अकोला(अवेस सिद्दिकी):अभी अभी शालेय विद्यार्थियों की परिक्षाएं खत्म हुई है तथा गमीaयों के चलते नागरिक विवाह की तैयारियों में व्यस्त ऩजर आ रहे है. जिसके चलते शहर के बस स्थानक तथा रेलवे स्थानक पर यात्रियों की भीड़ ऩजर आने लगी है, विंâतु अकोला रेलवे स्थानक पर यात्रियों की असूविधा हो रही है. साथ ही यात्रियों की सेवा हेतू रेलवे प्रशासन द्वारा कोई उचित प्रबंध ऩजर नहीं आता. स्टेशन के अनारक्षित, आरक्षित टिकट बूकींग कार्यालय परिसर में आवारा तथा खुंखार कुत्तो का जमावड़ा रहता है,जा बजा वे शान से आराम फरमाते या झगड़ते ऩजर आते है कई बार यात्रियों को वे अपना शिकार भी बनाते हैं. एक ओर भीषण गर्मी है तो दूसरी ओर स्टेशन के पंखे बंद है. साथ ही पेय शीतल जल हेतू कोई उचित प्रबंध नहीं किया गया है. तथा पेयजल व्यवस्था सही रुप से साफ न होने के कारण पानी पूर्ण रुप से प्लेटफार्म पर आ जाता है जिसकी वजह से कई बार यात्री फिसलकर गिरने की घटनाएं देखी गई है। स्टेशन पर यात्रियों को शीतल जल मुहैय्या कराने के नाम पर शीतल जल पेय व्यवस्था की गई है.किंतु इसमे से अधिकतर पूर्ण रुप से बंद है तथा यात्रियों को इस ग्रीष्मकाल के मौसम में गरम पानी पीना पड़ रहा है. शीतल जल पेय व्यवस्था बंद कर निजी रुप से जल का व्यवसाय करने वाले व्यवसाइको को बढ़ावा दिये जाने का आरोप नागरिक लगा रहे है. कही एैसा तो नहीं की निजी व्यवसायिक तथा स्टेशन प्रशासन की सांठ गांठ से शीतल जल पेय व्यवस्था कहीं बंद तो कहीं शुरु का ऩजारा है. स्टेशन प्रबंधक का नियंत्रण ठीक न होने का ऩजारा देखा जा सकता।
उड़ाया जा रहा स्वच्छता मिशन का म़जाक
स्टेशन परिसर में गंदगी तो है ही प्रसाधन गृह में अस्वच्छता का यह आलम है की गृह में पैर रखना भी मुश्किल है जिसकी वजह से नागरिक अन्य जगाहों में गंदगी करते ऩजर आते है साथ ही पटरीयों की सफाई नियमित रुप से ना किये जाने की वजह से पटरियों के करीब दूर्गंधित माहौल है तथा जब डीआरएम या आला अधिकारियों का निरीक्षण दौरा होता इस समय स्टेशन पूर्ण रुप से साफा हो जाता है.
प्रबंधक की चुप्पी संदेह जनक
इस संदर्भ में स्टेशन प्रबंधक से संवाददाता द्वारा बार-बार संपर्क करने का प्रयास किया गया किंतु स्टेशन प्रबंधक द्वारा कोई उचित प्रतिसाद नहीं दिया गया, जिससे अनेको प्रश्न उपस्थित हो रहे हैं।
