मधापुरी के किसान महदेवराव गांजरे की पहल
माँ की पुण्यतिथिपर 1 लाख रुपये खर्च करके टीन शेड , आसन ,पेयजल , पानी टाका , गेट,तथा तार फेंसिंग कंपाउंड लगा कर किया सौद्रीयकरण
मूर्तिज़ापुर (मो.रिजवान सिद्दीकी ):अकोला जिले में मूर्तिज़ा-पुर तहसील के सबसे आखिरी सिमा पर बसा हुवा व केवल 4 से 5 हजार आबादीवाला ग्राम मधा-पुरी के किसान महदेवराव उत्तम-राव गांजरे (62) ने खुद के श्रम-दान से एक लाख रुपये खर्च करके अपने माँ स्व.गंगूबाई गांजरे की 15 वी पुण्यतिथि कार्यक्रम पर ग्राम मधापुरी के स्मशान भूमि समीप शेख बुवा मंदिर का सौंदर्यीकरण करके उसे तार कम्पाउंड, गेट,अंतिम संस्कार के लिए आनेवाले लोगो को अपने खेत कुवे से 2 हजार फीट पाइप लाइन डालकर स्मशान भूमि में पानी की व्यवस्था की,और लोगो को पेयजल के लिए नल लगाये,व स्नान करने पानी का टाका, तथा बारिश एवं धूप से बचने के लिए एक टीन का बड़ा शेड और लोगो को बैठने के लिए आसन बना-कर एक इंसानियत का जीता जागता परिचय दिया।

बता दे कि गाँव का विकास कार्य करना ग्राम पंचायत प्रशासन की जिम्मेदारी है। और इसके लिए पैसा भी सरकारी तिजोरी से ही ख़र्च करना जरूरी है। परंतु मधापुरी के किसान महादेवराव गांजरे के बचपन से लेकर जवानी तक और अब बुढ़ापे के 62 साल भी उलट गये परंतु गांव का विकास अब भी कोसो दूर नजर आ रहा है। ग्राम पंचायत प्रतिनिधि से लेकर तो आमदार खासदार तक मधापुरी के विकास कार्य पर ध्यान नही देते। यहाँ की हिन्दू स्मशान भूमि कई सालो से विविध समस्यायो में घिरी हुई थी। जब किसी की बारिश पानी मे मौत हो जाती तो यहाँ के लोगो को कई समस्यायों का सामना करना पड़ता था। ऎसी गंभीर समस्या को मध्य नजर रखते हुये किसान महादेवराव गांजरे ने जेब से पैसे खर्च करके अपनी स्व. माँ के 15 वी पुण्य-तिथि का अवसर साधते हुये स्मशान भूमि का सौदर्यीकरण करके विविध समस्याओ को दूर करना मुनासिब समजा। जिस कारण अंतिम संस्कार को आने वाले लोगो को कोई परेशानी ना हो।
बचपन से लेकर तो जवानी तक गरीबी में जिंवन बिताने वाले किसान महादेवराव गांजरे आज भी किसी गरीब
को देखा तो उनकी मदत करने पहुच जाते। और कोई शख्स इनके पास रोता हुवा आया तो वह शख्स – खुश होकर ही लौटता है । क्योंकी
को देखा तो उनकी मदत करने पहुच जाते। और कोई शख्स इनके पास रोता हुवा आया तो वह शख्स – खुश होकर ही लौटता है । क्योंकीकिसान महादेवराव गांजरे ने गरीबी क्या होती है ये बहुती करीब से देखा है और परखा है।


