पुणे. भारतीय संस्कृति की राजधानी के रूप में पहचाने जाने वाली अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद की विवादास्पद 2.77 एकड भूमि की ज्वलंत समस्या हिन्दू तथा मुस्लिम समाज के नागरिकों आपसी समझौते से इसे सुलझाए. हाई कोर्ट की सूचना का सम्मान करते हुए पुणे स्थित विश्व शांति केन्द्र (आलंदी), माईर्स एमआइटी शिक्षा संस्था की ओर से हस्तक्षेप आवेदन (Intervention Application) को हाई कोर्ट में दाखिल किया है.
याचिका में इन मुख्य मुद्दों को समाविष्ठ किया गया है
- 1- प्रभू श्री रामचंद्र का एक दिव्यभव्य और सुंदर मंदिर का निर्माण राम जन्म भूमि के रूप में पहचाने जानेवाली मूल जगह 2.77 एकड विवादस्पद भूमि पर सभी विवादों को विराम लगाते हुए एवं सभी पार्टीयों की मंजूरी से निर्मित करे.
- 2- श्री राम जन्म भूमि के रूप में पहचाने जाने वाले 2.77 एकड जमिन से सटीक 67 एकड पर भारत सरकारद्वारा अधिग्रहीत/संपादित खुली एवं बंजर जमीन को सरकार द्वारा मानवता, सहिष्णूता एवं विश्व शांति का संदेश देनेवाले, भारतीय संस्कृति, परंपरा एवं तत्वज्ञ का एक मूर्तिमंत स्वरूप के रूप में साकार हो. ऐसे विश्वधर्मी श्रीराम मानवता भवन के निर्माण के लिए उपलब्ध कराए. जिस पर हिन्दू, इस्लाम, इसाई, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी, जू जैसे विभिन्न धर्मीयों के भव्यदिव्य एवं सुंदर मंदिर, चर्च, विहार, गुरूद्वार आदि प्रार्थनास्थल, उंन-उंन धर्मीयों की संकल्पना तथा श्रद्धानुसार निर्माण करे.
- 3- अयोध्या स्थित मूल रामजन्म भूमि की जगह पर प्रभू श्री रामचंद्र का भव्य एवं सुंदर मंदिर तथा उसके सटीक खुली एवं बंजर जगह पर विश्वधर्मी श्रीराम मानवता भवन को समन्वय से तथा समझौते से निर्मित करे, भारत के प्रधानमंत्री श्री.नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में देश के विख्यात एवं जानेमान वैज्ञानिक, चिंतनशील, शिक्षा विशेषज्ञ, सामाजिक जिम्मेदारी समझनेवाली विभिन्न पार्टिया एवं धार्मीक नेता तथा विभिन्न क्षेत्र के मान्यवरों की 27 सदस्यों की अखिल भारतीय सुकाणू समिति का गठन कर आपसी समझौते से इस हल को सुलझाए.
- 4- एमआइटी विश्व शांति विश्वविद्यालय, पुणे के अध्यक्ष डॉ.विश्वनाथ कराड, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति, विश्वविख्यात कम्प्यूटर वैज्ञानिक डॉ.विजय भटकर, नागपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ.एस.एन.पठाण की संकल्पना से यह साकार हुआ है. ऐसे विश्वधर्मी श्रीराम मानवता भवन इस अभूतपूर्व ऐसे ऐतिहासिक स्वरूप के प्रस्ताव पर देश भलाई तथा सभी समाज के कल्याण की भूमिका से अंतर्राष्ट्रीय विख्यात तत्वचिंतनशील, एक महान राजनीतिज्ञ चिंतनशील डॉ.वेद प्रताप वैदिक ने अपनी भावना जताई. इस संदर्भ में उन्होंने कहा, अयोध्या में एक दिन विश्वधर्मी श्रीराम मानवता भवन यह संपूर्ण मानवता धर्म का विश्वतीर्थ के रूप में सामने आएगा. सारे विश्व को मानवता, सर्व धर्म समभाव और विश्वशांति का संदेश देगा. तथा 21वीं सदी में भारत देश ज्ञान का दालन तथा विश्वगुरू के रूप में उभरकर सामने आएगा.
– संपूर्ण विश्व की अध्यात्मिक राजधानी बने अयोध्या
डॉ. वेद प्रताप वैदिक ने विश्वास जताया कि अयोध्या के प्रभू श्री रामचंद्र के मंदिर सहित मानवता तथा सर्वधर्म समभाव के प्रतिक रहे डॉ. विश्वनाथ कराड की संकल्पना से साकार हुए विश्वधर्मी श्रीराम मानवता भवन के निर्माण से अयोध्या नगरी यह केवल भारत की नहीं बल्कि सारे विश्व की सांस्कृतिक एवं अध्यात्मिक राजधानी के रूप में पहचानी जाएगी.