जोशीली व प्रेरणादाई कविताओं के लिए पहचानी जाने वाली बुंदेलखंड की युवा कवियत्री डॉ ऋतु दुबे की हाल ही में #तेरी मेरी बातें कविता संग्रह का विमोचन हुआ है. शिवरात्री के अवसर पर डॉ ऋतु दुबे की कलम से शाश्वत शिव के लिए शब्दों की गंगा बह निकली. तेजसमाचार के पाठकों के लिए साभार !
अगर तुम शिव होते
तो मैं त्याग देती जीवन का वैभव
जा बसती वीरान हिमालय में,
और जीती तुम्हारी विचित्र दुनियाँ
संतान का वियोग सहते सहते!
अगर तुम शिव होते
तो अकेलेपन की वेदना बिसरा कर
तुम्हारी प्रतीक्षा करती अपर्णा बन ,
सारे प्रलोभन छोड़ के तुमको तकती
समाधिस्थ, बिना किसी विचलन के!
अगर तुम शिव होते
तो योगी,औघड़ और भस्माभिभूत
हर रूप मुझे शिरोधार्य होता तुम्हारा,
तुम्हारे चयनित विचित्र गण, स्वाद,
और वस्त्र सब स्वीकार्य होते मुझे!
देव बन कर जीना बहुत सरल है,
मुश्किल है इंसान बन कर जीना!
सो चलो ‘परमेश्वर’ धरा पर आओ
और जी लो स्वीकारोक्ति के साथ !
क्योंकि न तुम गरल धारित शिव हो
न मैं परम् शक्ति संपन्न देवी पार्वती
मुझे गर देखना चाहते हो देवीस्वरूपा
तो तुम्हें भी गरल धारण करना होगा,
पार्वती का समर्पित प्रेम पाने के लिये
तुम्हें अर्धनारीश्वर शिव बनना होगा!
-डॉ ऋतु