओं की बलि दी जाती है. इस बलि कुप्रथा को रोकने के लिए सरकार को जल्द से जल्द पशुहत्या विरोधी कानून बनाना चाहिए. यह मांग सर्व जीव मंगल प्रतिष्ठान के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. कल्याण गंगवाल ने यहां आयोजित एक पत्रकार परिषद में की.
डॉ. गंगवाल ने कहा कि देवी-देवताओं के समक्ष निरीह अबोल पशुओं की बलि देना न सिर्फ अंधश्रद्धा है बल्कि यह अमानवीय है और हमारी राक्षसी प्रवृत्ति को दर्शाता है. इसलिए देवी भक्तों को सदैव ही पशुबलि का त्याग करते हुए अंधश्रद्धा से दूर रहना चाहिए.
– नवरात्र में न दी जाए बकरों की बलि
डॉ. कल्याण गंगवाल ने कहा कि आगामी गुरुवार से नवरात्र उत्सव शुरू होने जा रहा है. इस उत्सव में खंडेनवमी के दिन ‘अजबलि यानी बकरे की बलि’ देने की प्रथा है. यह प्रथा पूरी तरह से गलत और अमानवीय है. सर्व जीव मंगल प्रतिष्ठान पिछले 21 वर्ष से इस प्रथा का तीव्र विरोध कर रहा है. इसमें उस्मानाबाद जिले के तुलजापुर की तुलजा भवानी के सामने अजबलि की प्रथा है. इस प्रथा का कोई भी धार्मिक औचित्य नहीं है. अपने कुत्सित स्वार्थ के लिए मांगी गई मन्नत को पूरा करने के लिए यहां सैकड़ों बकरों की बलि दी जाती है. इस बलि के कारण मंदिर परिसर में चारों ओर मांस-रक्त का विभत्स दृश्य दिखता है. बलि देने से मंदिर परिसर पूरी तरह से अस्वच्छ, अनारोग्य और अपवित्र हो जाता है. यह प्रथा पूरी तरह से अधार्मिक और अवैज्ञानिक प्रथा है. इस कारण सरकार को जल्द से जल्द पशुवध के विरोध में कोई ठोस कानून बना कर इस प्रकार की प्रथाओं पर अंकुश लगाना चाहिए. साथ ही सभी ऐसे मंदिरों को जहां मासूम, निरीह, निर्दोष पशुओं की बलि दी जाती है, सप्तशृंगी देवस्थान से आदर्श सीखना चाहिए.
– नहीं किया जाता पशु क्रूरता निवारण कानून का पालन
पशुक्रुरता निवारण कायदा 1960 के अनुसार खुली जगह पर किसी भी पशु की हत्या करना गैर कानूनी है. इस संदर्भ में 1996 में मुंबई उच्च न्यायालय ने पशुबलि के संदर्भ में अपनी भूमिका स्पष्ट करने के आदेश सरकार को दिए थे. मुंबई उच्च न्यायालय व औरंगाबाद खंडपीठ में पशुबलि बंद करने के संदर्भ में रिट पिटिशन दाखल है. डॉ. गंगवाल ने सभी देवी भक्तों से अपील की है कि वे अपनी बुद्धि से विचार करे और नवमी के दिन बेजुबान पशुओं की बलि न दें.