आकोला(अवेस सिद्दीकी): शिक्षा से वंचित बच्चों को ढूंढने की मोहिम शिक्षा विभाग की ओर से पूरे राज्य में चलाई गई थी जिसे शाला बाह्य विद्यार्थी शोध मोहिम का नाम दिया गया था।
जिले भर में 1हजार 452.बच्चे शाला बाह्य है तथा 630 बच्चो को शालाओं में दाखले दिए जाने की जानकारी अकोला जि.प शिक्षा विभाग द्वारा दी गई है किंतु यह केवल दफ्तरी आंकड़े है। वस्तुस्थुथि पर शिक्षा विभाग द्वारा पर्दा डालकर प्रशासन को दफ्तरी आंकड़े दे कर गुमराह करने की चर्चाए जि.प शिक्षा विभाग में जारी है। जिले में हजारों बच्चे अब भी शिक्षा के अधिकार से वंचित है। एक तरफ सरकार शिक्षा के स्तर को बढ़ाने लाखो रूपय खर्च कररही है तो वही संबंधित अधिकारी अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ रहे है। जिले में शाला बाह्य बच्चों का सवाल अधिक गंभीर होता जारहा है। अब भी शहर में कई दुकानों होटलों पर कम उम्र के बच्चे बालमजदूर के रूप में काम करते देखे जासकते है एवं जिला प्रशासन की आंखों पर मानो पट्टी बंधी हुई है जिला प्रशासन प्रसिद्धि कार्यों में ही व्यस्त औऱ तत्पर नजर आती है तथा शिक्षा एवं बालमजूदूरी जैसे गंभीर विषय की ओर कोई ध्यान देने तैयार नही है। जिले भर में बालमजदूरी संबंधी करवाई की भी जाति है तो खाना पूर्ति हेतु वरना बरसो कोई करवाई सामने नही आती। शाला बाह्य बच्चों को ढूंढने की मोहम में विभिन्न सामाजिक संघटनाए भी काम कर चुकी है किंतु शिक्षा विभाग के कुछ भ्रष्ट एवं कामचोर अधिकारीयो की महेरबानी से जिले में शाला बाह्य बच्चो की संख्या बढ़ रही है एवं बालमजदूरी को प्रोत्साहन मिल रहा है। सभी विद्यार्थियों को शिक्षा मिले इसलिए “शिक्षण हक कायदा” लागू होने को सात साल होने के बाद भी जिले में मामला जु का तू बना हुआ है जिले में शाला बाह्य बच्चो की संख्या निरंतर बढ़ती जारही है। पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया स्लोगन की शिक्षा विभाग द्वारा ही धज्जियां उड़ाई जारही है। शिक्षा जैसे अहम मुद्दे पर जिला प्रशासन का कोई अधिकारी गम्भीर नजर नही आता।
राज्य की भी हालत खराब
विगत सात साल से शिक्षा हक कायदा लागू होने के पश्चात भी मई2018 तक राज्य में करीब 4 लाख बच्चें शाला बाह्य है।विधान सभा मे शाला बाह्य विद्यार्थियों के संदर्भ में पूछने पर शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने लेखी स्वरूप में दिए उत्तर में यह जानकारी दी।इससे ज्ञात होता है कि राज्य भर में शाला बाह्य बच्चो का मामला गंभीर होता जा रहा है।
जरूरत महसूस होरही है कि जिले में बढ़ रही शाला बाह्य बच्चों की बढ़ रही संख्या एवं बालमजदूरी को खत्म करने जिलाधिकारी आगे आए तथा नई योजना चलाकर जिले के शिक्षा के स्तर को बढ़ाए