सुदर्शन चक्रधर महाराष्ट्र के मराठी दैनिक देशोंनती व हिंदी दैनिक राष्ट्र प्रकाश के यूनिट हेड, कार्यकारी सम्पादक हैं. हाल ही में उन्हें जीवन साधना गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया. अपने बेबाक लेखन से सत्ता व विपक्ष के गलियारों में हलचल मचा देने वाले सुदर्शन चक्रधर अपनी सटीक बात के लिए पहचाने जाते हैं. तेजसमाचार . कॉम के पाठकों के लिए ख़ास
पवित्र माह रमजान. अल्लाह की नेमतों का अवसर. इबादत से मिलती हैं रहमतें. इस दौरान देश का सच्चा मुसलमान कोई गुनाह या कोई नापाक हरकत नहीं करता. मगर दुख है कि देश के एक कोने कश्मीर में बॉर्डर पर सैनिकों का इसी पवित्र माह में आतंकवादियों ने कत्लेआम और सिरफिरे पत्थरबाजों ने जीना हराम कर दिया है. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की अपील पर भारत सरकार ने एकतरफा संघर्षविराम भी घोषित कर रखा है, लेकिन जिस तरह ‘कुत्ते की पूंछ हमेशा टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है’ ….उसी तरह आतंकवादियों की कायराना हरकतें जारी ही हैं. उन्हें न रमजान की पवित्रता से कोई लेना देना है, न भारत के अमन-चैन से! आतंक फैलाना ही उनका धंधा हो गया है …और उनके कारण ही कश्मीर का नाम गंदा हो गया है!
यह सच है कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता. देश का सच्चा मुसलमान भी उनसे नफरत करता है. मगर सच यह भी है कि आतंकवादियों की ‘कौम’ को देश के कुछ गद्दार ही चोरी-छिपे मदद करते हैं. तभी तो रमजान माह में सीजफायर का उल्लंघन कर उन्होंने सीमा पर देश के लगभग एक दर्जन सैनिकों को शहीद कर डाला और बीसियों निर्दोष नागरिकों के प्राण ले लिए. इसमें आठ साल की एक मासूम बच्ची भी शामिल है. पचासों भारतीय घायल हुए, सो अलग! जबकि इस बीच हमारे जवानों ने मात्र आठ आतंकियों को ही मार गिराया. अर्थात, हम बहुत रहमदिल हैं. शांतिप्रिय हैं. हममें संयम है, सब्र है. हम सिर्फ दिखावे के लिए या जनता को बरगलाने के लिए अपना ’56 इंची सीना’ होने की बात करते हैं! जबकि हकीकत इससे कोसों दूर है. क्योंकि हमारे हाथ भी अब सत्ता के लालच में ‘वोट बैंक’ से बंध चुके हैं. हमें भी तो कश्मीर में सरकार चलानी है मित्रों….!
बार-बार बताने की जरूरत नहीं कि हमारा पड़ोसी पाकिस्तान कितना कमीना मुल्क है! उसे न सीजफायर से मतलब है, न रमजान की पवित्रता से. जब भारतीय सेना उसके बंकर तबाह कर उनके पचासों फौजियों – रेंजरों को ढेर कर देती है, तब वह हमारे तलवे चाटते हुए गिड़गिड़ाने लगता है. मगर जल्द ही अपनी औकात भी दिखा देता है! लेकिन याद रखिएगा, ‘बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी, एक न एक दिन तो छूरी के नीचे आएगी!’ उसने और उसके अफजली-हाफिजी रक्तबीजों ने याद रखना चाहिए कि भारत देश पर कई बार आक्रमण हुए, लेकिन 5000 साल पुरानी हमारी संस्कृति आज भी जिंदा है,…. यही कारण है कि उस नापाक देश की हुकूमतें आज तक शर्मिंदा है! कोई हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकता, क्योंकि तमाम मतभेदों के बावजूद हममें एकता बनी हुई है. हम सब सहिष्णु हैं. हम सब राष्ट्रवादी हैं. भले ही हमारी परंपराएं अलग-अलग हों, धर्म-मजहब जुदा-जुदा हों, मगर हम सब भारतीय हैं.
इधर, भारत में रमजान माह के दौरान कुछ सफेदपोशों और कुछ ऐसे संगठनों ने इफ्तार दावत देने की नौटंकियां शुरू कर दी है, जिनका अल्लाह-ताला से कोई सरोकार नहीं है. फिर एक कथित राष्ट्रवादी संगठन ने तो जुलाई में इफ्तार पार्टी देने (ईद मिलन समारोह करने) की ठानी है. ये तो कमाल है भाई! ईद अभी जून में है और आप लोग जुलाई में इफ्तार दे रहे हो! क्या आपको भी अब ‘वोट बैंक’ का चस्का लग गया? आपके इस्लाम-प्रेमी ‘मंच’ ने भी हाल ही में मुंबई में इफ्तार पार्टी की नौटंकी की थी. कितना घोर विरोध हुआ था उसका? बेहतर है कि आप अपने रास्ते चलो …और दूसरों को भी उनके रास्ते चलने दो! हालांकि सोमवार को अयोध्या में कुछ संतों ने ऐसी इफ्तार पार्टी दी कि मंदिर में मगरीब की नमाज भी अदा की गई. इसे बोलते हैं हिंदू और मुसलमानों की सौहार्द्रता! यही है भारत की एकता. चलिए, इसी एकता को लेकर हम प्रण करें… और ईद पर दुआ करें कि ‘रमजान में हमारे सारे दुश्मन (आतंकी) ढेर हो जाएं ….और भारत का बच्चा-बच्चा शेर हो जाए! ईद की पुरखुलूस शुभकामनाएं. जय हिंद।
सुदर्शन चक्रधर – 96899 26102
