नई दिल्ली ( तेज़ समाचार प्रतिनिधि ) – आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रत्याशी के रूप में रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को अपना नामांकन-पत्र दाखिल किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित सभी बड़े नेता मौजूद थे । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोविंद के पहले प्रस्तावक बने। कोविंद के नामांकन में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भी संसद भवन पहुंचे। नामांकन-पत्र दाखिल करने के बाद रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश में राष्ट्रपति पद सर्वाधिक गरिमा का पद होता है और वह इस पद की गरिमा को बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। कोविंद ने नामांकन-पत्र दाखिल करने के बाद संसद से बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘हमारे देश में संविधान सर्वोपरि है। इसकी गरिमा बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।’
वहीं दूसरी ओर राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष ने मीरा कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है। गुरूवार को विपक्ष के 16 दलों ने राष्ट्रपति पद को लेकर एक बैठक की, जिसमें एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के खिलाफ यूपीए ने पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार का नाम अपने उम्मीदवार के रूप में तय किया। इस बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए। नीतीश कुमार पहले ही रामनाथ कोविंद के प्रति अपना विश्वास जता चुके हैं।
नामांकन-पत्र दाखिल करने के बाद रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति का पद दलगत राजनीति से ऊपर होना चाहिए। कुछ महीनों में हम देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं। ऐसे में देश का निरंतर विकास होता रहे, हम इसके प्रयास करते रहेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘पूर्व में इस पद को कई लोगों ने सुशोभित किया है, जिसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. राधाकृष्णन और ए.पी.जे अब्दुल कलाम जैसे महानुभाव हुए।’ कोविंद ने कहा, ‘मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नामांकन किया। दूसरे घटक दलों ने भी मेरा समर्थन किया। इसके लिए सभी का हृदय से आभारी हूं।’
विदित हो कि रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनना तय माना जा रहा है। एनडीए के साथ-साथ जेडीयू, टीआरएस, बीजेडी जैसे दलों ने उन्हें समर्थन का ऐलान किया है। ऐसे में रामनाथ कोविंद को 61 फीसदी से भी ज्यादा वोट मिलने की उम्मीद है, क्योंकि अकेले एनडीए का वोट प्रतिशत ही 48.6 फीसदी है। नामांकन के मौके पर समर्थन देने वाले तमिलनाडु के सीएम पलनीसामी, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू और ओडिशा के मंत्री सूर्यनारायण पात्रा भी मौजूद थे।