पुणे. पुणे पुलिस ने इस वर्ष गत 10 महीनों में महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज क्राइम एक्ट (एमसीओसीए) के तहत 12 आपराधिक गैंग्स के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं. जबकि यह आकंड़ा 2016 में सिर्फ 10 तक ही पंहुचा था. 2016 में 10 गैंगों के 63 सदस्यों के खिलाफ एमसीओसीए के तहत मामला दर्ज हुआ था. वहीं इस वर्ष अब तक 12 गैंगों के 62 सदस्यों के विरुद्ध मामले दर्ज हुए हैं. पुणे पुलिस की प्रिवेंटिव क्राइम ब्रांच के द्वारा जारी आकंड़ों से यह बात स्पष्ट हुई है.
– पिछले वर्ष की तुलना में बढ़े मामले
मोडस ऑपरेंडी ब्यूरो के पुलिस निरीक्षक सतीश माने ने इस संबंध में कहा कि, एमसीओसीए के तहत दर्ज मामलों में बढ़ोतरी पुलिस सतर्कता और उनके द्वारा उठाए गए कठोर कदमों को दर्शाती है. इस बार हमने प्रॉपर्टी से जुड़े अपराधों के तहत बहुत से जन्मों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं. पत्रकारों के एमसीओसीए मामलों में बढ़ोतरी क्या शहर में बढ़ते संगठित अपराधों की संख्या की वृद्धि का संकेत है? इन सवालों के जवाब देते हुए माने ने कहा कि, मामलों की वृद्धि पुलिस की मेहनत को दिखाती. जिससे कोई भी छूट नहीं पाया है. यह संगठित अपराधों के लिए खतरे की घंटी है. जल्द ही पुणे को संगठित अपराध से मुक्त करने की मुहीम में यह ठोस और कड़े कदम लगातार बढ़ते रहेंगे.
– रश्मि शुक्ला का सफाई अभियान
साइबर क्राइम इकोनॉमिक ऑफिस विंग द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार अजय प्रकाश निखलजे उर्फ भाज्या के तीन सदस्य ज्ञान के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला था. पुणे पुलिस ने इस गैंग के खिलाफ एमसीओसीए का एक्ट लगाया है. एमसीओसीए के तहत की गई कार्रवाई की सूची में यह सबसे नया मामला है. संगठित अपराध को ख़तम करने की मुहीम के पुणे पुलिस आयुक्त रश्मि शुक्ला की अगुवाई में शुरू की गई. 2016 में पुणे के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर सतीश माथुर को राज्य का डीजीपी नियुक्त किए जाने के बाद रश्मि शुक्ला को पुणे का पुलिस कमिश्नर बनाया गया था. रश्मि शुक्ला के नेतृत्व में पुलिस ने देह व्यापार का धंधा चलाने वाले कल्याणी देशपांडे को भी इसी कानून के तहत गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की थी. पुलिस के हिरासत से फरार शातिर अपराधी सतीश शंकर उर्फ लुब्या को फिर से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की. उस पर भी एमसीओसीए के तहत अपराध दर्ज किया गया है.