पुणे (तेज समाचार डेस्क). गणेशोत्सव तक पिंपरी चिंचवड़ मनपा मुख्यालय के सामने 90 मीटर अंतर तक शुरू किये गए मेट्रो रूट का काम रोकने की नोटिस को महामेट्रो ने कूड़ेदान का रास्ता दिखाया है. नोटिस के जवाब में महामेट्रो ने स्पष्ट किया है कि काम शुरू करने में दो माह का विलंब होने से यह काम नहीं रोका जा सकता. मनपा और महामेट्रो में समन्वय के अभाव के बाद अब मनपा अधिकारियों की अक्सर की जानेवाली शिकायत भी सच साबित हो गई है, जिसमें कहा गया था कि मेट्रो के अधिकारी उनकी नहीं सुनते.
पुणे और पिंपरी चिंचवड़ शहरों के लिए महत्वाकांक्षी मानी जा रही मेट्रो परियोजना पिंपरी से स्वारगेट रूट के पहले चरण का काम युद्धस्तर पर जारी है. इसके तहत पिंपरी चिंचवड़ मनपा मुख्यालय के सामने जारी मेट्रो परियोजना का काम रोकने की नोटिस जारी की गई है. इसमें मनपा मुख्यालय के सामने 90 मीटर अंतर के काम को गणेशोत्सव संपन्न होने तक रोकने के आदेश दिए गए थे. महामेट्रो ने इस नोटिस को कूड़ेदान का रास्ता दिखा दिया है. इस बारे में खबर प्रसारित करने के बाद मनपा ने महामेट्रो से मिले जवाब की उपरोक्त जानकारी दी.
इससे पहले मेट्रो के इसी रूट पर पिंपरी खरालवाड़ी के पास बीआरटीएस रुट में मेट्रो के पिलर्स खड़े किए गए थे, इसकी जानकारी मनपा को न थी. जब मीडिया ने इस ओर ध्यानाकर्षित किया तब मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर ने महामेट्रो को नोटिस भेजकर काम रोकने के आदेश दिए थे. कुछ दिन बाद पुनः इसका काम शुरू किया गया. इसके बाद मनपा मुख्यालय के सामने 90 मीटर तक मेट्रो का काम शुरू किया गया. संरक्षक बैरिकेट्स लगाकर खुदाई का काम शुरू करने के बाद मनपा को इसका पता चला और तब इसे रोकने के लिए नोटिस भेजी गई. रोक आदेश गणेशोत्सव संपन्न होने तक था, मगर महामेट्रो ने इस नोटिस को नजरअंदाज कर काम नहीं रोका जा सकता, ऐसा जवाब देकर काम शुरू रखा है.
इससे पहले मेट्रो मार्ग में बाधित होने वाले पेडों के दोबारा रोपण और दूसरी जगह पर हटाये जाने वाले पेडों से ज्यादा पेडों के रोपण के मुद्दे पर भी मनपा और महामेट्रो के बीच समन्वय का अभाव नजर आया था. तब मनपा के उद्यान विभाग ने महामेट्रो के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी. हांलकि महामेट्रो ने मनपा से जगह उपलब्ध न कराये जाने की सफाई दी थी. मूलतः मेट्रो परियोजना के पहले, दूसरे व तीसरे चरण में कब, कहां से कहां तक किस तरह का काम किया जाना है? इसके बारे में मनपा को जानकारी होनी चाहिए. मगर यहां आलम यह है कि काम शुरु होने और उसके 15 से 20 दिन बीतने के बाद भी मनपा को कुछ पता नहीं होता है. जब आंख खुले तब सबेरा मानने वाली मनपा लोगों की सुविधा के नाम पर नोटिस जारी कर काम रुकवा देती है. मनपा और महामेट्रो के बीच समन्वय और नियोजन के अभाव के चलते लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है. करदाताओं के पैसों का अपव्यय हो रहा है.