जामनेर (तेज़ समाचार प्रतिनिधि ):मान्सून अंदमान मे दस्तक दे चुका है सब कुछ ठीक रहा तो शायद 10 जुन तक वह मुंबई समेत सुबे मे पानी की बौछार कर सकता है , यानी और कुछेक सप्ताह का इंतजार करना अनिवार्य है मान्सून को लेकर ऐसे अनूमान तथा संकेत कीसानो के लिए बेहद मायने रखते है . इसके विपरीत शहर मे पेयजल को लेकर प्रशासन कि लापरवाहि से पनपे आपातकाल जैसे हालात से निपटने के लिए अभी भी जमीनी स्तर पर कोई उपाय नहि किये जा रहे है , कल तक पीने के शुद्ध पानी के लिए फिल्टर प्लैंट से प्रतीदिन हो रहि करीब एक लाख लिटर पानी की बिक्रि मे शायद इजाफ़ा हुआ होगा . नगर मे चलाए जा रहे अदभुत विकास के कारण उखाडी गयी सडके मान्सून के बिच अपना जलवा बिखेरेगी , वहि टूटफुट से क्षतीग्रस्त हो रहि जल वितरण प्रनाली के चलते शोपीस बने सरकारी नलके उपभोक्ताओ के आंगन की शोभा बढा रहे है .
लोगो को घरेलु इस्तेमाल के लिए प्रती खेप 500 रुपये भुगतान कर निजी टैंकरो का सहारा लेना पड रहा है . यह स्थिती नगर के पुराने इलाके समेत कालोनीयो मे भी दिखायी दे रहि है . जलापुर्ती के मुख्य स्त्रोत वाघुर डैम से शहर तक करोडो रुपयो की लागत से बिछायी गयी पाइपलाइनो मे तकनिकि व्यावधानो का सिलसिला बरकरार है . जब की डैम मे पर्याप्त पानी है और उसमे शहर के लिए 5 एमटीएफसी पानी का भंडार आरक्षित भी है , जिसको उक्त दिक्कतो के चलते उपयोग मे हि नहि लाया जा रहा है . आश्चर्य कि बात यह है की जलकिल्लत को लेकर प्रशासन ने अब तक जनता से मुखातीब होना जरुरी नहि समझा है , जिससे आवाम मे कयी तार्कीकताओ ने जन्म ले लिया है . जानकारो कि माने तो बताया जा रहा है की तकनीकि स्तर पर अदभुत विकास का ढाचा हि कहि चूँक गया है जिससे यह हालात पैदा हो गए है . अदभुत विकास के लिए संघर्ष वाली अपनी लोकतांत्रीक मानसिकता को त्याग चुके लोगो मे सिस्टम से यह मांग कि जा रहि है की कम से कम उन्हे टैंकरो से मुफ्त मे जलापुर्ती तो की जाए जो उनका हक बनता है .