( जमशेदपुर से सोशल संवाद के शशि भूषण की रिपोर्ट ) पिछले दिनों बिहार में लड़कियों के लिए होम चलाने वाली संस्था पर बच्चियों से देह व्यापार कराने का आरोप लगा l इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की तो 40 से अधिक बच्चियां गर्भवती पाई गई । इस मामले ने देश भर में होम चलाने वाली संस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया, इस घटना के बाद राष्ट्रीय बाल आयोग ने देशभर में बालक बालिका के लिए होम चलाने वाले संस्थाओं का सोशल आडिट करने का निर्णय लिया ।
पिछले हफ्ते एनसीपीसीआर की टीम आई थी , उसी क्रम में हमारी मुलाकात टीम के सदस्य से हुई और काफी लंबी बातचीत के बाद हमने पूछा यहां पर संस्थाएं किस तरीके से काम कर रही है ? सब कुछ ठीक है या बिहार की तरह यहां भी बड़ी गड़बड़ है ? कलंकी है हमारे सवालों को हंस कर टाल दिया क्योंकि उन्होंने कहा कि जो रिपोर्ट देना होगा हम लोग एनसीपीसीआर को देंगे लेकिन बातचीत के क्रम में बताया कैसे यहां पर संस्थाएं नियमों की धज्जियां उड़ा रही , जो संस्थाएं यहां पर एडॉप्शन की काम कर रही है ,जब उनसे सवाल पूछा कि एडॉप्शन की प्रक्रिया क्या है ? कैसे एडॉप्शन करते हैं ? उसकी क्या प्रक्रिया फॉलो करते हैं ? आपके पास बच्चों का लिस्ट है या नहीं है । इसके बाद उन्होंने सवाल पूछा आप यहां इतने दिनों से बाल अधिकार पर काम कर रहे हैं तो आपका कैसा अनुभव है , तब हमने उन्हें एक लाइन में बताया था यहां पर विभाग और कुछ संस्थाएं जो यहां का मठाधीश है इन दोनों का रैकेट चलता है।
बहुत कुछ गड़बड़ है जब बढ़िया से सोशल ऑडिट करेंगे तो बहुत सारी बातें निकल कर आएंगी । हालांकि अभी सोशल ऑडिट काम पूरा नहीं हुआ है , देखेंगे ऑडिट में क्या कुछ बातें निकल कर आती है।
लेकिन बात अभी हम मिशनरी ऑफ चैरिटी के करते हैं जो झारखंड में कई जिलों में सरकार के द्वारा सहायता प्राप्त होम चला रही है , मिशनरी ऑफ चैरिटी के बारे में खुलासा हुआ है कि नाबालिग भोली भाली आदिवासी कुंवारी गर्भवती लड़कियों को रखा जाता था और बच्चा पैदा होने पर उसे बेच दिया जाता था।यह मामला काफी गंभीर है लेकिन जिन अधिकारियों को संस्थाओं के कामकाज को देखने जांच पड़ताल करने की जिम्मेदारी है उन्हें इस बात की जानकारी पहले नहीं थी क्योंकि यह काम वर्षों से चला आ रहा है। जानकारी बहुत पहले से थी लेकिन कभी कार्रवाई नहीं किया गया । क्योंकि इस मामले में क्राइम ब्रांच विशेष शाखा ने 2016 में रिपोर्ट दी थी उसमें ही उसने इस तरह के होम चलाने वाले संस्थाओं की जांच की बात कही गई थी । वहीं दूसरी तरफ 2014 में रांची चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष डॉक्टर ओपी सिंह को बच्चा बेचने की शिकायत मिली तो उन्होंने पत्र लिखकर समाज कल्याण महिला एवं बाल विकास विभाग के आला अफसरों को कार्रवाई के लिए मदद मांगी । तो अधिकारी ने संस्था के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं करने का आदेश सुना दिया ।
2017 में दैनिक भास्कर ने जमशेदपुर में एक एडॉप्शन सेंटर का खुलासा किया जो पैसा लेकर बच्चा गोद देने का काम कर रही थी और संस्था विभाग से अधिकृत थी लेकिन जिला में किसी भी अधिकारी को उसके बारे में जानकारी नहीं था । जब मामला प्रकाश में आया तो उसे आनन-फानन में को रफा-दफा किया गया , और जो व्यक्ति इस संस्था को चला रहा था उसके बारे में जानकारी यह मिली थी वह व्यक्ति पूर्व में समाज कल्याण महिला एवं बाल विकास विभाग से पूर्व में जुड़ा हुआ था , और अधिकारियों की मिलीभगत से यह काम कर रहा था ।
ऐसे में इन घटनाओं से आप अंदाजा लगा सकते हैं, झारखंड में केवल मिशनरी ऑफ चैरिटी की सिस्टर की गिरफ्तारी होने से कुछ भी नहीं बदलेगा ।जब तक सिस्टम में बैठे उन अधिकारियों तक नहीं पहुंचा जाएगा । जो ऐसी संस्थाओं को गलत करने के लिए हिम्मत और संरक्षण देते हैं । तब तक ऐसे लोग संस्था और अधिकारियों के गठजोड़ से झारखंड के बच्चों को बेचते रहेंगे ।