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गांधीजी के सिद्धांतों को समझने के लिए आत्मा का शोध आवश्यक – तुषार गांधी

Tez Samachar by Tez Samachar
September 2, 2017
in Featured, जलगाँव
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गांधीजी के सिद्धांतों को समझने के लिए आत्मा का शोध आवश्यक – तुषार गांधी

नेशनल गांधियन लीडरशिप कैंप का हुआ शुभारंभ 18 राज्यों के युवाओं की उपस्थिति

जलगाँव ( तेज़ समाचार प्रतिनिधि ) – आज का युग त्वरित युग है, 2 मिनट में सभी बातें प्राप्त हो जाती हैं. ऐसी परिस्थिति में गांधीजी के सिद्धांत को यदि समझना हो तो अपने भीतर छुपे हुए आत्मज्ञान का शोध आवश्यक है. बापूजी की यात्रा मोहन से महात्मा तक यह आत्ममंथन से प्राप्त हुई है . उक्त विचार महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी ने व्यक्त किये . गांधी रिसर्च फाउंडेशन एवं गांधियन सोसायटी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित नेशनल गांधियन लीडरशिप कैंप के उद्घाटन के समय वह बोल रहे थे.

गांधी रिसर्च फाउंडेशन एवं गांधियन सोसाइटी की ओर से शुक्रवार को नेशनल गांधी एंड लीडरशिप कैंप का शुभारंभ किया गया . इस दौरान मंच पर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कौस्तुभ देवेगावकर, गुजरात विश्वविद्यालय के सुदर्शन अयंगार, जैन इरीगेशन समूह के अध्यक्ष अशोक जैन, दलीचंद जैन, महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी मौजूद थे . कार्यक्रम के प्रारंभ में दीप प्रज्वलन किया गया . उपस्थितों का मार्गदर्शन करते हुए तुषार गांधी ने बताया कि आज के युवकों को मुन्ना भाई के माध्यम के गांधी जी का साक्षात्कार हुआ है. किंतु स्वयं के प्रयासों से गांधीजी को समझने का प्रयास करना चाहिए . बापूजी महात्मा होने से पहले मोहन थे, किंतु मोहन ने कभी भी अपने सिद्धांत ना बदलते हुए सत्य की ताकत समझी और वह महात्मा हुए . युवाओं ने भी अपने सिद्धांतों पर चलते हुए परिस्थितियों पर मात करनी चाहिए . यही इस कैंप का उद्देश है .

तुषार गांधी ने बताया कि बताया कि मोहन की भक्ति नहीं करनी चाहिए क्योंकि भक्ति में भ्रष्टाचार होता है, भक्ति अंधा बनाती है और तरह-तरह के कुरीतियों को जन्म देती है . आज के युवाओं ने अपना आत्म चिंतन बंद करते हुए  स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने की होड़ को स्वीकार कर लिया है . ऐसे में  युवक अपने भीतर के आत्मविश्वास को भूल गया है. शिक्षण वह नहीं होता जिससे आपके विचार परिवर्तित हो. अहिंसा यह बापू की पहचान थी. गाल पर चांटा मारने के घटना क्रम से खुद के मन में इस तरह की भावना निर्माण करो की उस घटना का पश्चाताप होना चाहिए. अहिंसा का अर्थ कायरता या डर नहीं है . आपके परिवार वह घर की रक्षा आपको ही करनी है. स्त्री शक्ति की प्रकृति बापू ने पहचानी जिसके कारण ही वह लड़कियों को आत्म निर्भर बनाने के पाठ सिखाने लगे. आत्मनिर्भरता यह आत्म चिंतन के दम पर निर्भर करती है .प्रबल आत्मविश्वास के दम पर नेतृत्व किया जा सकता है . इस प्रकार के नेतृत्वगुण हाल ही में मुझे डॉक्टर भवरलाल जैन में दिखाई दिए. उन्होंने अपने सहयोगियो को जिम्मेदारी का एहसास कराते हुए आत्मनिर्भर किया .युवाओं को इनोवेटर बनना चाहिए . अपने देश में सबसे अधिक साहसी गांधीजी थे . श्रद्धा आत्मा और साहस यह कभी भी खत्म नहीं होता ,जो परिवर्तन समय के अनुसार अपेक्षित हो उसे सबसे पहले स्वयं में लाना चाहिए.

जैन इरीगेशन के अध्यक्ष अशोक जैन ने उपस्थित लोगों को मार्गदर्शन करते हुए बताया कि नेतृत्व की परिभाषा नायक के गुण किस प्रकार से होने चाहिए . इन सब बातों का चिंतन करते हुए सारी बातें गांधीजी के सिद्धांतों पर आकर रुकती हैं . सत्य अहिंसा प्रेम सद्भावना इन सिद्धांतों को स्वीकार करने से नेतृत्व गुणों का विकास हो सकता है . बड़े भाऊ अर्थात डॉक्टर भवरलाल जी जैन हमेशा कहा करते थे कि परिश्रम करने से परिपूर्णता निर्माण होती है .उन्होंने हमें परिश्रम के संस्कार दिए, पैसे के स्थान पर कार्य , संपत्ति के स्थान पर परिश्रम एवं वैभव के स्थान पर जिम्मेदारियों का महत्वपूर्ण गुण उन्होंने हमें दिया और उसी मार्ग पर हम आगे बढ़ रहे हैं . सदाचार परिश्रम चरित्र ज्ञान वैराग्य विहीन उपासना यह परिपूर्णता का मूल बिंदु बड़े भाऊ ने हमारे लिए छोड़ा है. इन सिद्धांतों में नेतृत्व के बीज मौजूद है. युवकों ने भी इन सिद्धांतों को स्वीकार करना चाहिए. ऐसे में उन्हें कोई भी नेतृत्व करने से नहीं रोक सकता .

जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिव्या गावकर ने बताया कि ग्राम विकास की नीव गांधीजी की गांव की ओर चली संकल्पना से प्रारंभ हुई .ग्राम स्वराज की नींव स्थानिक स्वराज संस्थाओं की स्थापना से आगे बढ़ी किंतु इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि संस्थाओं के पास आज ग्राम विकास की समस्याएं नहीं आती. मूलभूत प्रश्नों के विचार करने के लिए संस्थाओं का कोई पता नहीं है . स्वतंत्रता पूर्व अंग्रेज साहब होते थे, आज अपने ही लोग साहब बन गए हैं. किंतु समस्याएं जस की तस हैं . मेरे दृष्टिकोण से शताब्दी के असली हीरो गांधीजी है. आज WhatsApp एवं सोशल मीडिया Facebook पर जानकारियों का प्रसार हो रहा है . किंतु सत्यता कहां है इसका कोई शोध नहीं होता . लिखना एवं उसकी जिम्मेदारी स्वीकार करना यह दोनों अलग-अलग बातें हैं. सामान्य इंसान को स्वतंत्रता का डर लगता है .गांधीजी मात्र लोगों को विचार करने के लिए प्रेरित करते हुए एक नेतृत्व बनाना चाहते थे .इस लीडरशिप कैंप में से बाहर निकलते हुए युवक सत्य की ओर दृष्टिकोण रखने रखने वाले युवक के रूप में अपनी पहचान बनायेंगे.

लीडरशिप कैंप के उद्देश्यों के बारे में जानकारी देते हुए गुजरात विश्वविद्यालय के सुदर्शन अयंगार ने कहा कि नेतृत्व सिर्फ राजनीतिक नहीं होता. समाज को दिशा देने का कार्य करने वाले नेतृत्व होने चाहिए .किंतु हाल ही के दिनों में हम देखते हैं कि विश्व भर में तकनीकी ज्ञान नेतृत्व के रूप में अपनी जगह बना रहा है . आज की पीढ़ी तकनीकी ज्ञान के दबाव में इस रही है. तकनीकी ज्ञान हमें अपने जीवन से दूर ले जा रहा है. यह बात ध्यान रखनी चाहिए की  तकनीकी ज्ञान के चक्कर में हम अपना प्रेम वह अपना तो भूल रहे हैं . मात्र औपचारिकताएं निभाने से हमारा भीतर का प्रेम निर्माण नहीं होता .इसके लिए युवकों ने अंदर से मजबूत होना चाहिए. और इस मजबूती के लिए आत्म चिंतन का मार्ग ही खोजना होगा. सत्य का मार्ग खोज ने के लिए इस तरह के कैंप में से सहायता प्राप्त होगी.

कार्यक्रम के शुभारंभ में अनुभूति निवासी स्कूल के बच्चों ने गांधी जी के सर्वप्रिय वैष्णव जन जेने कहिए भजन को प्रस्तुत किया . कार्यक्रम का संचालन अश्विन झाला ने एवं आभार विनोद रापतवार ने प्रस्तुत किया . कार्यक्रम में प्रस्तावना करते हुए डॉक्टर जॉन चेननदुरई ने महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा गांधी के 150 वी जयंती के अवसर पर गांधी रिसर्च फाउंडेशन के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी .वाटरशेड, ग्राम स्वराज्य , यूथ प्रोग्राम आदि के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह नेशनल गांधी एंड लीडरशिप कैंप आगामी 15 सितंबर तक जारी रहेगा.

Tags: # gandhi reserch foundeshan#गांधी तीर्थ#जलगांव news#जलगाँव samachar#नेशनल गांधियन लीडरशिप कैंप
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