मैं अंधियारे के घटाटोप में दीप दिखाने आया हूं,
‘मॉब लिंचिंग’ में कैद रोशनी मुक्त कराने आया हूं।
सुप्त हुई चिन्गारी की ज्वाला भड़काने आया हूं,
मैं भारत का बेटा तुमको गीत सुनाने आया हूं।
सोने वाले लोगों को मैं आज जगाने आया हूं।।
कश्मीरी घाटी की माटी कब तक नीर बहाएगी?
नेहरुजी-बापू की रूहें कब तक धोखा खाएंगी?
रानी झांसी की आत्मा कब तक कष्ट उठाएंगी?
वसुंधरा यह सीताजी की क्यों सूखी रह जाएंगी?
सरदार-तिलक की कसमें गर जनता नहीं दोहराएंगी,
काले सोने की धरती फिर हीरे नहीं उगाएगी।
जब तक माता भारती की आरतियां नहीं गाएंगी,
तब तक भोली-भाली जनता पीछे ही रह जाएंगी।
मैं इतिहास के पन्नों को, तुम्हें दिखाने लाया हूं,
मैं इतिहास के पन्नों को तुम्हें दिखाने लाया हूं।
मैं भारत का बेटा तुमको गीत सुनाने आया हूं।
सोने वाले लोगों को मैं आज जगाने आया हूं।
सबक भूत से लेकर हमको खुद भविष्य पढ़ना होगा।
रेखाएं रचकर विकास की स्वयं भाग्य गढ़ना होगा।
ऐसा नहीं करेंगे तो हरदम हम को लड़ना होगा,
घोटालों के सम्मुख मस्तक बारंबार रगड़ना होगा।
इसीलिए हे भारत-पुत्रों अब आगे बढ़ना होगा,
हक है अपना डरो नहीं, अब कदम-कदम लड़ना होगा।
बेईमानों को सबक सिखाने सीना तान अकड़ना होगा,
लोहा लेकर दुराचारियों की छाती चढ़ना होगा।
ऐसी ही छाती को मैं, ठोंक बजाने आया हूं,
ऐसी ही छाती को मैं ठोंक बजाने आया हूं।
मैं भारत का बेटा तुमको गीत सुनाने आया हूं।
सोने वाले लोगों को मैं आज जगाने आया हूं।
आजादी अब नहीं मिलेगी झूठे वादे-नारों से,
आजादी अब नहीं मिलेगी तीरों से तलवारों से।
आजादी अब नहीं मिलेगी संयमशील गुहारों से।
आजादी अब नहीं मिलेगी हल्की चीख-पुकारों से।
गूंजेगी हर गलियां जब, भारत माता के जयकारों से,
चप्पा-चप्पा झूमेगा जब, सवा सौ करोड़ हुंकारों से।
जिस दिन पिण्ड छुड़ाएंगे हम भारत के गद्दारों से,
तभी मिलेगी आजादी ये कहता हूं मैं यारों से।
मैं जयचंद की औलादों को, आज डराने आया हूं,
राजनीति की कुटिल कलाएं आज मिटाने आया हूं।
भ्रष्ट व्यवस्था की जंजीरें मुक्त कराने आया हूं।
देश बेचने वालों को मैं मार भगाने आया हूं।
मैं भारत का बेटा तुमको गीत सुनाने आया हूं।
सोने वाले लोगों को मैं आज जगाने आया हूं।।
◆ सुदर्शन चक्रधर