अकोला (अवेस सिद्दीकी)नगर निगम के नए कर वृद्धी के विषय में नगर निगम के विपक्ष नेता साजिद खान पठान के कार्यालय में पार्षद डॉ जिशान हुसेन,पार्षद मो इरफान आदी की उपस्थिती मे पत्र परिषद का आयोजन किया गया था।
परिषद मे संवाददाता द्वारा प्रश्न किया गया कि नगर निगम के सम्पत्ती मॅपिंग हेतू स्थापत्य कंपनी की कितनी निविदाएं आई थी ?, इसमें आपके द्वारा आठ करोड़ के घोटाले किए जाने का आरोप लगाया जा रहा है ? तब आयोजन करताओ द्वारा बताया गया कि सूचना के अधिकार द्वारा मालूमात मांगी है जो अब तक अप्राप्त है इस्से जाहीर होता है कि इस संदर्भ में अपूर्ण मालूमात के आधार पर ही पत्र परिषद आयोजित की गई थी।
ज्ञात रहे नगर निगम प्रशासन द्वारा कर वृद्धी को करीब 6 महीने गुजर चुके हैं तथा अब तक प्रशासन द्वारा करीब 30 करोड़ की संपत्ति कर की वसूली कर ली गई है।एक ओर कांग्रेस द्वारा संपत्ति कर में बदलाव के लिए रुकने का नागरिको को आश्वासन दिया जा रहा है तो दूसरी ओर नगर निगम प्रशासन द्वारा जब्ती की कार्रवाई की जा रही है इससे ज्ञात होता है कि कांग्रेस कर वृद्धी के निषेध की आड़ में केवल राजनीति कर रही है तथा नागरिकों को गुमराह कर अपनी राजनीतिक रोटी सेक रही है आखिर क्यों पार्टी न्यायालय जाने में आनाकानी कर रही है ? क्यों इस संदर्भ में स्टे नहीं लाया जाता? तथा आज करीब 6 महीने होने के बाद “बासी कडी को उबाल” की तरह निषेध किया जा रहा है अब तक न्यायालय का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया गया? इसी तराह विगत दिनों नगर निगम के नियमों को ताक पर रखकर विपक्षी नेता द्वारा नगर निगम के सभागृह में पत्र परिषद का आयोजन किया गया था जिसके चलते प्रशासन द्वारा उन्हे कारण बताओ नोटिस भी दी गई थी इससे साबित होता है कि उनकी नजर में नगर निगम के नियम कोई महत्व नहीं रखते या वे जानबूझकर ऐसा करते हैं,आज आयोजित पत्र परिषद में कांग्रेस के कई पार्षदों की अनुपस्थिति यह दर्शा रही थी की अकोला कांग्रेस पक्ष में बहुत आपसी मतभेद है तथा कर वृद्धि के निषेद में पक्ष का पूर्ण रुप से सहयोग नहीं है,कांग्रेस की ऐसी ही आपसी मतभेद के चलते विगत सालों में अकोला के नागरिकों में पक्ष की प्रियता घट गइ है तथा लडखडा रही कांग्रेस का यह हाल है कि अकोला से कांग्रेस का एक भी विधान सभा में सदस्य नहीं है इसी के मुद्देनजर भविष्य में होने वाले लोकसभा चुनाव में पराभूत के डर से काँग्रेस टैक्स पर राजनीति कर रही है जबकी कर वृद्धी के बगैर नगर विकास असंभव है तथा नगर निगम प्रशासन पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है तो क्या कांग्रेस विकास कार्य की ओर ध्यान ना देते हुए नागरिकों को गुमराह करने की राजनीति करना चाहती है? पक्ष को जनता की इतनी ही चिंता है तो वे वि.न्यायालय जाने में क्यों आनाकानी कर रहा है? जबकि इतिहास साक्षी है भूतकाल मे कांग्रेस की अकोला नगर निगम मे सत्ता होने के बावजुद शून्य विकास कार्य हुआ है।