नई दिल्ली (तेज समाचार प्रतिनिधि)- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया कि सरकार और उसकी एजेंसियां समाजिक कल्याण योजनाओं के तहत लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं कर सकती हैं। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस जगदीश सिंह केहर, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल की सदस्यता वाली पीठ ने यह फैसला दिया। हालांकि पीठ ने यह भी कहा कि सरकार और उसकी एजेंसियों को गैर-कल्याणकारी कार्यों, जैसे कि बैंक खाता खुलवाने में आधार कार्ड मांगने से मना नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि आधार जनहित स्कीम के लिए अनिवार्य नहीं है, लेकिन गैर-लाभकारी योजनाओं (जैसे बैंक खातों के खोलने या टैक्स रिटर्न करने से जोडऩे) के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। केन्द्र सरकार ने हाल ही में सरकार की करीब एक दर्जन योजनाओं के लाभार्थियों के लिए आधार को अनिवार्य करने का फैसला लिया है। इन योजनाओं में मिड-डे मील स्कीम भी शामिल थी। हालांकि, इस पर बाद में छूट देने का फैसला लिया गया।
गौरतलब है की वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने सरकार द्वारा जारी किए गए विभिन्न आदेशों को चुनौती दी थी, जिनमें विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य बताया गया। पीठ ने कहा कि नागरिकों की निजता के अधिकार का उल्लंघन सहित अन्य आधार पर आधार योजना को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर निर्णायक फैसला देने के लिए सात जजों वाली पीठ के गठन की आवश्यकता होगी। हालांकि, कोर्ट ने सात जजों वाली पीठ के गठन पर असमर्थता जताते हुए कहा कि इस पर फैसला बाद में होगा। याचिका दायर करने वालों में से एक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों का सम्मान नहीं कर रही है कि आधार कार्ड का प्रयोग स्वैच्छिक होगा, अनिवार्य नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2015 को कहा था कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं होगा और अधिकारियों को योजना के तहत एकत्र किए गए बायोमैट्रिक आंकड़े साझा करने से मना किया था।
हालांकि, 15 अक्टूबर, 2015 को उसने पुराने प्रतिबंध को वापस ले लिया और मनरेगा, सभी पेंशन योजनाओं, भविष्य निधि और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी जन-धन योजना सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं में आधार कार्ड के स्वैच्छिक प्रयोग की अनुमति दे दी। कोर्ट ने कहा कि आधार को लेकर हमारा पिछला आदेश पूरी तरह से अपडेट था। साथ ही कोर्ट ने आधार संबंधी याचिका पर तुरंत सुनवाई से साफ इनकार कर दिया। इस मुद्दे पर समय के साथ सुनवाई की जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को 12 अंकों की इस पहचान संख्या को गैर-लाभकारी योजनाओं में अनिवार्य किए जाने से रोका नहीं जा सकता।