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उच्च कृषि-तकनीक से कृषिव्यवसाय को समृद्ध करने वाले राष्ट्रहितैषी भूमिपुत्र “डॉ. भवरलाल जैन”

Tez Samachar by Tez Samachar
December 12, 2017
in Featured, प्रदेश
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उच्च कृषि-तकनीक से कृषिव्यवसाय को समृद्ध करने वाले राष्ट्रहितैषी भूमिपुत्र “डॉ. भवरलाल जैन”
प्रख्यात उद्यमी, खेती व गाँधी विचारधारा के प्रचारक, चिंतक,पद्मश्री से सम्मानित डॉ. भवरलाल जैन की 81 वीं जयंती पर जैन इरिगेशन सिस्टम्स लि. जलगांव के प्रसार माध्यम विभाग के आरिफ आसिफ शेख (9881057868) द्वारा लिखे गए श्रद्धा भाव तेज़समाचार के पाठकों के लिए ख़ास –

खानदेश के प्रख्यात उद्यमी, खेती व गाँधी विचारधारा के प्रचारक, चिंतक डॉ. भवरलाल जैन ने जलगांव-खान्देशसहित समुचे भारत देश का नाम सातसमंदर पार तक पहुँचाया। डॉ. भवरलालजी जैन को सभी बड़ेभाऊ कहते थे। बड़ेभाऊ से परिचित न हो, ऐसा कोई काश्तकार नहीं। कृषी सहित साहित्य तथा उच्च कृषि तकनीक द्वारा कृषी क्षेत्र में ठोस एवं जमीनी स्तर का कार्य करते हुए भवरलालजी जैन ने किसानों के जीवन में खुशहाली लायी।

अजंता के समीप छोटेसे गांव वाकोद में जन्मे बड़ेभाऊ ने उच्चशिक्षित होते हुए भी नौकरीपर निर्भर न रहते हुए स्वयं की हिम्मत पर स्वाभिमान से कृषि संस्कृती से संबंधित उद्योग व्यवसाय शुरू किया। माँ ने दिये हुए शब्दों को वास्तव रूप देने के लिए और सफल-असलता, सुखदुख के अत्यंत भयानक स्थिती से लडते हुए आत्मविश्वास के साथ उद्योगक्षेत्र को निष्ठावंत कर्तबगार भूमिपुत्र के रूप में लोकप्रिय हुए है यह सभी किसानों के लिए प्रेरणादायक ही है। शिक्षित न होने के बावजूद व्यावहारिक नीतीमत्ता का ज्ञान और भान बडै पैमाने पर उनकी माताजी के पास था। “नौकरी न करते हुए तू कुछ ऐसा निर्माण कर जिससे स्वयं के साथ-साथ परिवार और पशु-पक्षीयों का भी पेट भर सके” माताजी ने दिया हुआ शब्द उनके लिए प्रेरणादायी. व्यवसाय शुरु करने के लिए माँ ने उन्हें तीन पीढियों की जमापूँजी सात हजार रुपये दिये। इसीके द्वारा वर्ष 1963 में जैन ब्रदर्स की स्थापना हुई। शुरुआत में केरोसीन(रॉकेल) की बिक्री की। इसके पश्चात खेती से संबंधित व्यवसाय जैसे कि, बीज, खाद, ट्रॅक्टर, पाइप इत्यादी की एजन्सी उन्होंने ली। वक्त के साथ साथ कंपनी का आलेख भी बढ़ता गया। बारह हजार से अधिक सहकारियों का समूह वाली जैन इरिगेशन कंपनी की भरभक्कम नींव आदर्श कार्यसंस्कृती पर ही रखी गई। कैलिफोर्निया के फ्रेसनो में 1985 में बूँद-बूँद सिंचाई तकनीक की जानकारी प्राप्त होने के बाद उन्होंने भारत में इसकी शुरुआत की। किसान की आय में बढ़ोत्तरी कर उसका जीवन खुशहाल बनाने के हेतु उन्होंने यह टपक सिंचाई तकनीक भारत में लाई। भाऊ के इसी विचार के चलते आज भारत देश के लाखों-किसान टपक सिंचाई को अपनाकर जलबचत के साथ-साथ, जलबचत तथा उत्तम एवं दर्जेदार फसल उचित मात्रा में पानी इस तत्व के अनुसार उपज ले रहे है। उन्होने जल बचत तक ही अपने आपको सीमित नहीं रखा। किसान को रोगमुक्त अनार, केले, स्ट्राबेरी के पौधे उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाया।

भारत के कृषिकार्य क्षेत्र में विकास करने के लिए विचारों को नवसंशोधन की, तकनीकी की और व्यावहारिकता की विलक्षण जो देते हुए बड़े भाऊ ने अपना लक्ष्य निश्चित किया। “कम जमीन धारक किसानों का विकास कैसे किया जाए” इस विचार को ध्यान में रखते हुए भवरलालजी जैन ने सिंचाई तकनीक में सुधार के साथ कृषि विकास करना शुरू किया| अपने कार्यों की शुरुआत में भवरलाल जैन ने कई ऐसे तकनीक को समझने की कोशिश की और उसे अपने क्षेत्र में कार्यान्वित करना शुरू किया जिससे कम भूमि वाले किसानों की आय बढ़ने लगी और उनका समय बचने लगा और जैन इरीगेशन के प्रति किसानों का अटूट विश्वास बँध गया, जो आज भी दृढ़ता बनाये हुए है। कृषीव्यवसाय सहित वे साहित्य, शिक्षण, समाज क्षेत्र में भी अपनी बेहतर पहचान बनाये हुए हैं। उच्च कृषीतकनीक सहित जलबचत क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें कई सारे सम्मान प्राप्त हुए, कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

सार्थक करेंगे इस जीवन को।  बेहतर बनाकर इस जगत को।।

उपरोक्त जीवनलक्ष्य के अनुसार बड़ेभाऊ ने अपने विचारों को कृती की जोड दी और उद्योग के साथ-साथ कृषिक्षेत्र को नया आयाम दिया। वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे जो कभी कार्य को छोटा-बड़ा नहीं समझते थे। चाहे वह कार्य कारखाने में अनुसंधान, विकास या फिर सामाजिक उन्नति से जुड़ा हो, हर कार्य को वे पूरी लगन से करते थे। इस बात का अंदाजा डॉ. जैन के स्वास्थ्य से लगाया जा सकता है। लगभग छह हार्ट अटैक, दो बायपास होने के बावजूद वे कार्य के प्रती सजग रहकर रोज घंटों तक कार्यरत रहते थे। बड़ेभाऊ ने “कार्य ही जीवन, जीवन ही कार्य” माना। उनके इसी संदेश के चलते जैन इरिगेशन कंपनी के कारोबार का आलेख आज बिलियन डालर में पहुँच चुका है।

बड़ेभाऊ और कांताई के दिये हुए संस्कार एवं मार्गदर्शन पर चलते हुए उनके चारों सुपुत्र अशोक जैन, अनिल जैन, अजित जैन और अतुल जैन समर्थता जैन इरिगेशन की कमान संभाल रहे हैं। जैन परिवार की तिसरी पीढ़ी से जैन इरिगेशन की नींव को एक और मज़बूती मिली है। बड़ेभाऊ के पौत्र यानी अनिलभाऊ के सुपुत्र अथांग जैन भी कंपनी के कारोबार में हाथ बँटा रहे है। अथांग जैन, जैन फार्मफ्रेश फूडस लि. के संचालक हैं।

एक नज़र

जैन इरिगेशन सिस्टम्स. लि.

जैन इरीगेशन की स्थापना पहले “जैन ब्रदर्स’ नाम से वर्ष 1963 में हुई थी। उस समय से ही संस्थान के संस्थापक भवरलालजी जैन ने अपनी योजना की शुरुआत की और कुछ कंपनियों के उत्पाद की डीलरशिप लेने के बाद खुद की महत्वकांक्षी योजनाओं के ऊपर काम करना शुरू किया था। जैन इरीगेशन की स्थापना 80 के दशक में हुई जिससे आज विश्व के 30 देशों में अपने उत्पादन केंद्रों के साथ-साथ अपने अनुसंधान के माध्यम से विश्व भर के किसानों के लिए अपने उत्पाद उपलब्ध किये जिससे आज कई देशों के किसान जैन इरीगेशन के तकनीक को अपनाकर आज पहले की अपेक्षा दुगुने उत्पादन का लाभ ले रहे हैं। जैन इरीगेशन आज के समय में कृषि से जुड़े क्षेत्रों में सिर्फ सिंचाई ही नहीं बल्कि कई प्रभागों में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहा है।

जलगाँव रेल्वे स्टेशन से कुछ ही दूरी पर जैन इरिगेशन का मुख्यालय है। जैन इरीगेशन कम्पनी का मुख्यालय 2200 एकड़ में फैला हुआ है। आज समुचे विश्व में किसानों के लिए अमूल्य वरदान बनी हुई जैन इरीगेशन कंपनी कई दशकों से अपने अनुसंधान और अपने उत्पादों की गुणवत्ता के कारण किसानों के बीच में अपनी पहचान बनाये हुए है। कम्पनी के सभी अधिकारी किसानों के लिए उनके खेत में उनके साथ उनके खेत में उतरकर भी काम करते हैं और किसानों को नये तकनीकों के बारे में तब तक बताते रहते हैं जब तक किसान पूरी तरह उस तकनीक से परिचित ना हो जाए। जैन इरिगेशन ने अपनी महत्वकांक्षा के माध्यम से किसान के लिए कृषि के कई कार्यों को इतना सरल बना दिया है कि आज समय की बचत के साथ-साथ किसानों के उत्पादन और मुनाफे में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके विश्व की सिंचाई व्यवस्था में एक नया आयाम रचते हुए ऐसा संपूर्ण परिवर्तन जैन इरिगेशन ने कर दिखाया है।

फसलों को ज़रुरत के अनुसार पानी देने के तकनीक का आविष्कार किया है, जिससे आज किसानों के उत्पादन में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। कृषि पूरे ब्रह्माण्ड की ज़रुरत है। इस धरती पर जीने वाले सभी प्राणी और जीवजंतु, पर्यावरण और कृषि के माध्यम से ही अपने जीवन का निर्वाह करते हैं। किसानों के हित के लिए हम निरंतर कार्य करते रहें यहीं बड़े भाऊ के जीवन का लक्ष्य था।  

“छोटे-छोटे कदम, आसमाँ छूने का दम” इस सिध्दान्त के साथ कार्य कर रही जैन इरिगेशन कंपनी का वार्षिक कारोबार 7 हजार करोड़ रूपए का है। विश्व में इसके 27 कारखाने हैं। जैन इरिगेशन कंपनी सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली, पीवीसी, एचडीपीई पाइप, प्लास्टिक शीट और ऊतक संवर्धित पौधे किसानों को उपलब्ध करवा रही है। 10 हजार से अधिक कंपनी के सहकारीगण है। विश्वस्तरीय तकनीक की बदौलत कंपनी ने विशाल एकीकृत जल सिंचाई परियोजनाओं की एक नई संकल्पना का प्रवर्तन भी किया है। भवरलाल जैन ने किसानों को और एक सौगात दी है – केला फसल के रोगमुक्त मदरप्लांट, जिन्हें जैन इरिगेशन के कृषिवैज्ञानिकों ने जलगाँव स्थित जैन अॅग्री पार्क में विकसित किया है। इसने केले का उत्पादन 50 से 100 फीसदी बढ़ाया है तो उत्पादन अवधि 18 माह से घटाकर 10 से 11 माह कर दी है। केले की फसल के अलावा अन्य फल-सब्जियों के उन्नत पौधे भी किसानों को जैन एग्री पार्क से मिलते हैं एवं उनकी खेती करने के गुर भी उन्हें सिखाए जाते हैं।

भवरलाल अँण्ड कांताबाई जैन मल्टिपर्पज फाउण्डेशन/ जैन स्पोटर्स अकॅडमी

इसके माध्यम से सामाजिक दायित्वो का निर्वहन किया जाता है। स्वास्थ्यसंबंधी शिवीर लिये जाते हैं। जैन अॅकॅडमी के माध्यम से खेल तथा नृत्य, साहित्य, कला आदि क्षेत्र के गुणीजनों को प्रोत्साहित किया जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में गुणवानों को पाठ्यवृत्ती दी जाती है। साहित्य क्षेत्र में नये प्रमाण देनेवाले साहित्यिकों को कवयित्री बहिणाबाई चौधरी, बालकवी, कविवर्य ना. धो. महानोर जैसे सम्मान प्रदान किये जाते है। कांताई नेत्रालय तथा कांताई ग्रंथालय भी शुरु किये गये है।  

अनुभूति इंटरनॅशनल स्कूल

युवा पीढ़ी को पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से दूर रखने के लिए जलगाँव शहर में अन्तर्ऱाष्ट्रीय स्तर का अनुभूति स्कूल शुरू किया है। यहाँ विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण दिया जाता है। विद्यार्थी यहाँ सुसंस्कृत और संस्कारी बनने के साथ-साथ सभ्य और जिम्मेदार नागरिक भी बनेंगे। भवरलालजी मानना था कि होनहार बच्चे केवल आर्थिक कमजोरी के कारण शिक्षा से वंचित ना रहें। इसीका परिणाम है कि, इस स्कूल से शिक्षा लेने वाले छात्र आज विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम कमा रहे हैं। अनुभव आधारित शिक्षण से ही मनुष्य संस्कारित होता है। कल के भारत के संस्कारशील उद्यमी और आदर्श नागरीक अनुभूती में तैयार हो सके इसतरह की स्कूल की योजना है। “शरीर, मन. तथा बुद्धी और आत्मा को एकत्रित कर यदि आप किसी काम को पूर्ण करने का निश्चय करते है तो उससे जो निर्माण होता है व शाश्वत होता है।“अनुभूति के संस्थापक पद्मश्री डॉ. भवरलाल जैन के यह विचार अनुभूति की ओर देखने पर सार्थ होने की अनुभूति दे जाते है। जीवन के शाश्वत मूल्यों की अनुभूति इसे कहना गलत न होगा। 

 अनुभूति इंग्लिश मिडियम स्कूल

आर्थिकरूप से पिछड़े वर्ग के परिवार के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम द्वारा उत्कृष्ट शिक्षण देने के उद्देश से भवरलाल अॅण्ड कांताबाई जैन मल्टिपर्पज फाउण्डेशन ने जलगांव शहर (महाराष्ट्र) में “अनुभूति इंग्लिश मिडियम स्कूल” की स्थापना जलगांव शहर के मध्य में की। यह विनामूल्य अनिवासी स्कूल है। शैक्षणिक अभ्यास के अलावा विद्यार्थियों का शिक्षण अधिक सुलभ हो सके इसलिए यह स्कूल विद्यार्थियों को युनिफॉर्म, किताबे, भोजन एवं वैदयकीय देखरेख आदि सेवासुविधा विनामूल्य दी जाती है।

भवरलालजी जैन -लेखक एवं वक्ता

भाऊ का जीवनकाल संघर्षपूर्ण और प्रेरक रहा है। अपार मेहनत करने के साथही भाऊ को किताबे पढ़ने में काफी आनंद मिलता था। बड़ेभाऊ शिक्षण और लेखन से भी काफी लगाव था। मराठी, हिंदी, और अंग्रेजी में उन्होंने लेखन किया। उनकी लिखी पुस्तकों में से ‘अॅन आँत्रप्रन्युअर डिसायफर्ड’, ‘द एनलायटण्ड आँत्रप्रन्युअर’ हैं। इसके अलावा ‘ती आणि मी’ (मराठी) इस पुस्तक में उनकी आत्मकथा समाहित है। जो भाऊ की धर्मपत्नी कांताई के साथ बिताये जीवनकाल की घटनाओंपर आधारित है। मराठी-‘ती आणि मी’, हिंदी- ‘वो और मैं’ और अंग्रेजी-‘She & Me’ में प्रकाशित हुई है। भारतीय संस्कृति और सुसंस्कृत अखंड कुटुंबसंस्था का अनुठा चित्रण याने -‘ती आणि मी’ किताब में हैं। नयी पिढी को इस किताब से दिशा प्राप्त होगी यह तो सुनिश्चित है। इस किताब की अब तक एक लाख से अधिक प्रतियाँ पाठकों तक पहुँच चुकी हैं।

गाँधी तीर्थ

भाऊ जैसे संस्कारशील थे, वैसेही उनका वैचारिक अधिष्ठान काफी गहरा था। आनेवाली नयी पिढी को यह वैचारिक अधिष्ठान प्राप्त हो इसलिए उन्होंने गाँधी तीर्थ अर्थात गाँधी रिसर्च फाउंडेशन का निर्माण किया। महाराष्ट्र के जलगाँव में जैन हिल्स पर 81 हजार चौ. फूट क्षेत्र में निर्माण किया गया “खोज गाँधीजी की” यह एक बहुआयामी और मार्गदर्शक संग्रहालय है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी की जीवनकाल, उनके आदर्श, उन्होंने दी हुई अहिंसा की सीख, आज़ादी में उनका योगदान, शांती और क्षमाशील जीवन का आचरण ऐसे अनेक पहलू उजागर करता है यह गाँधी तीर्थ। “विश्व का पहला ऑडीओ गाईड संग्रहालय” ऐसी मान्यता इसे प्राप्त है।

जैन के चार रंग- श्रद्धा-प्रकृति का दर्पण

पिला, हरा, निला और भूरा यह चारों प्राकृतिक रंग जैन इरिगेशन कम्पनी के प्रतिक चिन्ह में सम्मिलित है। कम्पनी के संस्थापक अध्यक्ष श्री भवरलालजी जैन की दृढ़ धारणा का वह प्रावरण है जो कृषिसंस्कृति के प्रति कम्पनी की चिरंतन वचनबद्धता को दर्शाता है। संपूर्ण कृषि कार्य श्रृंखला को प्रतिष्ठा मिले इसलिए जैन इरिगेशन प्रयास कर रहा है। साथ ही साथ दुनियाभर के बाजारों से बढ़ती मांग और बढ़ते घरेलु ग्राहक के लिए वह कृषिउत्पाद की परिपूर्ण श्रेणी का उत्पादन और प्रसंस्करण करती है। जल, अन्न और ऊर्जा सुरक्षा बढ़े एवं इनका लाभ सभी पा सके इसलिए कम्पनी कोशिश कर रही है।

पद्मश्री डॉ भवरलाल जैन एक ऐसे उद्योगी, समाजसेवी, किसान-हितैषी थे जो सदा के लिए सभी के मन में बसे हुए हैं। वे देश के अरबों किसानों को खुशहाल बनाने के लिए सार्थक प्रय़ास करनेवाले कृषी उद्यमी थे। 

जैन उद्योग समूह की सामाजिक प्रतिबद्धता के चलते शुरुआत से ही सांस्कृतिक उपक्रमों का आयोजन किया जाता है। पहले भी ‘जैन ब्रदर्स’ द्वारा उस वक्त जलगांव शहर के चौक सुशोभिकरण के कार्य किये गए। आज भी काव्यरत्नावली चौक को हर एक अवसर पर नई-नर्ई संकल्पनाओं द्वारा सुशोभित किया जाता है। इससे भी आगे चलकर काव्यरत्नाली चौक में कुछ महिनों पहले ‘भाऊंचे उद्यान- पद्मश्री डॉ भवरलालजी जैन थीम पार्क’ का निर्माण किया गया। इसी तरह हाल ही 02 अक्तूबर को नये बसस्थानक परिसर स्थित ‘ महात्मा गांधी उद्यान’ का पुर्ननिर्माण एवं लोकार्पण भी जैन इरिगेशन कंपनी की ओर से किया गया। आने वाले समय में जैन इरिगेशन कंपनी सुयोग्य आरोग्यदायी आहार लोगों को मिल सके इसलिए मसाला उद्योग में पदार्पण करेंगी।। बड़ेभाऊ ने संस्कारित किया हुआ जीवनव्रत “कार्य ही जीवन, जीवन ही कार्य” इसके अनुसार जैन कंपनी एवं सभी सहयोगी कार्य कर रहे है।  

आज बड़े भाऊ शरीर रूप से हमारे साथ नहीं है, फिर भी वे आदर्श कार्यसंस्कृति के रूप से हमेशा साथ रहेंगे। सदैव सकारात्मक विचार, कार्य में लगे रहना, कठोर परिश्रम और पर्यावरण के साथ ही जागरूकता, सदगुणों के बीज उन्होंने सहकारियों में संस्कारित किया है। सृष्टी के हर फूल-पत्तों में, जलाशय में भाऊ है। पानी के बूँद में भी उनका अस्तित्व दिखाई प़डता है। टपक सिंचाई के हर बूँद में भाऊ की यादें समाई हुई है। भाऊ के विचार, कार्यप्रणाली हम सभी को एक शक्ती, प्रेरणा देते रहेंगे।

                                            ———————————-

      हावर्ड बिज़नेस स्कूल, यू.एस.ए. द्वारा डॉ. भवरलाल जैन का लिया गया साक्षात्कार

 

 

 

Tags: # bhavarlal jain#jains jalgaon#जैन इरिगेशन सिस्टम्स लि. जलगांव#डॉ. भवरलाल जैन
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