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गोरखपुर की मस्जिदों में बच्चे पढ़ रहे नौतिकता का पाठ

Tez Samachar by Tez Samachar
May 29, 2017
in Featured, प्रदेश
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गोरखपुर की मस्जिदों में बच्चे पढ़ रहे नौतिकता का पाठ

गोरखपुर (तेज समाचार डेस्क). नैतिकता मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है. यदि मानव में नैतिकता न हो तो पशुता और मनुष्यता में कोई अंतर नहीं रह जाता है. इसलिए योगी के गढ़ गोरखपुर की मस्जिदों पर मुस्लिम बच्‍चों को जन-गण-मन और नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जा रहा है.
दीनियात मकतब नाम के चैरिटेबल ट्रस्‍ट द्वारा वर्ष-2012 से हर कक्षा का पाठ्यक्रम बनाकर उन्‍हें पढ़ाया जा रहा है. शहर की हर गली और मोहल्‍लों में 50 मस्जिदों और मजारों पर संस्‍कार का यह पाठ पढ़ाया जा रहा है. यहां आने वाले बच्‍चों में कोई अमीर और गरीब नहीं है. हर घर से आने वाले बच्‍चों को बराबर का दर्जा प्राप्‍त है.

मूलतः संतकबीनगर के रहने वाले 67 वर्षीय खालिद हबीब का परिवार सन 1960 से गोरखपुर के मियां बाजार इमामबाड़ा में रह रहा है. उन्‍होंने बताया कि आज कान्‍वेंट स्‍कूलों में बच्‍चों का एडमीशन कराने की होड़ मची हुई है. आज की पीढ़ी बच्‍चों के भीतर नैतिक शिक्षा का क्षरण होना स्‍वाभाविक है. ऐसे में एक ऐसी संस्‍था की जरूरत महसूस हुई जो बच्‍चों को नैतिक शिक्षा और देशभक्ति का पाठ पढ़ा सके.

वर्ष 2012 में उन्‍होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर ‘दीनियात मकतब’ ट्रस्‍ट चलाने वाले मुंबई के रफीक भाई से संपर्क किया और बात बन गई. यह संस्‍था देश के हर राज्‍यों में मुस्लिम बच्‍चों को मस्जिदों में नैतिक शिक्षा और देशभक्ति का पाठ पढ़ाती है.

खालिद बताते हैं रफीक भाई से बातचीत के बाद सिलसिला चल निकला और वह लोग शहर की गली-मोहल्‍लों की लगभग 50 मस्जिदों में दोपहर 2.30 बजे से रात 8 बजे तक लोअर केजी से लेकर कक्षा 5 तक के बच्‍चों तक को शिक्षा दी जाती है.

यहां आने वाला हर बच्‍चा बराबर होता है. सबसे पहले राष्‍ट्रगान जन-गण-मन का पाठ पढ़ाकर उनके भीतर देशभक्ति की भावना जागृत की जाती है. इसके साथ ही बड़ों का सम्‍मान, सच बोलना, साफ-सफाई, संस्‍कार और सभी प्रकार की नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाता है. उन्‍हें यहां पर पांच साल में कुरान की तालीम भी पूरी कराई जाती है यह भी बताया जाता है कि कुरान उन्‍हें क्‍या शिक्षा देता है.

दोपहर में संचालित होती है कक्षा
यह स्‍कूल दोपहर 2.30 बजे से रात 8 बजे तक इसलिए संचालित किया जाता है क्‍योंकि बच्‍चों और उनके अभिभावकों को परेशानी न हो. इसके साथ ही बच्‍चों के स्‍कूल का हर्जा न हो. खालिद बताते हैं कि यहां आने वाला बच्‍चा संस्‍कारवान बने और देश और समाज में अपना और परिवार का नाम रोशन करे इससे बढ़कर और क्‍या हो सकता है.

यही वजह है कि साक्षरता की ओर बढ़ रहे समाज में बच्‍चों को ऐसी तालीम देने की जरूरत महसूस हुई. मस्जिद को नै‍तिक शिक्षा और संस्‍कार के चुनने की वजह के सवाल पर वह बताते हैं कि मस्जिदों में नमाज के अलावा खाली वक्‍त मिल जाता है. बहुत सी जगहों पर बच्‍चों को पढ़ाने के लिए अलग से कमरे भी बनवा और दे दिए गए हैं.

सिर्फ 150 रुपये फीस
दीनियात मकतब में पढ़ने वाले गरीब बच्‍चे और बच्चियों को शिक्षा-दीक्षा के लिए एडाप्‍ट करने की सुविधा भी है. यहां आने वाले हर बच्‍चे को तालीम के बदले 150 रुपए प्रतिमाह फीस देनी होती है. उसी फीस से यहां का खर्च चलता है. जो बच्‍चे गरीब परिवार के हैं उनकी फीस कुछ ऐसे समाज के जागरूक लोगों की मदद से भरी जाती है जो उन्‍हें फीस के लिए एडाप्‍ट कर लेते हैं. इसके साथ ही बच्‍चों को पढ़ाने के लिए आलिम, फाजिल और हाफिज की शिक्षा लेने वाले लोगों को तैनात कर उन्‍हें रोजगार से जोड़ा भी जाता है. यहां पर तालीम लेने आने वाली बच्‍चे अजान सिद्दीकी, आमरीन और अनाम बेग बताते हैं कि उन्‍हें यहां पर किस तरह से नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाता है.

– देशभक्ति की भावना होती है जागृत
वहीं, अभिभावक मोहम्‍मद रफीक कहते हैं कि समाज में उठने-बैठने, संस्‍कार और नैतिक शिक्षा का पाठ यहां पर पढ़ाया जाता है. इसीलिए वह अपने बच्‍चों को यहां पर लेकर आए हैं. अभिभावक समीर बताते हैं कि यहां आकर बच्‍चों को देशभक्ति की भावना जागृत होती है और उन्‍हें यह भी पता चलता है कि बच्‍चों को पढ़ाने वाले हाफिज जीशान बताते हैं कि वह यहां पर बच्‍चों को इस्‍लामी तालीम देते हैं.

खाने-पीने का तौर-तरीका और उसके पहले और बाद में दुआ पढ़ने सहित किसी के घर जाने पर उठने-बैठने और सम्‍मान देने का पाठ पढ़ाते हैं. इसके साथ ही वह यह भी बताते हैं कि उन्‍हें अपनी जिंदगी अच्‍छे तरीके से कैसे गुजारनी है. वह कहते हैं कि इस्‍लाम यह सिखाता है कि आप जिस घर में रहे उस घर और समाज के अच्‍छे के बारे में सोचें. जिस देश में रहे उस देश के लिए अपना जान-माल और समय सब कुछ लगाना पड़ेगा.

Tags: #Gorakhpur
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