- NBN सिंहगढ़ स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में साइबर लैब का उद्घाटन
पुणे (तेज समाचार प्रतिनिधि). आज शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा होगा, जो कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन, लेपटॉप जैसे गैजेट्स का उपयोग नहीं करता होगा. लेकिन इन गैजेट्स का उपयोग करते समय हम साइबर सुरक्षा को पूरी तरह से नजरंदाज कर देते है. इसका कारण यह है कि स्मार्ट फोन, कम्प्यूटर आदि का उपयोग करनेवाले अधिकांश लोगों को इसका ज्ञान ही नहीं है और जिनकों ज्ञान है, वे साइबर सुरक्षा को लेकर अभी तक लापरवाह बने हुए है. इसी का फायदा आज के साइबर अपराधी उठाते है. आज हमारे हाथों में स्मार्ट फोन आ जाने से हम खुद को स्मार्ट समझने लगे है. लेकिन हकीकत यह है कि हम आज भी वास्तविक स्मार्टनेस के कोसों दूर है. आज हम पढ़-लिख कर साक्षर जरूर हो गए है, लेकिन यदि हम इन गैजेट्स का उपयोग करते है, तो हमें आवश्यक रूप से साइबर साक्षर होने की जरूरत है, वरना हम कभी भी साइबर क्राइम का शिकार हो सकते है. यह प्रतिपादन डीवाई एसपी सुधाकर काटे ने यहां किया.
शनिवार को एनबीएन सिंहगढ़ स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के कम्प्यूटर विभाग में साइबर लैब का उद्घाटन सुधाकर काटे के हाथों किया गया. इस समय एनबीएन सिंहगढ़ स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के प्रिंसिपल आर.एस. प्रसाद, रीजनल फॉरेन्सिक लैब ऑफ कोल्हापुर की डिप्टी डायरेक्टर संगीता घुमटकर, सिक्यूरिटी सॉल्यूशन्स एंड टेक्नोलॉजिस के सीईओ डॉ. अनूप गिरधर और राकेश पाटिल उपस्थित थे.
डीवाई एसपी सुधाकर काटे ने आगे कहा कि आज प्रत्येक व्यक्ति एन्ड्रॉइड सिस्टम का इस्तेमाल करता है, प्रत्येक व्यक्ति सोशल मीडिया से जुड़ा है. इसके अलावा हम जो भी सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर या मोबाइल में इस्तेमाल करते है, वह या तो पायरेटेड होते है या फिर फ्री में डाऊनलोड किए हुए होते है. यहां तक कि हम अपने कम्प्यूटर या मोबाइल में एंटी वायरस तक फ्री का इस्तेमाल करते है. इसमें हमारे डाटा की कोई सिक्यूरिटी नहीं होती. हमारा डाटा, हमारे फोटो, हम लोग जो टेक्स्ट टाइप करते है, सब कुछ उस कंपनी के पास चला जाता है, जो हमारे देश से हजारों किलोमीटर दूर है. यहां तक कि न तो हमें उन कंपनियों के बारे में पता है और न ही यह पता है कि वे किस देश में है. वह वैध है भी या नहीं. हमें इस बात का पता तब चलता है जब हम हमारा सिस्टम हैक हो जाता है. हम जब कोई फ्री सॉफ्टवेयर डाऊनलोड करते है, तब हम उसकी टर्म्स एंड कंडिशन को बिना पढ़े ही एक्सेप्ट का ऑप्शन क्लिक कर देते है. ऐसा करते वक्त हम जानबूझ कर अपने आप को दूसरों के हवाले कर देते है. ऐसे में जब आपके साथ कोई धोका होता है, तो पुलिस के पास आपके बचाव के लिए कुछ नहीं होता. काटे ने बताया कि प्रत्येक सिस्टम में, प्रत्येक सॉफ्टवेयर में सिक्यूरिटी के ऑप्शन्स होते है. करीब 90 प्रतिशत लोग या तो इन ऑप्शन्स के बारे में जानते ही नहीं और जो जानते है, वे इसे गंभीरता से नहीं लेते. फेसबुक, व्हॉट्स एप पर हम बिना सोचे समझे किसी की भी पोस्ट को लाइक-शेयर करते है. क्योंकि हमें सोच समझ कर किसी पोस्ट को लाइक या शेयर करना चाहिए. यदि हम कोई आपत्तिजनक पोस्ट को लाइक या शेयर करते है, यह अपराध की दुनिया में साइबर क्राइम कहलाता है. सुधाकर काटे ने इस समय युवा पीढ़ी को चेताते हुए कहा कि हम आज पढ़-लिख गए है. लेकिन साइबर क्राइम के बारे में हम अभी भी अंजान है. इसलिए जो भी व्यक्ति कम्प्यूटर का इस्तेमाल करता है, ऑनलाइन पेमेंट करता है, कार्ड से पेमेंट करता है, स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करता है उसे साइबर साक्षर होना बहुत जरूरी है, अन्यथा आप कभी भी साइबर क्राइम का शिकार हो सकते है.
– सोशल मीडिया पर सोच समझ कर भेजे संदेश : अनूप गिरधर
सिक्यूरिटी सोल्यूशन्य एंड टेक्नोलॉजिस के सीईओ अनूप गिरधर ने अपने संबोधन में कहा कि आज सोशल मीडिया का जमाना है. हर व्यक्ति सुबह उठ सबसे पहले अपना व्हॉट्स ऐप चेक करता है. सभी को व्हॉट्स ऐप पर गुड मॉर्निंग कहने की परंपरा चल रही है. यह अच्छी बात है, लेकिन मेसेज बॉक्स में कुछ भी टाइप करने के पहले एक बार सोचो कि हम क्या टाइप कर रहे हैं. क्योंकि आपने एक बार टाइप करके उसे सेंड कर दिया, समझो आपके हाथ से बाजी जा चुकी है. गिरधर ने बताया कि हो सकता है कि जो शब्द हम टाइप कर रह रहे हैं, उसका अर्थ आपके लिए कुछ और हो सकता है और जिसे आप संदेश भेज रहे हैं, उसके लिए कुछ और हो सकता है. साइबर क्राइम में आपके द्वारा भेजा गया कोई भी संदेश एक सॉलिड एविडेंस के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. यदि आप यह सोचते है कि कोई आपत्ति जनक संदेश टाइप करके आपने भेज दिया और बाद में आपने उसे डिलिट कर दिया, तो यह आपकी सबसे बड़ी भूल है. क्योंकि मोबाइल – कम्प्यूटर आदि से भेजा गया कोई भी लिखित संदेश जब आपके मोबाइल – कम्प्यूटर से एक बार सेंड हो गया, तो वह कभी डिलिट नहीं होता, बल्कि वह वातावरण की तरंगों में सदा के लिए सुरक्षित हो जाता है. यदि आपके संदेश पर किसी को कोई आपत्ति होती है, तो साइबर लैक से उसे संदेश को वापस लाया जा सकता है, जो आपके खिलाफ पक्का सबूत हो जाता है. इसलिए किसी को भी संदेश भेजने के पहले उस संदेश की भाषा की गंभीरता को हमें समझना चाहिए.
– लगभग हर अपराध साइबर से जुड़ा है : संगीता घुमटकर
रीजनल फॉरेन्सिक लैब ऑफ कोल्हापुर की डिप्टी डायरेक्टर संगीता घुमटकर ने कॉलेज में साइबर लैब के उद्घाटन के बाद लैक के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि एनबीएन सिंहगढ़ स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग देश के सबसे अच्छे इंस्टीट्यूट्स में से एक है. एक समय था, जब साइबर लैब के बारे में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था. क्योंकि पहले साइबर क्राइम नहीं था. लेकिन आश्चर्य जनक रूप से आज हर क्राइम साइबर से जुड़ गया है. इसलिए साइबर लैब की जिम्मेदारी प्रत्येक फॉरेन्सिक लैब में सबसे अहम हो गई है. घुमटकर ने कहा कि इस संस्थान में आपकों उच्च दर्जे की शिक्षा दी जाएगी. इसलिए आप इस विधा को अच्छी तरह से आत्मसात करें, ताकि देश में हो रहे साइबर क्राइम को रोकने में आप महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें.